शिमला: राजधानी शिमला के हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में जलवायु परिवर्तन पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. यह आयोजन एचपीयू के अंतर्विषयक विभाग की ओर से आयोजित किया गया. जिसमें भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय, हिमाचल प्रदेश पर्यावरण, जर्मन कॉरपोरेशन, जीआईजेड और नबार्ड ने भी आयोजन में अपना सहयोग दिया. इस कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सिकंदर कुमार ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की.
इस अवसर पर कुलपति प्रो. सिकंदर कुमार ने कहा कि ग्रामीण जनता जिनका कृषि मुख्य पेशा है, उनकी क्षमता निमार्ण किस तरह से की जा सकती है. जिससे जलवायु परिवर्तन के दौर में भी वे विकास को हासिल कर सके. वहीं, हिमाचल प्रदेश पर्यावरण, विज्ञान व तकनीकी विभाग के प्रधान विज्ञानिक डॉ. सुरेश चंद अत्री ने युवा विज्ञानिकों का जलवायु परिवर्तन में शोध परियोजनाओं पर कार्य करने की अपील की. उन्होंने जलवायु परिवर्तन की वजह से कृषि और ग्रामीण जन जीवन पर होने वाले प्रभावों पर विस्तार से चर्चा की.
कार्यक्रम में नाबार्ड के मुख्य महाप्रंधक नीले डी. कपूर ने नाबार्ड की गतिविधियों के बारे में आवगत करवाया जो जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र से संबंधित हैं. उन्होंने जिला सिरमौर में राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन पहल के दौरान चलाई जा रही गतिविधियों पर भी प्रकाश डाला.
कार्यशाला सत्र में सभी प्रतिभागियों को अलग-अलग समूहों में बांटा गया जैसे सरकार की भूमिका, शोध संस्थानों की भूमिका, यूथ फार क्लाइमेट चेंज. कार्यक्रम में करीब 170 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया है. जिसमें प्रदेश के किसान, एचपीयू के एम.एस.सी. पर्यावरण विज्ञान, एम.बी.ए. ग्रामीण विकास के छात्रों के साथ-साथ संकाय सदस्यों ने भी अपनी भूमिका निभाई.