शिमला: सीटू के अखिल भारतीय आह्वान पर सीटू राज्य कमेटी ने आवश्यक रक्षा सेवा अधिनियम, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और विशेष तौर पर आयुद्ध कारखानों के रक्षा उत्पादन के धड़ाधड़ निजीकरण के विरुद्ध में डीसी कार्यालय शिमला के बाहर धरना प्रदर्शन किया. इसके साथ ही सीटू ने डिफेंस कर्मचारियों के साथ एकजुटता प्रकट करने के लिए प्रदेशव्यापी प्रदर्शन किया. इस दौरान जिलाधीशों के माध्यम से भारत के राष्ट्रपति को डिफेंस कर्मचारियों की मांगों के समर्थन में ज्ञापन प्रेषित किया गया.
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा (CITU State President Vijender Mehra) व महासचिव प्रेम गौतम ने कहा है कि केंद्र की मोदी सरकार निगमीकरण की प्रक्रिया के जरिए आयुद्ध कारखानों के धड़ाधड़ निजीकरण की ओर बढ़ रही है. यह देश की आंतरिक व बाह्य दोनों तरह की सुरक्षा के दृष्टिकोण से बेहद खतरनाक कदम है. इस से कर्मचारियों के भविष्य पर भी गंभीर प्रश्न चिन्ह खड़े हो रहे हैं.
यह कदम एक तरफ देश विरोधी है तो वहीं दूसरी तरफ कर्मचारी विरोधी भी है. उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब केवल और केवल पूंजीपतियों की मुनाफाखोरी को बढ़ाने के दृष्टिकोण से हो रहा है. सरकार का यह कदम रक्षा क्षेत्र की कर्मचारी फेडरेशन को अक्टूबर 2020 में केंद्र सरकार द्वारा दिए गए आश्वासन के बिल्कुल विरुद्ध है.
केंद्र सरकार की मनमानी के खिलाफ जब देश की पांच डिफेंस एम्प्लॉयीज फेडरेशनों (Defense Employees Federations) ने हड़ताल का आह्वान किया तो आंदोलन को कुचलने के लिए सरकार ने बेहद खतरनाक आवश्यक रक्षा सेवा अधिनियम के जरिए हड़ताल व लोकतांत्रिक प्रणाली से होने वाले सभी तरह के प्रदर्शनों को प्रतिबंधित करने का फरमान जारी कर दिया. इससे न केवल रक्षा उत्पादन क्षेत्र ही प्रभावित होगा, बल्कि इसके पूर्ण ट्रेड यूनियन आंदोलन के लिए गंभीर परिणाम होंगे.
सीटू ने मांग की है कि कर्मचारी व ट्रेड यूनियन (Trade Unions) विरोधी आवश्यक रक्षा सेवा अधिनियम को तत्काल निरस्त किया जाए. सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों व विशेष तौर पर आयुद्ध कारखानों के रक्षा उत्पादन के धड़ाधड़ निजीकरण पर तुरंत रोक लगाई जाए.
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