शिमला: विधानसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष में गतिरोध थमने का नाम नहीं ले रहा. विधानसभा के बजट सत्र के चौथे दिन विपक्ष ने सदन में निलंबित विधायकों और उनके ऊपर किए गए मामले दर्ज को लेकर कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी ने नियम 223 के तहत प्वॉइंट ऑफ ऑर्डर पर चर्चा की मांग की.
विधानसभा अध्यक्ष ने जगत सिंह नेगी को बोलने की अनुमति तो दी लेकिन इस बार प्रश्नकाल के बाद चर्चा करने की व्यवस्था करने का आश्वासन दिया. लेकिन विपक्ष उसी समय चर्चा करने की मांग करने लगा और सच में नारेबाजी शुरू कर दी. वहीं, विधानसभा अध्यक्ष ने प्रश्नकाल शुरू कर दिया. इसके बाद विपक्ष सदन में ही नारेबाजी करते हुए बाहर आ गए.
विपक्ष ने विधायकों के निलंबन की मांग की
कांग्रेस विधायक जगत नेगी ने कहा कि एक तरफ सदन से कांग्रेस के विधायकों को निलंबित किया जाता है. वहीं, दूसरी तरफ उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाती है जबकि नियमों के तहत एक ही कार्रवाई हो सकती है. सदन में जिस तरह से शहरी मंत्री सुरेश भारद्वाज डिप्टी स्पीकर ने भी धक्का-मुक्की की तो उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई. विपक्ष पर ही कार्रवाई की गई है जिसका कांग्रेस विरोध कर रही है. उन्होंने साफ कर दिया कि जब तक कांग्रेस विधायकों का निलंबन वापस नहीं लिया जाता विपक्ष सदन की कार्रवाई में हिस्सा नहीं लेगा.
विधानसभा अध्यक्ष का दोबारा सदन बुलाना गैर कानूनी
जगत नेगी ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने 26 फरवरी को दोबारा से हाउस बुलाया गया था जो कि गैर कानूनी है. हाउस को बुलाने के लिए 48 घंटे का समय मिलना चाहिए, लेकिन विपक्ष के विधायकों को केवल 4 मिनट पहले सूचना दी गई. बिना विपक्ष को सुने सदन ने अपना फैसला सुना दिया जो कि गलत है.
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