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डॉक्टर्स ने नवजात को दी नई जिंदगी, डिलीवरी के बाद चल बसी थी कोरोना संक्रमित मां

बीते 9 सितंबर को कुमारहट्टी के एमएमयू अस्पताल में कोरोना पॉजिटिव महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया था. जन्म लेते ही बच्चे की मां की मौत हो गई थी. वहीं, बच्चे के पिता भी कोरोना पॉजिटिव थे. आईजीएमसी के बाल रोग विभाग ने मात्र 1200 ग्राम के एक बच्चे को ना केवल 17 दिनों तक संभाला, बल्कि उस बच्चे की ऐसी देखभाल की कि अब उसका वजन 1700 ग्राम हो गया है. शनिवार को बच्चे को परिजनों को सौंपा गया.

Doctors save the life of a newborn in shimla
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Published : Sep 26, 2020, 9:13 PM IST

Updated : Sep 27, 2020, 5:51 PM IST

शिमला: कोरोना संकट के दौरान एक मां कोरोना से जंग तो हार गयी, लेकिन उसकी ममता जंग जीत गई. धरती के भगवान कहे जाने वाले चिकित्सकों ने नवजात बच्चे को नई जिंदगी दी और शनिवार को बच्चे को अस्पताल डिस्चार्ज कर दिया.

बीते 9 सितंबर को कुमारहट्टी के एमएमयू अस्पताल में कोरोना पॉजिटिव महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया था. जन्म लेते ही बच्चे की मां की मौत हो गई थी. वहीं बच्चे के पिता परवाणू में दर्जी का काम करते हैं वह भी कोरोना पॉजिटिव थे. वह यूपी के रहने वाले हैं और यहां पर उनकी देखभाल करने के लिए कोई रिश्तेदार नहीं था.

वीडियो.

एमएमयू में बच्चे की देखभाल करने के लिए पर्याप्त सुविधा नहीं थी, ऐसे में उन्होंने आईजीएमसी के डॉक्टरों से संपर्क साधा. आईजीएमसी के बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ. अश्विनी सूद ने इसे चैलेंज की तरह लिया और यहां पर बच्चे की 17 दिन तक रखकर उसकी बेहतर देखभाल की.

आईजीएमसी के बाल रोग विभाग ने मात्र 1200 ग्राम के एक बच्चे को ना केवल 17 दिनों तक संभाला, बल्कि उस बच्चे की ऐसी देखभाल की. अब बच्चे का वजन 1700 ग्राम हो गया है. अस्पताल ने अब बच्चे को परिजनों को सौंप दिया है.

इस दौरान डॉक्टरों ने एक प्रेसवार्ता भी की. आईजीएमसी प्रधानाचार्य डॉ. रजनीश पठानिया ने कहा कि उनके पास सबसे बड़ा चैलेंज था कि बच्चे के माता-पिता दोनों कोरोना पॉजिटिव थे. बच्चे की रिपोर्ट आने तक उसे आइसोलेशन में रखा गया था. उसके बाद उसे निकू में शिफ्ट किया गया. यहां पर बच्चे की प्रॉपर देखभाल की गई. उसे पाइप के जरिए दूध दिया गया. 12-12 घंटे डॉक्टर और नर्सें उसके पास रही.

इसलिए कम था वजन

आईजीएमसी पेडियाट्रिक्स विभागाध्यक्ष डॉ. अश्विनी सूद ने बताया कि बच्चे का जन्म समय से पहले सिजेरियन से हुआ था. इसलिए वजन कम रहा. उन्होंने कहा कि यहां पर पहले तीन दिन तक रेजिडेंट डॉ. सचिन ने बच्चे की पूरी देखभाल की.

उन्होंने कहा कि बच्चे के पिता जब निगेटिव आए तो उन्हें दो दिन तक यहां पर बच्चे को गिलास से दूध पिलाना भी सिखाया, ताकि बिन मां के बच्चे को पालने में उन्हें कोई परेशानी ना आए.

आईजीएमसी के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. जनकराज ने कहा कि आईजीएमसी हर तरह के चैलेंज के लिए तैयार है. यहां के डॉक्टर दिनरात मरीजों खासकर कोरोना पॉजिटिव की सेवा में लगे हैं. उन्होंने कहा कि बच्चे के पिता को बच्चा सौंपते हुए काफी खुशी महसूस हुई.

शिमला: कोरोना संकट के दौरान एक मां कोरोना से जंग तो हार गयी, लेकिन उसकी ममता जंग जीत गई. धरती के भगवान कहे जाने वाले चिकित्सकों ने नवजात बच्चे को नई जिंदगी दी और शनिवार को बच्चे को अस्पताल डिस्चार्ज कर दिया.

बीते 9 सितंबर को कुमारहट्टी के एमएमयू अस्पताल में कोरोना पॉजिटिव महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया था. जन्म लेते ही बच्चे की मां की मौत हो गई थी. वहीं बच्चे के पिता परवाणू में दर्जी का काम करते हैं वह भी कोरोना पॉजिटिव थे. वह यूपी के रहने वाले हैं और यहां पर उनकी देखभाल करने के लिए कोई रिश्तेदार नहीं था.

वीडियो.

एमएमयू में बच्चे की देखभाल करने के लिए पर्याप्त सुविधा नहीं थी, ऐसे में उन्होंने आईजीएमसी के डॉक्टरों से संपर्क साधा. आईजीएमसी के बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ. अश्विनी सूद ने इसे चैलेंज की तरह लिया और यहां पर बच्चे की 17 दिन तक रखकर उसकी बेहतर देखभाल की.

आईजीएमसी के बाल रोग विभाग ने मात्र 1200 ग्राम के एक बच्चे को ना केवल 17 दिनों तक संभाला, बल्कि उस बच्चे की ऐसी देखभाल की. अब बच्चे का वजन 1700 ग्राम हो गया है. अस्पताल ने अब बच्चे को परिजनों को सौंप दिया है.

इस दौरान डॉक्टरों ने एक प्रेसवार्ता भी की. आईजीएमसी प्रधानाचार्य डॉ. रजनीश पठानिया ने कहा कि उनके पास सबसे बड़ा चैलेंज था कि बच्चे के माता-पिता दोनों कोरोना पॉजिटिव थे. बच्चे की रिपोर्ट आने तक उसे आइसोलेशन में रखा गया था. उसके बाद उसे निकू में शिफ्ट किया गया. यहां पर बच्चे की प्रॉपर देखभाल की गई. उसे पाइप के जरिए दूध दिया गया. 12-12 घंटे डॉक्टर और नर्सें उसके पास रही.

इसलिए कम था वजन

आईजीएमसी पेडियाट्रिक्स विभागाध्यक्ष डॉ. अश्विनी सूद ने बताया कि बच्चे का जन्म समय से पहले सिजेरियन से हुआ था. इसलिए वजन कम रहा. उन्होंने कहा कि यहां पर पहले तीन दिन तक रेजिडेंट डॉ. सचिन ने बच्चे की पूरी देखभाल की.

उन्होंने कहा कि बच्चे के पिता जब निगेटिव आए तो उन्हें दो दिन तक यहां पर बच्चे को गिलास से दूध पिलाना भी सिखाया, ताकि बिन मां के बच्चे को पालने में उन्हें कोई परेशानी ना आए.

आईजीएमसी के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. जनकराज ने कहा कि आईजीएमसी हर तरह के चैलेंज के लिए तैयार है. यहां के डॉक्टर दिनरात मरीजों खासकर कोरोना पॉजिटिव की सेवा में लगे हैं. उन्होंने कहा कि बच्चे के पिता को बच्चा सौंपते हुए काफी खुशी महसूस हुई.

Last Updated : Sep 27, 2020, 5:51 PM IST
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