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अडानी समूह को 280 करोड़ लौटाने का मामला, हाई कोर्ट में 12 जनवरी तक टली सुनवाई - Himachal High Court on Adani group case

मैसर्ज अडानी पावर लिमिटेड (Adani Power Limited) को 280 करोड़ रुपए चुकाने से जुड़े मामले की सुनवाई 12 जनवरी 2023 तक के लिए टल गई है. अब इस मामले में सुनवाई अगले साल ही होगी. पढे़ं पूरी खबर...

Himachal High Court
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Published : Dec 27, 2022, 10:22 PM IST

शिमला: देश के बड़े कारोबारी समूह अडानी ग्रुप की कंपनी मैसर्ज अडानी पावर लिमिटेड को 280 करोड़ रुपए चुकाने से जुड़े मामले में सुनवाई अब अगले साल होगी. हिमाचल हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 12 जनवरी 2023 तक के लिए टल गई है. मामले की सुनवाई हिमाचल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमजद एहतेशाम सईद व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ के समक्ष होगी. यहां गौरतलब है कि हाई कोर्ट (Himachal High Court) की एकल पीठ ने राज्य सरकार को जंगी-थोपन-पोवारी विद्युत परियोजना के लिए जमा किए गए 280 करोड़ रुपए की राशि को अडानी समूह को ब्याज सहित वापिस करने के आदेश दिए थे.

सरकार ने इस मामले में अपील करने में देरी कर दी थी. इस कारण सरकार को अपील दायर करने में हुई देरी को माफ करने की अर्जी भी देनी पड़ी थी. सरकार ने फीस वापसी के आदेशों पर रोक लगाने की गुहार भी लगाई थी, परंतु कोर्ट ने एकल पीठ के आदेशों पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था. हाई कोर्ट की एकल पीठ ने गत 12 अप्रैल को जारी फैसले में सरकार को आदेश दिए थे कि वह 4 सितंबर 2015 को कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार दो महीने की अवधि में यह राशि अडानी समूह को वापस करे.

एकल पीठ ने यह आदेश अडानी पावर लिमिटेड द्वारा दायर याचिका पर पारित किए. साथ ही आदेश जारी किए थे कि यदि सरकार यह राशि दो माह के भीतर प्रार्थी कंपनी को वापिस करने में विफल रहती है, तो उसे 9 फीसदी सालाना ब्याज सहित तय रकम अदा करनी होगी. 12 अप्रैल को पारित इस फैसले को सरकार ने अपील के माध्यम से खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी है. कंपनी ने विशेष सचिव (विद्युत) के 7 दिसंबर, 2017 को जारी पत्राचार को हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर कर चुनौती दी थी.

कोर्ट ने कंपनी की याचिका को स्वीकारते हुए 7 दिसंबर 2017 को जारी आदेश को रद्द करते हुए एकल पीठ ने कहा था कि जब कैबिनेट ने 4 सितंबर 2015 को, प्रशासनिक विभाग द्वारा तैयार किए गए विस्तृत कैबिनेट नोट पर ध्यान देने के बाद स्वयं ही यह राशि वापस करने का निर्णय लिया था तो समझ में नहीं आता कि अपने ही निर्णय की समीक्षा करने का निर्णय किस आधार पर लिया गया. मामले के अनुसार वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने अक्टूबर 2005 में, राज्य सरकार ने 980 मेगावाट की दो हाइड्रो-इलेक्ट्रिक परियोजनाओं जंगी-थोपन-पोवारी पावर के संबंध में निविदा जारी की थी.

मैसर्स ब्रेकल कॉरपोरेशन को परियोजनाओं के लिए सबसे अधिक बोली लगाने वाला पाया गया. इसे देखते हुए विदेशी कंपनी ब्रेकल ने अपफ्रंट प्रीमियम के रूप में 280.06 करोड़ रुपये की राशि राज्य सरकार के पास जमा कर दी. हालांकि बाद में राज्य सरकार ने परियोजनाओं की फिर से बोली लगाने का फैसला किया. इसके बाद ब्रेकल कंपनी ने राज्य सरकार से पत्राचार के माध्यम से 24 अगस्त, 2013 को अनुरोध किया था कि अडानी पावर लिमिटेड के कंसोर्टियम पार्टनर होने के नाते 280 करोड़ रुपये (Case of returning 280 crores to Adani group) के अग्रिम प्रीमियम को अप टू डेट ब्याज के साथ उसे वापस किया जाए. फिलहाल, अब मामले की सुनवाई अगले साल 12 जनवरी को होगी.

ये भी पढ़ें: जब हाई कोर्ट ने रोकी बड़े अफसरों की सैलेरी तब मिला कर्मचारियों को हक, एक दशक से चल रही थी कानूनी लड़ाई

शिमला: देश के बड़े कारोबारी समूह अडानी ग्रुप की कंपनी मैसर्ज अडानी पावर लिमिटेड को 280 करोड़ रुपए चुकाने से जुड़े मामले में सुनवाई अब अगले साल होगी. हिमाचल हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 12 जनवरी 2023 तक के लिए टल गई है. मामले की सुनवाई हिमाचल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमजद एहतेशाम सईद व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ के समक्ष होगी. यहां गौरतलब है कि हाई कोर्ट (Himachal High Court) की एकल पीठ ने राज्य सरकार को जंगी-थोपन-पोवारी विद्युत परियोजना के लिए जमा किए गए 280 करोड़ रुपए की राशि को अडानी समूह को ब्याज सहित वापिस करने के आदेश दिए थे.

सरकार ने इस मामले में अपील करने में देरी कर दी थी. इस कारण सरकार को अपील दायर करने में हुई देरी को माफ करने की अर्जी भी देनी पड़ी थी. सरकार ने फीस वापसी के आदेशों पर रोक लगाने की गुहार भी लगाई थी, परंतु कोर्ट ने एकल पीठ के आदेशों पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था. हाई कोर्ट की एकल पीठ ने गत 12 अप्रैल को जारी फैसले में सरकार को आदेश दिए थे कि वह 4 सितंबर 2015 को कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार दो महीने की अवधि में यह राशि अडानी समूह को वापस करे.

एकल पीठ ने यह आदेश अडानी पावर लिमिटेड द्वारा दायर याचिका पर पारित किए. साथ ही आदेश जारी किए थे कि यदि सरकार यह राशि दो माह के भीतर प्रार्थी कंपनी को वापिस करने में विफल रहती है, तो उसे 9 फीसदी सालाना ब्याज सहित तय रकम अदा करनी होगी. 12 अप्रैल को पारित इस फैसले को सरकार ने अपील के माध्यम से खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी है. कंपनी ने विशेष सचिव (विद्युत) के 7 दिसंबर, 2017 को जारी पत्राचार को हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर कर चुनौती दी थी.

कोर्ट ने कंपनी की याचिका को स्वीकारते हुए 7 दिसंबर 2017 को जारी आदेश को रद्द करते हुए एकल पीठ ने कहा था कि जब कैबिनेट ने 4 सितंबर 2015 को, प्रशासनिक विभाग द्वारा तैयार किए गए विस्तृत कैबिनेट नोट पर ध्यान देने के बाद स्वयं ही यह राशि वापस करने का निर्णय लिया था तो समझ में नहीं आता कि अपने ही निर्णय की समीक्षा करने का निर्णय किस आधार पर लिया गया. मामले के अनुसार वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने अक्टूबर 2005 में, राज्य सरकार ने 980 मेगावाट की दो हाइड्रो-इलेक्ट्रिक परियोजनाओं जंगी-थोपन-पोवारी पावर के संबंध में निविदा जारी की थी.

मैसर्स ब्रेकल कॉरपोरेशन को परियोजनाओं के लिए सबसे अधिक बोली लगाने वाला पाया गया. इसे देखते हुए विदेशी कंपनी ब्रेकल ने अपफ्रंट प्रीमियम के रूप में 280.06 करोड़ रुपये की राशि राज्य सरकार के पास जमा कर दी. हालांकि बाद में राज्य सरकार ने परियोजनाओं की फिर से बोली लगाने का फैसला किया. इसके बाद ब्रेकल कंपनी ने राज्य सरकार से पत्राचार के माध्यम से 24 अगस्त, 2013 को अनुरोध किया था कि अडानी पावर लिमिटेड के कंसोर्टियम पार्टनर होने के नाते 280 करोड़ रुपये (Case of returning 280 crores to Adani group) के अग्रिम प्रीमियम को अप टू डेट ब्याज के साथ उसे वापस किया जाए. फिलहाल, अब मामले की सुनवाई अगले साल 12 जनवरी को होगी.

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