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जलवायु परिवर्तन से कृषि और ग्रामीण जीवन पर पड़ रहा असर, HPU के कलपति ने छात्रों से की ये अपील - जलवायु परिवर्तन पर कार्यशाला का आयोजन

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में जलवायु परिवर्तन पर लोकप्रिय व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन किया गया. जिसमें जलवायु परिवर्तन की वजह से कृषि और ग्रामीण जन जीवन पर होने वाले प्रभावों पर विस्तार से चर्चा की गई.

कुलपति प्रो. सिकंदर कुमार
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Published : Aug 22, 2019, 2:48 PM IST

शिमला: राजधानी शिमला के हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में जलवायु परिवर्तन पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. यह आयोजन एचपीयू के अंतर्विषयक विभाग की ओर से आयोजित किया गया. जिसमें भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय, हिमाचल प्रदेश पर्यावरण, जर्मन कॉरपोरेशन, जीआईजेड और नबार्ड ने भी आयोजन में अपना सहयोग दिया. इस कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सिकंदर कुमार ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की.

इस अवसर पर कुलपति प्रो. सिकंदर कुमार ने कहा कि ग्रामीण जनता जिनका कृषि मुख्य पेशा है, उनकी क्षमता निमार्ण किस तरह से की जा सकती है. जिससे जलवायु परिवर्तन के दौर में भी वे विकास को हासिल कर सके. वहीं, हिमाचल प्रदेश पर्यावरण, विज्ञान व तकनीकी विभाग के प्रधान विज्ञानिक डॉ. सुरेश चंद अत्री ने युवा विज्ञानिकों का जलवायु परिवर्तन में शोध परियोजनाओं पर कार्य करने की अपील की. उन्होंने जलवायु परिवर्तन की वजह से कृषि और ग्रामीण जन जीवन पर होने वाले प्रभावों पर विस्तार से चर्चा की.

shimla
कार्यशाला में भाग लेते छात्र

कार्यक्रम में नाबार्ड के मुख्य महाप्रंधक नीले डी. कपूर ने नाबार्ड की गतिविधियों के बारे में आवगत करवाया जो जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र से संबंधित हैं. उन्होंने जिला सिरमौर में राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन पहल के दौरान चलाई जा रही गतिविधियों पर भी प्रकाश डाला.

कार्यशाला सत्र में सभी प्रतिभागियों को अलग-अलग समूहों में बांटा गया जैसे सरकार की भूमिका, शोध संस्थानों की भूमिका, यूथ फार क्लाइमेट चेंज. कार्यक्रम में करीब 170 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया है. जिसमें प्रदेश के किसान, एचपीयू के एम.एस.सी. पर्यावरण विज्ञान, एम.बी.ए. ग्रामीण विकास के छात्रों के साथ-साथ संकाय सदस्यों ने भी अपनी भूमिका निभाई.

शिमला: राजधानी शिमला के हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में जलवायु परिवर्तन पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. यह आयोजन एचपीयू के अंतर्विषयक विभाग की ओर से आयोजित किया गया. जिसमें भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय, हिमाचल प्रदेश पर्यावरण, जर्मन कॉरपोरेशन, जीआईजेड और नबार्ड ने भी आयोजन में अपना सहयोग दिया. इस कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सिकंदर कुमार ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की.

इस अवसर पर कुलपति प्रो. सिकंदर कुमार ने कहा कि ग्रामीण जनता जिनका कृषि मुख्य पेशा है, उनकी क्षमता निमार्ण किस तरह से की जा सकती है. जिससे जलवायु परिवर्तन के दौर में भी वे विकास को हासिल कर सके. वहीं, हिमाचल प्रदेश पर्यावरण, विज्ञान व तकनीकी विभाग के प्रधान विज्ञानिक डॉ. सुरेश चंद अत्री ने युवा विज्ञानिकों का जलवायु परिवर्तन में शोध परियोजनाओं पर कार्य करने की अपील की. उन्होंने जलवायु परिवर्तन की वजह से कृषि और ग्रामीण जन जीवन पर होने वाले प्रभावों पर विस्तार से चर्चा की.

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कार्यशाला में भाग लेते छात्र

कार्यक्रम में नाबार्ड के मुख्य महाप्रंधक नीले डी. कपूर ने नाबार्ड की गतिविधियों के बारे में आवगत करवाया जो जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र से संबंधित हैं. उन्होंने जिला सिरमौर में राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन पहल के दौरान चलाई जा रही गतिविधियों पर भी प्रकाश डाला.

कार्यशाला सत्र में सभी प्रतिभागियों को अलग-अलग समूहों में बांटा गया जैसे सरकार की भूमिका, शोध संस्थानों की भूमिका, यूथ फार क्लाइमेट चेंज. कार्यक्रम में करीब 170 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया है. जिसमें प्रदेश के किसान, एचपीयू के एम.एस.सी. पर्यावरण विज्ञान, एम.बी.ए. ग्रामीण विकास के छात्रों के साथ-साथ संकाय सदस्यों ने भी अपनी भूमिका निभाई.

Intro:हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में जलवायु परिवर्तन व सतत विकास पर लोकप्रिय व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन किया गया। यह आयोजन एचपीयू के अंतर्विषयक विभाग जो जलवायु परिवर्तन पर शोध भी कर रहा है कि ओर से भारत सरकार के पर्यावरण व वन मंत्रालय ओर जलवायु परिवर्तन, हिमाचल प्रदेश पर्यावरण, विज्ञान व तकनीकी विभाग, पर्यावरण शिक्षा केन्द्र सीईई लखनऊ ओर जर्मन कॉरपोरेशन,जीआईजेड ओर नबार्ड के सहयोग से किया गया । इस कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति आर्चाय सिकन्दर कुमार बतौर मुख्यातिथि शिरकत की।

Body:इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज के दौर में यह एक ज्वलंत मुददा है कि जलवायु बदलाव के दौर में ग्रामीण जनता जिनका कृषि जिनका मुख्य पेशा है। उनकी क्षमता निमार्ण कैसे किया जा सकता है ताकि जलवायु परिवर्तन के दौर में भी सतत विकास को हासिल किया जा सके इस पर कार्य करना जरूरी है। वहीं हिमाचल प्रदेश पर्यावरण, विज्ञान व तकनीकी विभाग के प्रधान विज्ञानिक डाॅ. सुरेश चंद अत्री ने युवा विज्ञानिकों का जलवायु परिवर्तन में शोध परियोजनाओं पर कार्य करने की अपील की। उन्होनें ने जलवायु परिवर्तन की वजह से कृषि और ग्रामीण जन जीवन पर होने वाले प्रभावों पर भी आंकड़ों सहित विस्तार से चर्चा की।

Conclusion:कार्यक्रम में नाबार्ड के मुख्य महाप्रंधक नीले डी. कपूर ने नाबार्ड की गतिविधियों के बारे में आवगत कराया जो जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र से संबंधित थी। उन्होंने जिला सिरमौर में राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन पहल के दौरान चलाई जा रही गतिविधियों पर प्रकाश डाला। कार्यशाला सत्र में सभी प्रतिभागियों को अलग-अलग समूहों में बांटा गया जैसे सरकार की भूमिका, शोध संस्थानों की भूमिका, यूथ फार क्लाइमेट चेंज।कार्यक्रम में करीब 170 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया जिसमें प्रदेश के किसान, एचपीयू के एम.एस.सी. पर्यावरण विज्ञान, एम.बी.ए. ग्रामीण विकास के छात्रों के साथ-साथ संकाय सदस्यों ने भी हिस्सा लिया।
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