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OPS की एसओपी जारी हुई नहीं, विज्ञापन पर 53 लाख से अधिक खर्च दिए सुखविंदर सरकार ने - OPS in Himachal

हिमाचल सरकार ने भले ही OPS बहाल करने का ऐलान कर दिया है, लेकिन कर्मचारियों को अभी भी OPS की एसओपी का इंतजार है. दूसरी ओर प्रदेश सरकार ने OPS के विज्ञापन पर अब तक 53 लाख से अधिक रुपये खर्च दिए हैं.

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू
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Published : Mar 21, 2023, 3:24 PM IST

Updated : Mar 21, 2023, 3:29 PM IST

शिमला: कांग्रेस ने चुनाव के दौरान ओपीएस को सबसे बड़ा मुद्दा बनाया था. सरकार बनने के बाद पहली कैबिनेट में सुक्खू सरकार की हरी झंडी भी मिल गई. लेकिन इसके करीब 2 महीने बाद हिमाचल में ओपीएस की एसओपी का इंतजार कर रहे 1.36 लाख कर्मियों को उम्मीद थी कि बजट भाषण में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू इस योजना से जुड़ा खाका विस्तार से रखेंगे. कर्मचारियों की ओपीएस से जुड़ी एसओपी की ये उम्मीद तो पूरी नहीं हुई, अलबत्ता राज्य सरकार ने इस योजना के विज्ञापन पर जरूर 53 लाख रुपए से अधिक की रकम खर्च कर दी. प्रदेश में आर्थिक बदहाली का रोना रोया जाता है. सत्ता पक्ष और विपक्ष कर्ज को लेकर एक-दूसरे पर वार-पलटवार करते हैं. सरकारी खर्च कम करने के दावे किए जाते हैं, लेकिन हकीकत में ये दावे कम ही नजर आते हैं.

(Source: CM सुखविंदर सिंह सुक्खू ट्वीटर).
(Source: CM सुखविंदर सिंह सुक्खू ट्वीटर).
वादा किया और निभाया- सुखविंदर सुक्खू ने वादे के मुताबिक पहली कैबिनेट में ओपीएस को हरी झंडी तो दे दी. सरकार इसे उपलब्धि बताकर कहती है कि जो वादा किया था वो निभाया गया है. अब राज्य सरकार के न्यू पेंशन स्कीम के तहत आने वाले 1.36 लाख कर्मचारियों को ओपीएस की एसओपी का इंतजार है. हिमाचल में सरकार ने वादा किया है कि पहली अप्रैल से न्यू पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारियों का कंट्रीब्यूशन कटना बंद हो जाएगा. यही नहीं, राज्य सरकार ने पहली अप्रैल से ओपीएस को लागू करने का मन बना लिया है. कर्मचारियों को इसका लाभ वर्ष 2003 से ही मिलेगा.
(Source: CM सुखविंदर सिंह सुक्खू ट्वीटर).
(Source: CM सुखविंदर सिंह सुक्खू ट्वीटर).

ओपीएस के विज्ञापन पर 53 लाख खर्च- इसी बीच, बजट भाषण में ओपीएस का सिर्फ जिक्र भर आया है, लेकिन बजट सेशन के दौरान प्रश्नकाल में पूछे गए सवाल में ये तथ्य जरूर सामने आया कि सरकार ने ओपीएस के विज्ञापन पर 53 लाख रुपए से अधिक की रकम खर्च की है. दरअसल, प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान आईजीएमसी अस्पताल के सीनियर एमएस व न्यूरो सर्जन के पेशे से राजनीति में आए डॉ. जनकराज ने इस संदर्भ में सवाल किया था. भरमौर से चुनकर आए डॉ. जनकराज ने 16 मार्च को इस बारे में सवाल किया था कि 13 जनवरी से ओपीएस की अधिसूचना जारी होने के बाद से 31 जनवरी 2023 तक राज्य सरकार ने विभिन्न मीडिया माध्यमों में इस योजना के विज्ञापन पर कितनी रकम खर्च की. इस सवाल के लिखित जवाब में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि राज्य सरकार ने विज्ञापनों पर 53 लाख, 66 हजार, 951 रुपए की रकम खर्च की है. इसमें समाचार पत्रों के माध्यम से 51 लाख, 64 हजार, 685 रुपए खर्च किए गए. इलेक्ट्रिोनिक मीडिया में ओपीएस को लेकर दो लाख, दो हजार, 266 रुपए की रकम व्यय की गई। कुल टोटल में पांच फीसदी जीएसटी का खर्च भी शामिल है. सबसे बड़ी विज्ञापन राशि एक हिंदी दैनिक को दी गई। ये राशि 8.81 लाख से अधिक थी.

ये भी पढ़ें: 100 दिन में चले कितने कोस, ये रहा सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार का लेखा जोखा

शिमला: कांग्रेस ने चुनाव के दौरान ओपीएस को सबसे बड़ा मुद्दा बनाया था. सरकार बनने के बाद पहली कैबिनेट में सुक्खू सरकार की हरी झंडी भी मिल गई. लेकिन इसके करीब 2 महीने बाद हिमाचल में ओपीएस की एसओपी का इंतजार कर रहे 1.36 लाख कर्मियों को उम्मीद थी कि बजट भाषण में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू इस योजना से जुड़ा खाका विस्तार से रखेंगे. कर्मचारियों की ओपीएस से जुड़ी एसओपी की ये उम्मीद तो पूरी नहीं हुई, अलबत्ता राज्य सरकार ने इस योजना के विज्ञापन पर जरूर 53 लाख रुपए से अधिक की रकम खर्च कर दी. प्रदेश में आर्थिक बदहाली का रोना रोया जाता है. सत्ता पक्ष और विपक्ष कर्ज को लेकर एक-दूसरे पर वार-पलटवार करते हैं. सरकारी खर्च कम करने के दावे किए जाते हैं, लेकिन हकीकत में ये दावे कम ही नजर आते हैं.

(Source: CM सुखविंदर सिंह सुक्खू ट्वीटर).
(Source: CM सुखविंदर सिंह सुक्खू ट्वीटर).
वादा किया और निभाया- सुखविंदर सुक्खू ने वादे के मुताबिक पहली कैबिनेट में ओपीएस को हरी झंडी तो दे दी. सरकार इसे उपलब्धि बताकर कहती है कि जो वादा किया था वो निभाया गया है. अब राज्य सरकार के न्यू पेंशन स्कीम के तहत आने वाले 1.36 लाख कर्मचारियों को ओपीएस की एसओपी का इंतजार है. हिमाचल में सरकार ने वादा किया है कि पहली अप्रैल से न्यू पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारियों का कंट्रीब्यूशन कटना बंद हो जाएगा. यही नहीं, राज्य सरकार ने पहली अप्रैल से ओपीएस को लागू करने का मन बना लिया है. कर्मचारियों को इसका लाभ वर्ष 2003 से ही मिलेगा.
(Source: CM सुखविंदर सिंह सुक्खू ट्वीटर).
(Source: CM सुखविंदर सिंह सुक्खू ट्वीटर).

ओपीएस के विज्ञापन पर 53 लाख खर्च- इसी बीच, बजट भाषण में ओपीएस का सिर्फ जिक्र भर आया है, लेकिन बजट सेशन के दौरान प्रश्नकाल में पूछे गए सवाल में ये तथ्य जरूर सामने आया कि सरकार ने ओपीएस के विज्ञापन पर 53 लाख रुपए से अधिक की रकम खर्च की है. दरअसल, प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान आईजीएमसी अस्पताल के सीनियर एमएस व न्यूरो सर्जन के पेशे से राजनीति में आए डॉ. जनकराज ने इस संदर्भ में सवाल किया था. भरमौर से चुनकर आए डॉ. जनकराज ने 16 मार्च को इस बारे में सवाल किया था कि 13 जनवरी से ओपीएस की अधिसूचना जारी होने के बाद से 31 जनवरी 2023 तक राज्य सरकार ने विभिन्न मीडिया माध्यमों में इस योजना के विज्ञापन पर कितनी रकम खर्च की. इस सवाल के लिखित जवाब में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि राज्य सरकार ने विज्ञापनों पर 53 लाख, 66 हजार, 951 रुपए की रकम खर्च की है. इसमें समाचार पत्रों के माध्यम से 51 लाख, 64 हजार, 685 रुपए खर्च किए गए. इलेक्ट्रिोनिक मीडिया में ओपीएस को लेकर दो लाख, दो हजार, 266 रुपए की रकम व्यय की गई। कुल टोटल में पांच फीसदी जीएसटी का खर्च भी शामिल है. सबसे बड़ी विज्ञापन राशि एक हिंदी दैनिक को दी गई। ये राशि 8.81 लाख से अधिक थी.

ये भी पढ़ें: 100 दिन में चले कितने कोस, ये रहा सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार का लेखा जोखा

Last Updated : Mar 21, 2023, 3:29 PM IST
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