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रामपुर में सीपीएम का बढ़ती महंगाई को लेकर रोष प्रदर्शन, भाजपा पर लगाए गंभीर आरोप - पेट्रोलियम कंपनी

बढ़ती महंगाई को लेकर रामपुर में सीपीएम ने रोष प्रदर्शन किया. सीपीएम का कहना है कि भाजपा देश को लगातार निजी हाथों में बेचने को लगी हुई है.

बढ़ती महंगाई को लेकर रामपुर में सीपीएम का रोष प्रदर्शन
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Published : Oct 21, 2019, 9:55 PM IST

रामपुर: राजधानी शिमला के रामपुर में सीपीएम ने राष्ट्रीय आह्वान पर बढ़ती महंगाई को लेकर रोष प्रदर्शन किया. सीपीएम का कहना है कि देश के सत्तासीन भाजपा, संघ की नीतियों को लागू करने में लगी हुई है और देश को लगातार निजी हाथों में बेचने की ओर बढ़ रही है. देश के बड़े सार्वजनिक प्रतिष्ठान लगातार पूंजीपतियों के हवाले किए जा रहे, जिससे सरकारी क्षेत्र में दिन व दिन रोजगार खत्म होता जा रहा है. देश में वित्तीय संस्थान लगातार घाटे में जा रहे हैं उनका एनपीए लगातार बढ़ता जा रहा है.

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एक ओर जहां पूंजीपतियों के आम जनता की जमा पूंजी पर दिए ऋण माफ किए जा रहे हैं. वहीं उनकी जमा पूंजी की सुरक्षा की गारंटी भी नहीं ली जा रही है. देश में मुनाफा कमाने वाली पेट्रोलियम कंपनियों और सार्वजनिक सम्पतियों को बेचा जा रहा है. देश में सुरक्षा उपकरण बनाने वाली एचएएल कंगाली के दौर से गुजर रही है. एक ओर कर्मचारियों को देने के लिए पैसे नहीं है तो वहीं दूसरी तरफ सुरक्षा उपकरण बनाने की जिम्मेदारी निजी क्षेत्र में दी रही है, जो देश के हित में सही नहीं है.

सीपीएम की मांग है कि महंगाई पर तुरंत रोक लगाई जाए और देश मे मंदी के कारण बंद होने वाले उद्योगों से बेरोजगार हो रहे लोगों को मुआवजा दिया जाए. कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन को 21 हजार किया जाए. वृद्धा पेंशन को न्यूनतम तीन हजार रुपये किया जाए और पूंजीवादियों को वित्तीय मदद बंद की जाए. मनरेगा के तहत ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध करवाया जाए.

रामपुर: राजधानी शिमला के रामपुर में सीपीएम ने राष्ट्रीय आह्वान पर बढ़ती महंगाई को लेकर रोष प्रदर्शन किया. सीपीएम का कहना है कि देश के सत्तासीन भाजपा, संघ की नीतियों को लागू करने में लगी हुई है और देश को लगातार निजी हाथों में बेचने की ओर बढ़ रही है. देश के बड़े सार्वजनिक प्रतिष्ठान लगातार पूंजीपतियों के हवाले किए जा रहे, जिससे सरकारी क्षेत्र में दिन व दिन रोजगार खत्म होता जा रहा है. देश में वित्तीय संस्थान लगातार घाटे में जा रहे हैं उनका एनपीए लगातार बढ़ता जा रहा है.

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एक ओर जहां पूंजीपतियों के आम जनता की जमा पूंजी पर दिए ऋण माफ किए जा रहे हैं. वहीं उनकी जमा पूंजी की सुरक्षा की गारंटी भी नहीं ली जा रही है. देश में मुनाफा कमाने वाली पेट्रोलियम कंपनियों और सार्वजनिक सम्पतियों को बेचा जा रहा है. देश में सुरक्षा उपकरण बनाने वाली एचएएल कंगाली के दौर से गुजर रही है. एक ओर कर्मचारियों को देने के लिए पैसे नहीं है तो वहीं दूसरी तरफ सुरक्षा उपकरण बनाने की जिम्मेदारी निजी क्षेत्र में दी रही है, जो देश के हित में सही नहीं है.

सीपीएम की मांग है कि महंगाई पर तुरंत रोक लगाई जाए और देश मे मंदी के कारण बंद होने वाले उद्योगों से बेरोजगार हो रहे लोगों को मुआवजा दिया जाए. कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन को 21 हजार किया जाए. वृद्धा पेंशन को न्यूनतम तीन हजार रुपये किया जाए और पूंजीवादियों को वित्तीय मदद बंद की जाए. मनरेगा के तहत ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध करवाया जाए.

Intro:रामपुर बुशहर 21 अक्तूबर Body:



भाजपा की पूंजीवाद परस्त व पूंजीपतियों के हित की नीतियों के चलते देश व प्रदेश के, खास कर गरीबो का जीवन जीना मुहाल हुआ है। आज रामपुर में राष्ट्रीय आह्वान पर बढ़ती महंगाई को लेकर सीपीएम ने रोष प्रदर्शन किया। सीपीएम का मानना है कि देश के सत्तासीन भाजपा, संघ की नीतियों को लागू करने में लगी हुई है और देश को लगातार निजी हाथों में बेचने की ओर अग्रसर है। देश के बड़े सार्वजनिक प्रतिष्ठान लगातार देश के पूंजीपतियों के हवाले किये जा रहे जिससे सरकारी क्षेत्र में दिनों दिन रोजगार खत्म होता जा रहा है। देश मे वितीय संस्थान लगातार घाटे में जा रहे है उनका एनपीए लगातार बढ़ता जा रहा है

एक ओर जहां पूँजीपतियो के आमजन की जमा पूंजी पर दिए ऋण मुआफ़ किये जा रहे है वहीं आमजन को उनके जमा पूंजी की सुरक्षा तक की गारंटी नही ली जा रही है। देश मे मुनाफा कमाने वाली पेट्रोलियम कंपनियों को बेच जा रहा है, सार्वजनिक सम्पतियों को बेचा जा रहा है। देश की सुरक्षा उपकरण बनाने वाली एचएएल कंगाली के दौर से गुजर रही है। कर्मचारियों को देने के लिए पैसे तक नही है दूसरी तरफ सुरक्षा उपकरण बनाने की जिम्मेवारी निजी क्षेत्र में दी रही है। जो देश के हित मे सही नही है।



सीपीएम मांग करती है कि महंगाई पर तुरंत रोक लगाई जाए देश मे मंदी के कारण बन्द होने वाले उद्योगों से बेरोजगार हो रहे लोगो को मुआवजा दिया जा न्यूनतम वेतन को 21 हजार किया जाए। वृद्धा पेंशन को न्यूनतम तीन हजार रुपये किया जाए, पूंजीवादियों को वितीय मदद बन्द की जाए। मनरेगा में ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध करवाओ।Conclusion:
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