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जयराम सरकार ने चीफ व्हिप पद पर नरेंद्र बरागटा को किया था नियुक्त, अब HC ने मांगा जवाब - शिमला

सचेतक का पद मंत्री के पद के बराबर है हालांकि उसे मंत्री नहीं कहा जाता मगर उसे वो सभी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं जो एक मंत्री को प्रदान की जाती हैं.

हिमाचल हाईकोर्ट व नरेंद्र बरागटा (डिजाइन फोटो)
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Published : May 30, 2019, 7:58 PM IST

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा शिमला जिला के कोटखाई से विधायक व पूर्व बागवानी मंत्री नरेंद्र बरागटा की चीफ व्हिप के पद पर नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका में राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

पढ़ें- हिमाचल हाईकोर्ट को मिले 2 जज, अनूप चिटकारा व ज्योत्सना रिवाल ने ली शपथ

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश धर्मचंद चौधरी व न्यायाधीश ज्योत्सना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने टेक चंद व अन्य तीन प्रार्थियों द्वारा दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान ये आदेश पारित किए हैं. प्रार्थियों ने सचेतक के वेतन भत्ते और अन्य सुविधाएं अधिनियम 2018 को असंवैधानिक घोषित करने की गुहार लगाई है.

Narendra Baragata
नरेंद्र बरागटा (फाइल फोटो)

25 सितंबर 2018 को जारी अधिसूचना को रद्द करने की भी मांग की गई है. जिसके तहत नरेंद्र बरागटा को चीफ व्हिप के पद पर नियुक्त किया गया है. जो सैलरी व अन्य लाभ नरेंद्र बरागटा को आज तक प्रदान किये गए हैं, उनको उनसे वसूलने की मांग भी की है.

himachal HC
हिमाचल हाईकोर्ट

याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार वर्तमान समय में मुख्यमंत्री को मिला कर 12 मंत्री तैनात किए गए हैं. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 में किए गए संशोधन के मुताबिक किसी भी प्रदेश में मंत्रियों की संख्या विधायकों की कुल संख्या का 15 फीसदी से अधिक नहीं हो सकती.

पढ़ें- स्मार्ट ड्रेस में दिखेंगे स्कूली छात्र, वर्दी आवंटन प्रक्रिया शुरू

राज्य सरकार ने सैलरी एलाउंसेस एंड अदर बेनिफिट्स ऑफ चीफ व्हिप एंड डिप्टी चीफ व्हिप इन लेजिसलेटिव असेंबली ऑफ हिमाचल प्रदेश एक्ट 2018 बनाया है. जिसके तहत मुख्य सचेतक व उप मुख्य सचेतक की नियुक्ति करने बाबत प्रावधान बनाया गया है. इन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्रदान करने का प्रावधान बनाया गया है. मंत्रियों के लिए निर्धारित की गई संख्या सीमा पूरी करने के बाद ये पद निर्धारित संख्या से ज्यादा हो गया है.

himachal HC
हिमाचल हाईकोर्ट व नरेंद्र बरागटा (डिजाइन फोटो)

सचेतक का पद मंत्री के पद के बराबर है हालांकि उसे मंत्री नहीं कहा जाता मगर उसे वो सभी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं जो एक मंत्री को प्रदान की जाती हैं. प्रार्थियों ने सचेतक की नियुक्ति को भारतीय संविधान के प्रावधानों के विपरीत कहते हुए इसे रद्द करने की गुहार लगाई है. मामले पर सुनवाई 29 जुलाई को निर्धारित की गई है.

पढ़ें- टीम मोदी के चेहरे होंगे अनुराग, PMO से आया फोन

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा शिमला जिला के कोटखाई से विधायक व पूर्व बागवानी मंत्री नरेंद्र बरागटा की चीफ व्हिप के पद पर नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका में राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

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Narendra Baragata
नरेंद्र बरागटा (फाइल फोटो)

25 सितंबर 2018 को जारी अधिसूचना को रद्द करने की भी मांग की गई है. जिसके तहत नरेंद्र बरागटा को चीफ व्हिप के पद पर नियुक्त किया गया है. जो सैलरी व अन्य लाभ नरेंद्र बरागटा को आज तक प्रदान किये गए हैं, उनको उनसे वसूलने की मांग भी की है.

himachal HC
हिमाचल हाईकोर्ट

याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार वर्तमान समय में मुख्यमंत्री को मिला कर 12 मंत्री तैनात किए गए हैं. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 में किए गए संशोधन के मुताबिक किसी भी प्रदेश में मंत्रियों की संख्या विधायकों की कुल संख्या का 15 फीसदी से अधिक नहीं हो सकती.

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राज्य सरकार ने सैलरी एलाउंसेस एंड अदर बेनिफिट्स ऑफ चीफ व्हिप एंड डिप्टी चीफ व्हिप इन लेजिसलेटिव असेंबली ऑफ हिमाचल प्रदेश एक्ट 2018 बनाया है. जिसके तहत मुख्य सचेतक व उप मुख्य सचेतक की नियुक्ति करने बाबत प्रावधान बनाया गया है. इन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्रदान करने का प्रावधान बनाया गया है. मंत्रियों के लिए निर्धारित की गई संख्या सीमा पूरी करने के बाद ये पद निर्धारित संख्या से ज्यादा हो गया है.

himachal HC
हिमाचल हाईकोर्ट व नरेंद्र बरागटा (डिजाइन फोटो)

सचेतक का पद मंत्री के पद के बराबर है हालांकि उसे मंत्री नहीं कहा जाता मगर उसे वो सभी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं जो एक मंत्री को प्रदान की जाती हैं. प्रार्थियों ने सचेतक की नियुक्ति को भारतीय संविधान के प्रावधानों के विपरीत कहते हुए इसे रद्द करने की गुहार लगाई है. मामले पर सुनवाई 29 जुलाई को निर्धारित की गई है.

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प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा शिमला जिला के कोटखाई से विधायक व पूर्व बागवानी मंत्री नरेंद्र बरागटा की चीफ व्हिप के पद पर नियुक्ति को चुनोती देने वाली याचिका में राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जबाब मांगा है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश धर्मचंद चौधरी व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने टेक चंद व अन्य तीन प्रार्थियों द्वारा दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान ये आदेश पारित किए।  प्रार्थियों ने सचेतक के वेतन भत्ते और अन्य सुविधाएं अधिनियम 2018 को असंवैधानिक घोषित करने की गुहार लगाई है।  25 सितंबर 2018 को जारी अधिसूचना को रद्द किया करने की  भी मांग की है जिसके तहत नरेंद्र बरागटा को चीफ व्हिप के पद पर नियुक्त किया गया है। जो सैलरी व अन्य लाभ नरेंद्र बरागटा को आज तक प्रदान किये गए है उनको उनसे वसूलने की मांग भी की है। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार वर्तमान समय में मुख्यमंत्री को मिला कर 12 मंत्री तैनात किए गए हैं ।भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 में किए गए संशोधन के मुताबिक किसी भी प्रदेश में मंत्रियों की संख्या विधायकों की कुल संख्या का 15 फ़ीसदी से अधिक नहीं हो सकती। राज्य सरकार ने सैलरी एलाउंसेस एंड अदर बेनिफिट्स ऑफ चीफ व्हिप एंड डिप्टी चीफ व्हिप इन लेजिसलेटिव असेंबली ऑफ हिमाचल प्रदेश एक्ट 2018 बनाया है जिसके तहत मुख्य सचेतक व उप मुख्य सचेतक की नियुक्ति करने बाबत प्रावधान बनाया गया है। इन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्रदान करने का प्राबधान बनाया गया है। मंत्रियों के लिए निर्धारित की गई संख्या सीमा पूरी करने के पश्चात यह पद निर्धारित संख्या से ज्यादा हो गया हैं। सचेतक का पद मंत्री के पद के बराबर है हालांकि उसे मंत्री नहीं कहा जाता मगर उसे सभी वहीं सुविधाएं प्रदान की जाती है जो एक मंत्री को प्रदान की जाती है। प्रार्थियों ने सचेतक की नियुक्ति को भारतीय संविधान के प्रावधानों के विपरीत कहते हुए इसे रदद करने की गुहार लगाई है। मामले पर सुनवाई 29 जुलाई को निर्धारित की गई है।  
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