शिमला: लंबे इंतजार के बाद सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को वर्दी तो मिली लेकिन पहली ही धुलाई में उसका रंग निकल गया. विवादों के लंबे दौरे से गुजरने के बाद अंत में किसी तरह टेंडर हुए और छात्रों को वर्दी मिली, लेकिन अब रंग उतरने की शिकायतें मिलने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि सारे मामले की जांच की जाएगी.
प्रदेश सरकार द्वारा मासूम बच्चों को दी गई स्मार्ट वर्दी भी घटिया निकल रही है. प्रदेश के अलग-अलग जिलों से स्मार्ट वर्दी का पहली धुलाई में रंग उतरने की शिकायतें सामने आई हैं. अब मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मामले की रिपोर्ट के लिए बोल दिया है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि मीडिया के माध्यम से मामला मेरे ध्यान में आया है और मैंने अधिकारियों को मामले का पूरा पता लगाने को कहा है अगर कुछ गलत पाया गया तो निष्पक्षता के साथ जांच की जाएगी.
पिछले सत्र और इस सत्र में स्कूली बच्चों को वर्दी ही नहीं मिल पाई थी. सरकार की स्मार्ट वर्दी के चक्कर में अभिभावक स्वयं भी वर्दी खरीद नहीं पा रहे हैं और न ही स्कूलों में बच्चों को वर्दी मिल पाई थी.
अक्तूबर माह में विद्यार्थियों को वर्दी प्रदान की गई. जिसमें भी पहली धुलाई में वर्दी का रंग उतरने लग गया है. इसके अलावा कई विद्यार्थियों को दो वर्दी के लिए कपड़ा भी कम पड़ा है. सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 8 लाख 30 हजार विद्यार्थियों को स्मार्ट स्कूल वर्दी बांटी गई है.
दरअसल हिमाचल के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को मिलने वाली वर्दी हमेशा ही विवादों में रही है सरकार कांग्रेस की हो या बीजेपी लेकिन वर्दी विवादों में रही कभी टेंडर प्रक्रिया को लेकर तो कभी गुणवत्ता के कारण.
इस सत्र में विद्यार्थियों को स्मार्ट स्कूल वर्दी के दो-दो सेट दिए गए हैं. साल 2018-19 के लिए 57.90 करोड़ से स्मार्ट वर्दी की खरीद गई है. दिसंबर 2018 में रद्द किए गए टेंडर के मुकाबले नए टेंडर में 1.76 फीसदी कम दाम तय हुआ है.