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सेब सीजन के लिए समय रहते उचित कदम उठाए सरकारः संजय चौहान

माकपा के राज्य सचिवमंडल सदस्य संजय चौहान ने कहा कि सेब व अन्य फलों के सीजन के लिए समय रहते उचित कदम उठाने की मांग की है, ताकि आने वाले दिनों में बागवानों को मजदूरों, पैकेजिंग सामग्री, मालवाहक वाहनों की कमी से न जूझना पड़े.

CPIM leader Sanjay chauhan
फोटो.
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Published : Jul 5, 2020, 4:38 PM IST

शिमलाः माकपा ने सेब व अन्य फलों के सीजन के लिए तैयारियों की कमी को लेकर चिंता व्यक्त की है. माकपा ने सेब व अन्य फलों के सीजन के लिए समय रहते उचित कदम उठाने की मांग की है, ताकि आने वाले दिनों में बागवानों को मजदूरों, पैकेजिंग सामग्री, मालवाहक वाहनों की कमी से न जूझना पड़े.

माकपा के राज्य सचिवमंडल सदस्य संजय चौहान ने कहा कि जिस प्रकार से देखा जा रहा है कि सेब व अन्य फलों का सीजन शुरू हो गया है और अगले 10 से 15 दिनों में निचली व मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में यह पूरा जोर पकड़ लेगा, लेकिन कोविड-19 के चलते पैदा हुई विषम परिस्थितियों के कारण प्रदेश में मजदूरों, पैकेजिंग सामग्री व अन्य साधनों की बड़े पैमाने पर कमी देखी जा रही है.

वीडियो.

इसके साथ ही सरकार की ओर से हाल ही में पेट्रोल व डीजल की कीमतों में भारी वृद्धि से महंगाई बढ़ रही है. ट्रकों व अन्य मालवाहकों के भाड़े में भी 20 प्रतिशत तक कि वृद्धि कर दी गई है. बाजार में पैकेजिंग सामग्री भी 10 से 20 प्रतिशत तक महंगे दामों में मिल रही है. अगर प्रदेश सरकार ने समय रहते इन समस्याओं के समाधान के लिए ठोस कदम नहीं उठाए तो प्रदेश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाली करीब 4500 करोड़ की सेब की आर्थिकी को भारी नुकसान पहुंचेगा.

इससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा जिससे लाखों किसानों व बागवानों का रोजी रोटी का संकट और अधिक गंभीर हो जाएगा. उन्होंने कहा कि इस साल हिमाचल का किसान व बागवान मजदूरों की कमी को लेकर चिंता में है और अगर समय रहते मजदूरों का प्रबंध नहीं किया गया तो बागवान अपना उत्पाद बगीचों से मंडियां तक नहीं पहुंचा पाएंगे और इससे आर्थिक रूप से भारी नुकसान उठाना पड़ेगा.

ज्यादातर खेत व बगीचे सड़क से जुड़े न होने के कारण सेब व अन्य फल पीठ में ढोकर सड़क तक लाया जाता है. जहां से गाड़ियों व ट्रकों के माध्यम से मंडियों तक ले जाया जाता है. इस कार्य में लगभग 60 प्रतिशत नेपाल से मजदूर आकर इस कार्य को करते हैं. कोविड-19 व नेपाल से संबंधों जैसे कुछ मुद्दों के कारण इस साल मजदूर नहीं आ पाए हैं और इन मजदूरों के न आने से बागवानों के समक्ष एक गंभीर संकट खड़ा हो गया है.

सरकार अभी तक इसका समाधान निकालने के लिए कोई संजीदा कदम नहीं उठा पाई है जिससे बागवानों की चिंता और अधिक बढ़ गई है. इस समस्या का अगर समय रहते कोई उचित समाधान नहीं होता तो सेब की आर्थिकी बर्बादी के कगार पर चली जाएगी.

सीपीआईएम ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि प्रदेश में मजदूरों की कमी को दूर करने के लिए तुरंत केंद्र सरकार से बात कर नेपाल व अन्य राज्यों से मजदूरों को लाने के लिए तुरंत ठोस कदम उठाए और जल्द मजदूरों को काम पर लाया जाए.

ये भी पढ़ें- सियासत के अग्निपथ पर दो परिवार, पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ रही सियासी 'रार'

शिमलाः माकपा ने सेब व अन्य फलों के सीजन के लिए तैयारियों की कमी को लेकर चिंता व्यक्त की है. माकपा ने सेब व अन्य फलों के सीजन के लिए समय रहते उचित कदम उठाने की मांग की है, ताकि आने वाले दिनों में बागवानों को मजदूरों, पैकेजिंग सामग्री, मालवाहक वाहनों की कमी से न जूझना पड़े.

माकपा के राज्य सचिवमंडल सदस्य संजय चौहान ने कहा कि जिस प्रकार से देखा जा रहा है कि सेब व अन्य फलों का सीजन शुरू हो गया है और अगले 10 से 15 दिनों में निचली व मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में यह पूरा जोर पकड़ लेगा, लेकिन कोविड-19 के चलते पैदा हुई विषम परिस्थितियों के कारण प्रदेश में मजदूरों, पैकेजिंग सामग्री व अन्य साधनों की बड़े पैमाने पर कमी देखी जा रही है.

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इसके साथ ही सरकार की ओर से हाल ही में पेट्रोल व डीजल की कीमतों में भारी वृद्धि से महंगाई बढ़ रही है. ट्रकों व अन्य मालवाहकों के भाड़े में भी 20 प्रतिशत तक कि वृद्धि कर दी गई है. बाजार में पैकेजिंग सामग्री भी 10 से 20 प्रतिशत तक महंगे दामों में मिल रही है. अगर प्रदेश सरकार ने समय रहते इन समस्याओं के समाधान के लिए ठोस कदम नहीं उठाए तो प्रदेश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाली करीब 4500 करोड़ की सेब की आर्थिकी को भारी नुकसान पहुंचेगा.

इससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा जिससे लाखों किसानों व बागवानों का रोजी रोटी का संकट और अधिक गंभीर हो जाएगा. उन्होंने कहा कि इस साल हिमाचल का किसान व बागवान मजदूरों की कमी को लेकर चिंता में है और अगर समय रहते मजदूरों का प्रबंध नहीं किया गया तो बागवान अपना उत्पाद बगीचों से मंडियां तक नहीं पहुंचा पाएंगे और इससे आर्थिक रूप से भारी नुकसान उठाना पड़ेगा.

ज्यादातर खेत व बगीचे सड़क से जुड़े न होने के कारण सेब व अन्य फल पीठ में ढोकर सड़क तक लाया जाता है. जहां से गाड़ियों व ट्रकों के माध्यम से मंडियों तक ले जाया जाता है. इस कार्य में लगभग 60 प्रतिशत नेपाल से मजदूर आकर इस कार्य को करते हैं. कोविड-19 व नेपाल से संबंधों जैसे कुछ मुद्दों के कारण इस साल मजदूर नहीं आ पाए हैं और इन मजदूरों के न आने से बागवानों के समक्ष एक गंभीर संकट खड़ा हो गया है.

सरकार अभी तक इसका समाधान निकालने के लिए कोई संजीदा कदम नहीं उठा पाई है जिससे बागवानों की चिंता और अधिक बढ़ गई है. इस समस्या का अगर समय रहते कोई उचित समाधान नहीं होता तो सेब की आर्थिकी बर्बादी के कगार पर चली जाएगी.

सीपीआईएम ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि प्रदेश में मजदूरों की कमी को दूर करने के लिए तुरंत केंद्र सरकार से बात कर नेपाल व अन्य राज्यों से मजदूरों को लाने के लिए तुरंत ठोस कदम उठाए और जल्द मजदूरों को काम पर लाया जाए.

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