शिमला: कांग्रेस ने चुनाव के दौरान ओपीएस को सबसे बड़ा मुद्दा बनाया था. सरकार बनने के बाद पहली कैबिनेट में सुक्खू सरकार की हरी झंडी भी मिल गई. लेकिन इसके करीब 2 महीने बाद हिमाचल में ओपीएस की एसओपी का इंतजार कर रहे 1.36 लाख कर्मियों को उम्मीद थी कि बजट भाषण में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू इस योजना से जुड़ा खाका विस्तार से रखेंगे. कर्मचारियों की ओपीएस से जुड़ी एसओपी की ये उम्मीद तो पूरी नहीं हुई, अलबत्ता राज्य सरकार ने इस योजना के विज्ञापन पर जरूर 53 लाख रुपए से अधिक की रकम खर्च कर दी. प्रदेश में आर्थिक बदहाली का रोना रोया जाता है. सत्ता पक्ष और विपक्ष कर्ज को लेकर एक-दूसरे पर वार-पलटवार करते हैं. सरकारी खर्च कम करने के दावे किए जाते हैं, लेकिन हकीकत में ये दावे कम ही नजर आते हैं.
![(Source: CM सुखविंदर सिंह सुक्खू ट्वीटर).](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/18045363_jjj.jpg)
![(Source: CM सुखविंदर सिंह सुक्खू ट्वीटर).](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/18045363_wed.jpg)
ओपीएस के विज्ञापन पर 53 लाख खर्च- इसी बीच, बजट भाषण में ओपीएस का सिर्फ जिक्र भर आया है, लेकिन बजट सेशन के दौरान प्रश्नकाल में पूछे गए सवाल में ये तथ्य जरूर सामने आया कि सरकार ने ओपीएस के विज्ञापन पर 53 लाख रुपए से अधिक की रकम खर्च की है. दरअसल, प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान आईजीएमसी अस्पताल के सीनियर एमएस व न्यूरो सर्जन के पेशे से राजनीति में आए डॉ. जनकराज ने इस संदर्भ में सवाल किया था. भरमौर से चुनकर आए डॉ. जनकराज ने 16 मार्च को इस बारे में सवाल किया था कि 13 जनवरी से ओपीएस की अधिसूचना जारी होने के बाद से 31 जनवरी 2023 तक राज्य सरकार ने विभिन्न मीडिया माध्यमों में इस योजना के विज्ञापन पर कितनी रकम खर्च की. इस सवाल के लिखित जवाब में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि राज्य सरकार ने विज्ञापनों पर 53 लाख, 66 हजार, 951 रुपए की रकम खर्च की है. इसमें समाचार पत्रों के माध्यम से 51 लाख, 64 हजार, 685 रुपए खर्च किए गए. इलेक्ट्रिोनिक मीडिया में ओपीएस को लेकर दो लाख, दो हजार, 266 रुपए की रकम व्यय की गई। कुल टोटल में पांच फीसदी जीएसटी का खर्च भी शामिल है. सबसे बड़ी विज्ञापन राशि एक हिंदी दैनिक को दी गई। ये राशि 8.81 लाख से अधिक थी.
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