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3 साल में नियुक्त हुए 1500 डॉक्टर्स, पपरोला को बनाएंगे अखिल भारतीय स्तर का आयुर्वेदिक संस्थान: सैजल

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल के अनुसार हिमाचल में आयुर्वेद चिकित्सा संस्थान भी जनता को अच्छी सेवाएं दे रहे हैं. कुल 34 आयुष अस्पतालों में से 20 में पंचकर्म की सुविधा है. हिमाचल ने खुद की आयुष नीति बनाई है. सैजल ने कहा कि कोरोना से निपटने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार व राज्य की सीएम जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली सरकार ने बेहतरीन काम किया है. सैजल ने बताया कि आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि राज्य सरकार कोरोना के खिलाफ प्रभावी तरीके से लड़ रही है.

Health Minister Dr. Rajiv Saizal
फोटो.
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Published : Mar 20, 2021, 9:17 PM IST

शिमलाः हिमाचल प्रदेश में तीन साल के अंतराल में डेढ़ हजार डॉक्टर्स की नियुक्तियां की गई हैं. स्वास्थ्य विभाग हर मंगलवार को वॉक इन इंटरव्यू आयोजित करता है, जिन संस्थानों में डॉक्टर्स के पद खाली हैं, वहां प्राथमिकता के आधार पर चिकित्सकों को भेजा जाता है. स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल के अनुसार हिमाचल में आयुर्वेद चिकित्सा संस्थान भी जनता को अच्छी सेवाएं दे रहे हैं. कुल 34 आयुष अस्पतालों में से 20 में पंचकर्म की सुविधा है. हिमाचल ने खुद की आयुष नीति बनाई है.

डॉ. सैजल हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र में आखिरी दिन विपक्ष की तरफ से स्वास्थ्य पर लाए गए कटौती प्रस्ताव का जवाब दे रहे थे. सैजल ने कहा कि कोरोना से निपटने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार व राज्य की जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली सरकार ने बेहतरीन काम किया है. सैजल ने बताया कि आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि राज्य सरकार कोरोना के खिलाफ प्रभावी तरीके से लड़ रही है.

अन्य राज्यों के मुकाबले मृत्युदर कम

कुल 58 हजार से अधिक संक्रमित इलाज से ठीक हुए हैं. पड़ौसी राज्यों के मुकाबले हिमाचल की स्थिति बेहतर है. ये ठीक है कि यहां कोरोना से एक साल के भीतर एक हजार से अधिक लोगों की मौत हुई, लेकिन देश के अन्य राज्यों के मुकाबले मृत्युदर कम है. एक्टिव केस भी पंजाब, हरियाणा सहित अन्य राज्यों के मुकाबले यहां कम हैं. इस तरह आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि हिमाचल में कोरोना से निपटने में सक्रियता से काम किया जा रहा है.

सैजल ने आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अस्पताल पपरोला का जिक्र किया और कहा कि राज्य सरकार इसे अखिल भारतीय स्तर का आयुष संस्थान बनाने की दिशा में काम कर रही है. इसके लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष मामला उठाएंगे और प्रदेश की इस जरूरत को केंद्र सरकार से उठाया जाएगा.

विधायक राजेंद्र राणा ने चर्चा में हिस्सा लिया

वहीं, कटौती प्रस्ताव पर विपक्ष की तरफ से सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने चर्चा में हिस्सा लिया. राणा का कहना था कि हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य संस्थानों में बेहतर व्यवस्था नहीं है. सिविल अस्पताल से रीजनल अस्पताल और फिर रीजनल अस्पताल से मरीज को टांडा मेडिकल कॉलेज भेजा जाता है. साधनहीन मरीजों को इससे परेशानी होती है. स्वास्थ्य संस्थानों में डॉक्टर्स व पैरामेडिकल स्टाफ की कमी है.

कांग्रेस सदस्य धनीराम शांडिल ने स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने की वकालत की.उन्होंने कोरोना योद्धाओं को सम्मानित करने की मांग की. रोहड़ू के विधायक मोहन लाल ब्राक्टा ने अपने निर्वाचन क्षेत्र से जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को उठाया. उन्होंने कहा कि रोहड़ू अस्पताल में सर्जन तो हैं, लेकिन एनेस्थीजिया का विशेषज्ञ न होने से ये सर्जन पंगु हैं. रोहड़ू में रेडियोलॉजिस्ट भी नहीं है.

डॉक्टर्स के दस पद खाली हैं

इसी तरह कुल्लू के विधायक सुंदर ठाकुर ने कहा कि बार-बार सरकार के ध्यान में लाने के बावजूद कुल्लू अस्पताल की दशा नहीं सुधरी. कुल्लू अस्पताल में न सर्जन है और न ही बाल रोग विशेषज्ञ. स्त्री रोग विशेषज्ञ भी एक ही है. डॉक्टर्स के दस पद खाली हैं. सुंदर ठाकुर ने कहा कि उन्होंने अपनी विधायक निधि से कोरोना काल में दो एंबुलेंस उपलब्ध करवाई. उन्होंने कहा कि डेढ़ साल से कुल्लू अस्तपाल में कीमोथैरेपी नहीं हो रही. उन्होंने सीएचसी तेगुबेहड़ व मनाली की बदहाली का जिक्र किया और कहा कि यदि बार-बार कहने पर भी व्यवस्था नहीं सुधरी तो आंदोलन किया जाएगा.

वहीं, उन्होंने सरकार से मांग की कि नेरचौक से रोस्टर पर डॉक्टर्स कुल्लू आएं और सर्जरी वगैरा करें. नालागढ़ के विधायक लखविंदर राणा ने ट्रॉमा सेंटर स्थापित करने को कहा. उन्होंने कहा कि 2019 में उनके निर्वाचन क्षेत्र में 169 दुर्घटनाओं में 228 लोग घायल हुए. ट्रामा सेंटर होता तो घायलों को बचाया जा सकता है. शिमला ग्रामीण के विधायक विक्रमादित्य सिंह ने नेफरोलॉजी के विशेषज्ञ के एम्स बिलासपुर जाने का मामला उठाया और सरकार से जवाब मांगा. उन्होंने सुन्नी अस्पताल में खाली पदों को भरने के लिए कहा और ज्वालामुखी अस्पताल की दुर्दशा पर भी ध्यान खींचा.

माकपा विधायक राकेश सिंघा ने कोरोना काल में हुई खरीद की जांच करने की मांग उठाई. चूंकि कटौती प्रस्ताव पर 3 बजे गिलोटिन लगने का समय तय किया गया था, लिहाजा अपने जवाब में स्वास्थ्य मंत्री राजीव सैजल ने चर्चा में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के सुझावों पर गौर करने की बात कही. उन्होंने कहा कि डॉक्टर्स के पद नियमित रूप से भरे जा रहे हैं. उन्होंने कोरोना से निपटने में नरेंद्र मोदी सरकार व प्रदेश सरकार के प्रयासों को भी सराहा.

ये भी पढ़ें: कोरोना योद्धाओं को सम्मानित करेगी जयराम सरकार

शिमलाः हिमाचल प्रदेश में तीन साल के अंतराल में डेढ़ हजार डॉक्टर्स की नियुक्तियां की गई हैं. स्वास्थ्य विभाग हर मंगलवार को वॉक इन इंटरव्यू आयोजित करता है, जिन संस्थानों में डॉक्टर्स के पद खाली हैं, वहां प्राथमिकता के आधार पर चिकित्सकों को भेजा जाता है. स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल के अनुसार हिमाचल में आयुर्वेद चिकित्सा संस्थान भी जनता को अच्छी सेवाएं दे रहे हैं. कुल 34 आयुष अस्पतालों में से 20 में पंचकर्म की सुविधा है. हिमाचल ने खुद की आयुष नीति बनाई है.

डॉ. सैजल हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र में आखिरी दिन विपक्ष की तरफ से स्वास्थ्य पर लाए गए कटौती प्रस्ताव का जवाब दे रहे थे. सैजल ने कहा कि कोरोना से निपटने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार व राज्य की जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली सरकार ने बेहतरीन काम किया है. सैजल ने बताया कि आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि राज्य सरकार कोरोना के खिलाफ प्रभावी तरीके से लड़ रही है.

अन्य राज्यों के मुकाबले मृत्युदर कम

कुल 58 हजार से अधिक संक्रमित इलाज से ठीक हुए हैं. पड़ौसी राज्यों के मुकाबले हिमाचल की स्थिति बेहतर है. ये ठीक है कि यहां कोरोना से एक साल के भीतर एक हजार से अधिक लोगों की मौत हुई, लेकिन देश के अन्य राज्यों के मुकाबले मृत्युदर कम है. एक्टिव केस भी पंजाब, हरियाणा सहित अन्य राज्यों के मुकाबले यहां कम हैं. इस तरह आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि हिमाचल में कोरोना से निपटने में सक्रियता से काम किया जा रहा है.

सैजल ने आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अस्पताल पपरोला का जिक्र किया और कहा कि राज्य सरकार इसे अखिल भारतीय स्तर का आयुष संस्थान बनाने की दिशा में काम कर रही है. इसके लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष मामला उठाएंगे और प्रदेश की इस जरूरत को केंद्र सरकार से उठाया जाएगा.

विधायक राजेंद्र राणा ने चर्चा में हिस्सा लिया

वहीं, कटौती प्रस्ताव पर विपक्ष की तरफ से सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने चर्चा में हिस्सा लिया. राणा का कहना था कि हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य संस्थानों में बेहतर व्यवस्था नहीं है. सिविल अस्पताल से रीजनल अस्पताल और फिर रीजनल अस्पताल से मरीज को टांडा मेडिकल कॉलेज भेजा जाता है. साधनहीन मरीजों को इससे परेशानी होती है. स्वास्थ्य संस्थानों में डॉक्टर्स व पैरामेडिकल स्टाफ की कमी है.

कांग्रेस सदस्य धनीराम शांडिल ने स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने की वकालत की.उन्होंने कोरोना योद्धाओं को सम्मानित करने की मांग की. रोहड़ू के विधायक मोहन लाल ब्राक्टा ने अपने निर्वाचन क्षेत्र से जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को उठाया. उन्होंने कहा कि रोहड़ू अस्पताल में सर्जन तो हैं, लेकिन एनेस्थीजिया का विशेषज्ञ न होने से ये सर्जन पंगु हैं. रोहड़ू में रेडियोलॉजिस्ट भी नहीं है.

डॉक्टर्स के दस पद खाली हैं

इसी तरह कुल्लू के विधायक सुंदर ठाकुर ने कहा कि बार-बार सरकार के ध्यान में लाने के बावजूद कुल्लू अस्पताल की दशा नहीं सुधरी. कुल्लू अस्पताल में न सर्जन है और न ही बाल रोग विशेषज्ञ. स्त्री रोग विशेषज्ञ भी एक ही है. डॉक्टर्स के दस पद खाली हैं. सुंदर ठाकुर ने कहा कि उन्होंने अपनी विधायक निधि से कोरोना काल में दो एंबुलेंस उपलब्ध करवाई. उन्होंने कहा कि डेढ़ साल से कुल्लू अस्तपाल में कीमोथैरेपी नहीं हो रही. उन्होंने सीएचसी तेगुबेहड़ व मनाली की बदहाली का जिक्र किया और कहा कि यदि बार-बार कहने पर भी व्यवस्था नहीं सुधरी तो आंदोलन किया जाएगा.

वहीं, उन्होंने सरकार से मांग की कि नेरचौक से रोस्टर पर डॉक्टर्स कुल्लू आएं और सर्जरी वगैरा करें. नालागढ़ के विधायक लखविंदर राणा ने ट्रॉमा सेंटर स्थापित करने को कहा. उन्होंने कहा कि 2019 में उनके निर्वाचन क्षेत्र में 169 दुर्घटनाओं में 228 लोग घायल हुए. ट्रामा सेंटर होता तो घायलों को बचाया जा सकता है. शिमला ग्रामीण के विधायक विक्रमादित्य सिंह ने नेफरोलॉजी के विशेषज्ञ के एम्स बिलासपुर जाने का मामला उठाया और सरकार से जवाब मांगा. उन्होंने सुन्नी अस्पताल में खाली पदों को भरने के लिए कहा और ज्वालामुखी अस्पताल की दुर्दशा पर भी ध्यान खींचा.

माकपा विधायक राकेश सिंघा ने कोरोना काल में हुई खरीद की जांच करने की मांग उठाई. चूंकि कटौती प्रस्ताव पर 3 बजे गिलोटिन लगने का समय तय किया गया था, लिहाजा अपने जवाब में स्वास्थ्य मंत्री राजीव सैजल ने चर्चा में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के सुझावों पर गौर करने की बात कही. उन्होंने कहा कि डॉक्टर्स के पद नियमित रूप से भरे जा रहे हैं. उन्होंने कोरोना से निपटने में नरेंद्र मोदी सरकार व प्रदेश सरकार के प्रयासों को भी सराहा.

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