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साइबर ठगों का नया हथियार, ई-वॉलेट और फेक आइडेंटिटी से लोगों को बना रहे शिकार

साइबर ठग भी इंटरनेट के इस जमाने में लोगों को ठगने के नए-नए रास्ते खोज रहे हैं. साइबर ठगी के ऐसे कई मामले हैं जिनके सामने फिल्मी कहानी भी फीकी लगने लगेगी. ठग हर रोज ठगी के नए-नए हथकंडे अपनाते हैं. ऐसे में लोगों को सर्तक रहने की जरूरत होती है. इंटरनेट का इस्तेमाल करते हुए भी सतर्कता बरतें, खासकर जब ये आपके बैंक खाते से जुड़ा हुआ हो. बैंक खाते से जुड़ी जानकारी ओटीपी, सीवीवी, डेबिट कार्ड की डिटेल किसी को भी ना दें.

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Published : Dec 4, 2020, 10:11 PM IST

Cyber crime with e wallet
साइबर क्राइम.

शिमला: कोरोना काल में इंटरनेट का इस्तेमाल अधिक बढ़ा है. बड़ी कंपनियां अपने इम्पलोई से वर्क फ्रॉम होम करवा रही हैं. इसी तरह घर बैठे ही अपनी सहूलियत के लिए पैसों के लेन-देन का तरीका भी काफी हद तक बदला है. लोग डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा दे रहे हैं. इसी कड़ी में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में भी बढ़ोतरी हुई है.

इंटरनेट के इस्तेमाल के साथ-साथ साइबर क्राइम का जाल देश और दुनिया में लगातार फैलता जा रहा है और इस जाल में रोजाना कई लोग फंसते हैं. साइबर ठग भी इंटरनेट के इस जमाने में लोगों को ठगने के नए-नए रास्ते खोज रहे हैं.

हिमाचल प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान साइबर ठग फेक आइडेंटिटी और सिम क्लोनिंग के जरिए लोगों को लाखों का चूना लगा रहे हैं. साइबर क्राइम एएसपी नरवीर सिंह राठौर ने बताया कि हिमाचल में साइबर ठग अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञों को निशाना बना रहे हैं, इनमें वकील और डॉक्टर भी शामिल हैं.

एएसपी नरवीर सिंह राठौर ने बताया कि हाईकोर्ट के एक वरिष्ठ वकील ने उनके पास ईमेल के माध्यम से शिकायत भेजी की उनके एसबीआई बैंक खाते से और यूको बैंक के खाते से करीब एक लाख 40 हजार रुपये गायब हो गए हैं.

एएसपी ने कहा कि शिकायतकर्ता से बातचीत के दौरान जब पूरे मामले की तह तक गए तो यह मामला फेक आइडेंटिटी और सिम क्लोनिंग का सहारा लेकर ठगी करने का था.

वीडियो.

क्या था मामला ?

शिकायतकर्ता से पूछताछ में पता चला कि एक व्यक्ति हिमाचल हाइकोर्ट के वरिष्ठ वकील को फोन करता है और कहता है कि उनका कोई करीबी किसी अपराध में पकड़ा गया है और मामला हिमाचल हाईकोर्ट में लगा है. हमारी हिमाचल हाइकोर्ट में कोई खास जान पहचान नहीं है. कुछ लोगों से बातचीत कर पता चला कि आप अच्छे वकील हैं, जिसके कारण में इस केस में आपको बतौर वकील चाहता हूं.

Cyber crime with e wallet
ये था पूरा मामला.

आरोपी ने खुद को भारतीय सेना का अधिकारी बताया और व्हाट्सएप पर अपना पहचान पत्र और कैंटीन कार्ड इत्यादि के फोटो भेजे जिससे ये सिद्ध हो गया कि वह भारतीय सेना में बड़े रैंक पर कार्य करता है. इसके अलावा इस व्यक्ति ने व्हाट्सएप पर ही भारतीय सेना के अधिकारी की ड्रेस पहने अपना फोटो भी भेजा.

आरोपी ने पीड़ित से कहा कि वह आर्मी में है और उसे कोर्ट के मामलों का अधिक ज्ञान नहीं है. आप इस मामले में मेरे रिश्तेदार का पक्ष कोर्ट में मजबूत तरीके से रखें, इसके लिए हम आपको पूरी फीस अदा करेंगे. शातिर ने वकील से अकाउंट नंबर लिए, जिनमें फीस डाली जा सके.

शातिर ने कहा कि वह हिमाचल प्रदेश नहीं आ सकेगा, क्योंकि वह इस वक्त ड्यूटी पर मौजूद है इसलिए अकाउंट नंबर में पैसे जमा कर सकेंगे. वकील इस पर राजी हो गया और उसने अपने दो अकाउंट नंबर जोकि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया तथा यूको बैंक में शिमला में ही स्थित है शातिर को व्हाट्सएप कर दिए.

इसके बाद शातिर ने दोनों अकाउंट में बहुत ही कम राशि डाली और वकील से बात की जिसके बाद कुछ तकनीकी खराबी का हवाला दिया और सोशल इंजीनियरिंग के माध्यम से वकील से उसके फोन पर आए ओटीपी मांगे.

वकील ने दोनों ओटीपी आरोपी को बता दिए जिसके कुछ ही देर बाद वकील के अकाउंट से करीब 1 लाख 40 हजार की राशि गायब हो गई. उसके बाद वकील ने शिमला स्थित साइबर क्राइम पुलिस थाने की मेल आईडी पर शिकायत भेजी.

साइबर क्राइम सेल ने कैसे की रिकवरी

एसपी नरवीर सिंह राठौर ने कहा कि मेल मिलने पर हमने त्वरित कार्रवाई शुरू कर दी. वकील से पूरी बात पूछी और दोनों बैंक की शाखाओं में संपर्क किया. बैंक में संपर्क करने से पता चला कि इन दोनों अकाउंट से राशि किसी मॉविक्विड ई-वॉलेट मैं ट्रांसफर हुई है और यह सारी ट्रांजैक्शन ऑनलाइन मोबाइल नंबर की सहायता से ओटीपी से हुई है.

Cyber crime with e wallet
साइबर पुलिस ने कैसे की रिकवरी.

जिसके बाद पुलिस टीम ने मॉविक्विड ई-वॉलेट के मुख्यालय में संपर्क किया और उस अकाउंट को फ्रीज करवा दिया. जिसमें आरोपी इस राशि को इन अकाउंट से नहीं निकाल सके.

एसपी ने कहा कि इसके बाद हमने कानूनी औपचारिकताओं को पूरा किया और मॉविक्विड कंपनी के प्रबधंन को यह सिद्ध किया कि यह राशि अनैतिक तरीके से किसी अन्य बैंक एकाउंट से निकली गयी है. इसलिए इन बैंक एकाउंट में यह राशि वापिस भेज दी जाए. जिसके बाद उन्होंने यह राशि वापिस भेज दी.

आरोपी पुलिस की पहुंच से दूर

एएसपी साइबर क्राइम ने कहा कि मॉविक्विड एक पेमेंट गेटवे है, जिसमें मोबाइल नंबर के माध्यम से एकाउंट खोला जा सकता है. साइबर ठग इस बात का लाभ उठाकर फर्जी प्रमाणपत्र के माध्यम से एकाउंट खोलते हैं.

इस मामले में भी आरोपी ने जिस एड्रेस प्रूफ के आधार पर मोबाइल नंबर लिया था वह राजस्थान का था, लेकिन जब उस स्थान पर पुलिस पहुंची तो पता गलत निकला. जिसके कारण आरोपी पहुंच से बाहर हो गए.

एएसपी ने कहा कि हिमाचल से भारी संख्या में युवक सेना में तैनात हैं और अच्छी तरह से सेना के जवानों की सामाजिक मजबूरियों को जानते हैं. जिस कारण एक सहानुभूति वास्तविक तौर पर सैनिक से बन जाती है. इसका लाभ उठाकर शातिर नकली पहचान पत्र के सहारे पहले विश्वास जीतते हैं, फिर बैंक अकाउंट की जानकारी लेते हैं और फिर एकाउंट खाली कर देते हैं.

एएसपी ने कहा कि यदि आपको लगता है आप ठगी का शिकार हो गए हैं तो तुरंत साइबर हेडक्वार्टर संपर्क करें, ताकि जल्द से जल्द आपका पैसा बचाया जा सके. इसके बाद आगे की कार्रवाई अमल में लाई जाती है.

उन्होंने कहा कि इस प्रकार की ठगी से बचने के लिए किसी भी व्यक्ति को अपनी वित्तीय मामलों की जानकारी ना दें. जो भी हो कभी ओटीपी शेयर ना करें. आजकल ऐसे बहुत से साधन आ गए हैं जिनकी सहायता से आरोपी केवल ओटीपी की सहायता से आपके पैसे उड़ा जे जाता है.

ये भी पढ़ेंः टोल फ्री नंबर और मोबाइल सिम है साइबर ठगों का हथियार, पल भर में हो सकते हैं कंगाल

शिमला: कोरोना काल में इंटरनेट का इस्तेमाल अधिक बढ़ा है. बड़ी कंपनियां अपने इम्पलोई से वर्क फ्रॉम होम करवा रही हैं. इसी तरह घर बैठे ही अपनी सहूलियत के लिए पैसों के लेन-देन का तरीका भी काफी हद तक बदला है. लोग डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा दे रहे हैं. इसी कड़ी में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में भी बढ़ोतरी हुई है.

इंटरनेट के इस्तेमाल के साथ-साथ साइबर क्राइम का जाल देश और दुनिया में लगातार फैलता जा रहा है और इस जाल में रोजाना कई लोग फंसते हैं. साइबर ठग भी इंटरनेट के इस जमाने में लोगों को ठगने के नए-नए रास्ते खोज रहे हैं.

हिमाचल प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान साइबर ठग फेक आइडेंटिटी और सिम क्लोनिंग के जरिए लोगों को लाखों का चूना लगा रहे हैं. साइबर क्राइम एएसपी नरवीर सिंह राठौर ने बताया कि हिमाचल में साइबर ठग अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञों को निशाना बना रहे हैं, इनमें वकील और डॉक्टर भी शामिल हैं.

एएसपी नरवीर सिंह राठौर ने बताया कि हाईकोर्ट के एक वरिष्ठ वकील ने उनके पास ईमेल के माध्यम से शिकायत भेजी की उनके एसबीआई बैंक खाते से और यूको बैंक के खाते से करीब एक लाख 40 हजार रुपये गायब हो गए हैं.

एएसपी ने कहा कि शिकायतकर्ता से बातचीत के दौरान जब पूरे मामले की तह तक गए तो यह मामला फेक आइडेंटिटी और सिम क्लोनिंग का सहारा लेकर ठगी करने का था.

वीडियो.

क्या था मामला ?

शिकायतकर्ता से पूछताछ में पता चला कि एक व्यक्ति हिमाचल हाइकोर्ट के वरिष्ठ वकील को फोन करता है और कहता है कि उनका कोई करीबी किसी अपराध में पकड़ा गया है और मामला हिमाचल हाईकोर्ट में लगा है. हमारी हिमाचल हाइकोर्ट में कोई खास जान पहचान नहीं है. कुछ लोगों से बातचीत कर पता चला कि आप अच्छे वकील हैं, जिसके कारण में इस केस में आपको बतौर वकील चाहता हूं.

Cyber crime with e wallet
ये था पूरा मामला.

आरोपी ने खुद को भारतीय सेना का अधिकारी बताया और व्हाट्सएप पर अपना पहचान पत्र और कैंटीन कार्ड इत्यादि के फोटो भेजे जिससे ये सिद्ध हो गया कि वह भारतीय सेना में बड़े रैंक पर कार्य करता है. इसके अलावा इस व्यक्ति ने व्हाट्सएप पर ही भारतीय सेना के अधिकारी की ड्रेस पहने अपना फोटो भी भेजा.

आरोपी ने पीड़ित से कहा कि वह आर्मी में है और उसे कोर्ट के मामलों का अधिक ज्ञान नहीं है. आप इस मामले में मेरे रिश्तेदार का पक्ष कोर्ट में मजबूत तरीके से रखें, इसके लिए हम आपको पूरी फीस अदा करेंगे. शातिर ने वकील से अकाउंट नंबर लिए, जिनमें फीस डाली जा सके.

शातिर ने कहा कि वह हिमाचल प्रदेश नहीं आ सकेगा, क्योंकि वह इस वक्त ड्यूटी पर मौजूद है इसलिए अकाउंट नंबर में पैसे जमा कर सकेंगे. वकील इस पर राजी हो गया और उसने अपने दो अकाउंट नंबर जोकि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया तथा यूको बैंक में शिमला में ही स्थित है शातिर को व्हाट्सएप कर दिए.

इसके बाद शातिर ने दोनों अकाउंट में बहुत ही कम राशि डाली और वकील से बात की जिसके बाद कुछ तकनीकी खराबी का हवाला दिया और सोशल इंजीनियरिंग के माध्यम से वकील से उसके फोन पर आए ओटीपी मांगे.

वकील ने दोनों ओटीपी आरोपी को बता दिए जिसके कुछ ही देर बाद वकील के अकाउंट से करीब 1 लाख 40 हजार की राशि गायब हो गई. उसके बाद वकील ने शिमला स्थित साइबर क्राइम पुलिस थाने की मेल आईडी पर शिकायत भेजी.

साइबर क्राइम सेल ने कैसे की रिकवरी

एसपी नरवीर सिंह राठौर ने कहा कि मेल मिलने पर हमने त्वरित कार्रवाई शुरू कर दी. वकील से पूरी बात पूछी और दोनों बैंक की शाखाओं में संपर्क किया. बैंक में संपर्क करने से पता चला कि इन दोनों अकाउंट से राशि किसी मॉविक्विड ई-वॉलेट मैं ट्रांसफर हुई है और यह सारी ट्रांजैक्शन ऑनलाइन मोबाइल नंबर की सहायता से ओटीपी से हुई है.

Cyber crime with e wallet
साइबर पुलिस ने कैसे की रिकवरी.

जिसके बाद पुलिस टीम ने मॉविक्विड ई-वॉलेट के मुख्यालय में संपर्क किया और उस अकाउंट को फ्रीज करवा दिया. जिसमें आरोपी इस राशि को इन अकाउंट से नहीं निकाल सके.

एसपी ने कहा कि इसके बाद हमने कानूनी औपचारिकताओं को पूरा किया और मॉविक्विड कंपनी के प्रबधंन को यह सिद्ध किया कि यह राशि अनैतिक तरीके से किसी अन्य बैंक एकाउंट से निकली गयी है. इसलिए इन बैंक एकाउंट में यह राशि वापिस भेज दी जाए. जिसके बाद उन्होंने यह राशि वापिस भेज दी.

आरोपी पुलिस की पहुंच से दूर

एएसपी साइबर क्राइम ने कहा कि मॉविक्विड एक पेमेंट गेटवे है, जिसमें मोबाइल नंबर के माध्यम से एकाउंट खोला जा सकता है. साइबर ठग इस बात का लाभ उठाकर फर्जी प्रमाणपत्र के माध्यम से एकाउंट खोलते हैं.

इस मामले में भी आरोपी ने जिस एड्रेस प्रूफ के आधार पर मोबाइल नंबर लिया था वह राजस्थान का था, लेकिन जब उस स्थान पर पुलिस पहुंची तो पता गलत निकला. जिसके कारण आरोपी पहुंच से बाहर हो गए.

एएसपी ने कहा कि हिमाचल से भारी संख्या में युवक सेना में तैनात हैं और अच्छी तरह से सेना के जवानों की सामाजिक मजबूरियों को जानते हैं. जिस कारण एक सहानुभूति वास्तविक तौर पर सैनिक से बन जाती है. इसका लाभ उठाकर शातिर नकली पहचान पत्र के सहारे पहले विश्वास जीतते हैं, फिर बैंक अकाउंट की जानकारी लेते हैं और फिर एकाउंट खाली कर देते हैं.

एएसपी ने कहा कि यदि आपको लगता है आप ठगी का शिकार हो गए हैं तो तुरंत साइबर हेडक्वार्टर संपर्क करें, ताकि जल्द से जल्द आपका पैसा बचाया जा सके. इसके बाद आगे की कार्रवाई अमल में लाई जाती है.

उन्होंने कहा कि इस प्रकार की ठगी से बचने के लिए किसी भी व्यक्ति को अपनी वित्तीय मामलों की जानकारी ना दें. जो भी हो कभी ओटीपी शेयर ना करें. आजकल ऐसे बहुत से साधन आ गए हैं जिनकी सहायता से आरोपी केवल ओटीपी की सहायता से आपके पैसे उड़ा जे जाता है.

ये भी पढ़ेंः टोल फ्री नंबर और मोबाइल सिम है साइबर ठगों का हथियार, पल भर में हो सकते हैं कंगाल

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