शिमला: इस बार आसमान से बारिश के रूप में बरसी आफत ने हिमाचल को तबाही के गहरे जख्म दिए हैं. हिमाचल में पांच साल में मानसून सीजन में ₹6784 करोड़ से अधिक की संपत्ति बर्बाद हुई थी. इस बार तबाही का आलम ये है कि पांच साल का रिकार्ड अकेले इसी मानसून सीजन में टूटने वाला है. अब तक हिमाचल को ₹6731 करोड़ से अधिक का नुकसान झेलना पड़ा है. जल्द ही नुकसान का ये आंकड़ा पांच साल के संयुक्त नुकसान से आगे बढ़ जाएगा. आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले साल पूरे हिमाचल में जितना सरकारी संपत्ति का नुकसान हुआ था, उससे अधिक इस बार अकेले लोक निर्माण विभाग को हो चुका है. लोक निर्माण विभाग को 9 अगस्त तक ₹2139 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है.
शिमला जिले में 238 करोड़ की संपत्ति बर्बाद: शिमला जिला में इस मानसून सीजन में 24 जून से 9 अगस्त के बीच ₹238.84 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति बर्बाद हो गई है. जिला शिमला में कुल 50 लोग विभिन्न हादसों में मौत का शिकार हुए हैं, ये आंकड़ा अभी और बढ़ेगा. पिछले साल पूरे हिमाचल में केवल ₹1981 करोड़ की संपत्ति बर्बाद हुई थी. इस बार इससे कहीं अधिक तबाही लोक निर्माण विभाग को हो चुकी है. लोक निर्माण विभाग को ₹2139 करोड़ से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा है. दूसरे नंबर पर जल शक्ति विभाग को ₹1629 करोड़ से अधिक का डैमेज हुआ है.
शिमला में भारी बारिश ने ली 50 लोगों की जान: हर बार मानसून की बारिश से हिमाचल में भारी नुकसान होता है, लेकिन इस बार तबाही ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं. शिमला जिला में 50 लोगों की मौत हुई है. कुल 33 लोग विभिन्न हादसों में घायल हैं. शिमला जिला के बाद कुल्लू जिला में सबसे अधिक 43 लोगों की मौत हो चुकी है. शिमला में चार लोग अभी भी लापता हैं. कुल्लू में लापता लोगों का आंकड़ा सबसे अधिक 18 लोगों का है. कुल्लू में ब्यास नदी में आई भीषण बाढ़ के कारण मिसिंग लोगों की संख्या अधिक है.
बारिश और भूस्खलन से सैंकड़ों घरों को नुकसान: शिमला जिला में भयावह बारिश के कारण भूस्खलन भी अधिक हुए हैं. जिला भर में 195 पक्के मकान पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं. इसके अलावा कुल 121 कच्चे घरों का अस्तित्व ही मिट गया. जिला में 2489 पक्के घरों को नुकसान पहुंचा है. इसी तरह 1450 कच्चे घरों को नुकसान झेलना पड़ा है. इसके अलावा शिमला जिला में 13 दुकानें, 105 लेबर शेड व 631 गोशालाएं बर्बाद हो गई. मौत का आंकड़ा देखें तो हिमाचल में अभी तक 231 लोग काल का ग्रास बने हैं. दुखद बात ये है कि 31 लोगों का अभी भी कोई पता नहीं है. प्रदेश भर में हुए हादसों में 31 लोग लापता हैं. इनमें से 17 लोग बाढ़ में बह गए हैं, जिनका कोई पता नहीं लग पाया है.
सरकारी विभागों को ₹6731 करोड़ का नुकसान: 24 जून से मानसून सीजन शुरू होने के बाद 9 अगस्त तक हिमाचल में सबसे अधिक नुकसान लोक निर्माण विभाग को झेलना पड़ा है. लोक निर्माण विभाग के नुकसान का आंकड़ा ₹2129 करोड़ रुपए से अधिक है. इसी तरह जलशक्ति विभाग को 1629.81 करोड़, बिजली बोर्ड को 1505.73 करोड़, बागवानी विभाग को 144.88 करोड़, शहरी विकास विभाग को 88.82 करोड़, कृषि विभाग को 256.87 करोड़, ग्रामीण विकास विभाग को 369.53 करोड़, शिक्षा को 118.90 करोड़ रुपए, मत्स्य पालन विभाग को 13.91 करोड़ रुपए, स्वास्थ्य विभाग को 44.01 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। अन्य विभागों को 82.11 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है। इस तरह कुल नुकसान का आंकड़ा 6731.13 करोड़ रुपए बनता है। अभी इसके और बढ़ने की आशंका है.
सड़क हादसों ने ली 95 लोगों की जान: मानसून सीजन में सबसे अधिक जानी नुकसान सड़क हादसों के कारण हुआ है. प्रदेश भर में 95 लोग सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवा बैठे. शिमला व सोलन जिला में क्रमश: 17 व 13 लोगों की मौत हुई. ये प्रदेश भर के जिलों में सबसे अधिक है. भूस्खलन के कारण 39 लोग का काल का शिकार हुए. इसी तरह बाढ़ में बहने से 18, बादल फटने से एक, डूबने से 20, सर्पदंश से 10, बिजली करंट से 9, खाई में गिरने से 31 और अन्य कारणों से 7 लोगों की मौत हुई है.
नहीं थम रहा मौतों का सिलसिला: इस मानसून सीजन में अब तक 231 अनमोल जीवन आपदा की भेंट चढ़ गए. पिछले आंकड़ों को देखें तो हिमाचल में वर्ष 2018 में बरसात के सीजन में जून से लेकर अगस्त तक विभिन्न हादसों में 343 लोग मारे गए थे. वर्ष 2019 में 218 लोगों की जान गई. अगले साल यानी वर्ष 2020 में 240 लोगों की मौत हादसों के कारण हुई. फिर वर्ष 2021 में सबसे अधिक 476 लोगों की मौत हुई. पिछले साल यानी वर्ष 2022 में मानसून सीजन में मरने वालों की संख्या 284 रही. यानी हर साल सैंकड़ों लोगों की मौत होती है, लेकिन प्रशासन इन हादसों को थामने में कामयाब नहीं हो रहा है.
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