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इस निजी स्कूल में नौनिहालों की जिंदगी से हो रहा खिलवाड़, बस की एक सीट पर बिठाए जा रहे 4-4 बच्चे - बस की एक सीट पर बिठाए जा रहे 4-4 बच्चे

ठियोग के छराबड़ा में एक निजी स्कूल की बस में ओवरलोडिंग पर सख्ती के बावजूद एक सीट पर चार से पांच बच्चे बिठाए गए जा रहे हैं. तकरीबन एक बस में 50 से 55 बच्चों को बिठाया जा रहा है. स्कूल खासा पुराना है और भवन की दीवारों में दरारें आ चुकी है.

carelessnes of a private school
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Published : Jul 4, 2019, 11:31 AM IST

Updated : Jul 4, 2019, 11:40 AM IST

ठियोगः राजधानी से 12 किलोमीटर दूर छराबड़ा में एक निजी स्कूल में पड़ने वाले बच्चों के अभिवाहकों ने जागरूकता का परिचय दिया है. अभिवावकों को पिछले कुछ महीनों से एक स्कूल की एक खटारा बस की जानकारी मिली थी, जिस पर अभिभावकों ने स्कूल प्रशासन से जानकारी मांगी, लेकिन स्कूल प्रशासन ने चुप्पी साध ली.

carelessnes of a private school
निजी स्कूल

अभिभावकों ने बस चालक से बस के कागज मांगे तो ड्राइवर कोई कागज न दिखा पाया. चालक अगले दिन बच्चों को स्कूल भी नहीं ले गया. बच्चे बस के इंतजार में खड़े रहे. स्कूल प्रशासन को जब पता चला तो आनन-फानन में बच्चों को निजी गाड़ियों में स्कूल पहुंचाया गया.

carelessnes of a private school
एक सीट पर बिठाए जा रहे 4-4 बच्चे

बता दें कि बच्चों के इन दिनो परीक्षाएं चल रही है, अब वे परीक्षाएं भी देरी से करवाई जा रही है. इस पर अभिभावकों का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया. कुछ अभिभावक स्कूल पहुंचे और प्रशासन से बस न आने का कारण पूछा.

carelessnes of a private school
बस की क्षमता से ज्यादा बिठाए जा रहे बच्चे

अभिभावकों का कहना है कि कई महीनों से प्रशासन बसों को लेकर आनाकानी कर रहा है. बच्चों के आने-जाने की कोई सुविधा नहीं दे रहा है. खटारा बसों में बच्चों को स्कूल भेज दिया जाता है. जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. उन्होंने कहा कि सरकार इस बारे में थोड़ा सख्ती बरते और स्कूलों पर निगरानी रखें.

वीडियो

वहीं, स्कूल की प्रधानाचार्या से जब बात की गई तो कोई खास जवाब नहीं मिला, लेकिन जब बसों के कागजात मांगे गए तो बस नियम और कानूनों पर खरा नहीं उतरी. प्रधानाचार्या ने बस चालक पर कानूनी कार्रवाई की बात जरुर कही, लेकिन अभिभावकों की शिकायत को गलत करार दिया.

बता दें कि बसो में ओवरलोडिंग पर सख्ती के बावजूद स्कूल बस में एक सीट पर चार से पांच बच्चे बिठाए गए जा रहे हैं. तकरीबन एक बस में 50 से 55 बच्चों को बिठाया जा रहा है. स्कूल खासा पुराना है और भवन की दीवारों में दरारें आ चुकी है.
पढ़ेंः हादसों पर लगाम लगाने के लिए HC ने किया कमेटी का गठन, 2 हफ्ते में टीम को सौंपनी होगी रिपोर्ट

ठियोगः राजधानी से 12 किलोमीटर दूर छराबड़ा में एक निजी स्कूल में पड़ने वाले बच्चों के अभिवाहकों ने जागरूकता का परिचय दिया है. अभिवावकों को पिछले कुछ महीनों से एक स्कूल की एक खटारा बस की जानकारी मिली थी, जिस पर अभिभावकों ने स्कूल प्रशासन से जानकारी मांगी, लेकिन स्कूल प्रशासन ने चुप्पी साध ली.

carelessnes of a private school
निजी स्कूल

अभिभावकों ने बस चालक से बस के कागज मांगे तो ड्राइवर कोई कागज न दिखा पाया. चालक अगले दिन बच्चों को स्कूल भी नहीं ले गया. बच्चे बस के इंतजार में खड़े रहे. स्कूल प्रशासन को जब पता चला तो आनन-फानन में बच्चों को निजी गाड़ियों में स्कूल पहुंचाया गया.

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एक सीट पर बिठाए जा रहे 4-4 बच्चे

बता दें कि बच्चों के इन दिनो परीक्षाएं चल रही है, अब वे परीक्षाएं भी देरी से करवाई जा रही है. इस पर अभिभावकों का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया. कुछ अभिभावक स्कूल पहुंचे और प्रशासन से बस न आने का कारण पूछा.

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बस की क्षमता से ज्यादा बिठाए जा रहे बच्चे

अभिभावकों का कहना है कि कई महीनों से प्रशासन बसों को लेकर आनाकानी कर रहा है. बच्चों के आने-जाने की कोई सुविधा नहीं दे रहा है. खटारा बसों में बच्चों को स्कूल भेज दिया जाता है. जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. उन्होंने कहा कि सरकार इस बारे में थोड़ा सख्ती बरते और स्कूलों पर निगरानी रखें.

वीडियो

वहीं, स्कूल की प्रधानाचार्या से जब बात की गई तो कोई खास जवाब नहीं मिला, लेकिन जब बसों के कागजात मांगे गए तो बस नियम और कानूनों पर खरा नहीं उतरी. प्रधानाचार्या ने बस चालक पर कानूनी कार्रवाई की बात जरुर कही, लेकिन अभिभावकों की शिकायत को गलत करार दिया.

बता दें कि बसो में ओवरलोडिंग पर सख्ती के बावजूद स्कूल बस में एक सीट पर चार से पांच बच्चे बिठाए गए जा रहे हैं. तकरीबन एक बस में 50 से 55 बच्चों को बिठाया जा रहा है. स्कूल खासा पुराना है और भवन की दीवारों में दरारें आ चुकी है.
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Intro:एंकर,, प्रदेश में हो रहे बस हादसों के बाद भी प्रशासन की नीद अभी तक नही टूटी है प्रदेश के निजी और सरकारी स्कूलों में बच्चों के आने जाने की व्यवस्था अभी भी सवालों के घेरे में है।छराबड़ा के निजी स्कूल में अभिभावको ने स्कूल प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोला और बसों की कार्यप्रणाली पर कई सवाल उठाए।Body:
वीओ,,,अब तो भगवान बचाए इन बस आपरेटरों से वो सरकारी हो चाहे निजी या फिर किसी स्कूलों की बसे अब तो इन बसों में बैठने से डर लगता है। नूरपुर के बाद शिमला में मासूम बच्चों की चीखे शायद हम ओर आप चंद दिनों में भूल जाये लेकिन जरा गौर फरमाइए उन किलकारियो का जिन घरों में ये अब नही गूंजेगी तो अब दोष दीजिये सिस्टम ओर सरकार को जिनके कानों में जूं तक नही रगती। ओर ख़ौफ़ में भी रहिए क्योकि ये सब आपके साथ भी हो सकता है और कभी भी। ऐसा हम हम इसलिए कह रहे है कि मुनाफे के इस कारोबार में किसी की जान की कीमत अब कोड़िये में रह गई है।


वीओ ,,, नूरपुर, कुल्लू ओर दो दिन पहले शिमला बस हादसे की चींखें अभी कानों में गूंज रही है।लेकिन इससे कोई सबक नही ले रहा शिमला से 12 किलोमीटर दूर एक नामी स्कूल की हरकतों से आप भी सकते में आ जाएंगे। जी हां हम बात कर रहे है पर्यटन स्थल छराबड़ा में चल रहे एक निजी स्कूल हिमालयन अंतराष्ट्रीय स्कूल की जंहा शिमला बस हादसे से घबराए इस स्कूल में पड़ने बच्चों के अभिभवक ने जागरूक होने का परिचय दिया पिछले कुछ महीनों से एक खटारा बस की जानकारी इन अभिभावकों ने स्कूल प्रशासन से मांगी लेकिन प्रशासन ने चुपी साधी अभिभावकों ने बस ड्राईवर से बस के कागज मांगे की बस कितनी पुरानी है।तो ड्राइवर ने हद ही कर दी न कोई कागज दिखाए ओर न ही दूसरे दिन बच्चों को स्कूल ले गया। बच्चे सड़को पर धूल फांकते रहे जब पता चला बस नही है तो आनन फानन निजी गाड़ियों में बच्चों को स्कूल पहुंचाया हालांकि बाद में स्कूल ने भी बस भेजी लेकिन बड़ी देर से खामियाजा बच्चों को देरी हुई।

बाईट,,, अभिभावक

यही नही बच्चों के इन दिनो एग्जाम चले है वो भी देरी से कराये गई। इतना कुछ होता देख अभिभावकों का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया।कुछ लोग सकूल आ गए और प्रशासन से बस न आने का कारण पूछा। लोगों का कहना है कि कई महीनों से प्रशासन बसो को लेकर आनाकानी कर रहा है। बच्चों के आने जाने की कोई सुविधा नही है खटारा बसों में बच्चों को भेज दिया जाता है जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।उन्होंने कहा कि सरकार इस बारे में थोड़ा सख्ती बरते ओर स्कूलों पर निगरानी रखें।

बाईट,,, अभिभावक



वीओ,,,वन्ही स्कूल की प्रधानाचार्या से जब हमने जवाब मांगा पहले तो कोई ठोस जवाब नही मिला लेकिन जब हमने बसो के कागजात मांगे तो बस नियम और कानूनों पर खरा नही उतरी प्रंसिपल ने बस चालक पर कानूनी करवाई की बात कही।लेकिन अपनी नाकामी को नही कबूला। ओर अभिभावको को ही गलत करार दे दिया।

बाईट,,,राज काथ
प्रधानाचार्य स्कूलConclusion:आपको बता दे कि बसो में ऑवलोडिंग पर सख्ती के बावजूद हमारे सामने ही एक बस में बच्चों को आलुओं की तरह ठूंसा गया। एक सीट पर चार से पांच बैठाए गए। तकरीबन एक बस में 50 से 55 बच्चों को लाद कर उनको रवाना किया गया।लेकिन पुलिस और प्रशासन किसी को कुछ नही दिखा। शायद तब दिखे जब कोई और हादसा हो जाये।

हैरानी तो ये है कि 1977 से चला ये स्कूल अपनी नीव पर अब खड़ा होने लायक नही रहा जब हमने इसकी तहकीकात की तो इसकी दीवारों में दरारें ओर इसके टूटे पिलर देख हम भी हैरान रह गए कि कभी भी इस स्कूल में कोई बड़ा हादसा होने के कगार पर है।लेकिन इसकी ओर किसी का कोई ध्यान नही है।30 से 35 बीघा में चल रहे इस स्कूल पर सरकार ने समय रहते ध्यान न दिया तो कई बच्चों का भविष्य और उनकी जान पर आफत कभी भी आ सकती है। ओर प्रदेश भर के स्कूलों में ऐसे कितने मामले होंगे ये सब शायद राम भरोसे ही चल रहा है।जिस पर सरकार का कोई ध्यान नही है।

Etv भारत के लिए ठियोग से सुरेश शर्मा की रिपोर्ट।
Last Updated : Jul 4, 2019, 11:40 AM IST
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