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एक बार फिर कालका-शिमला ट्रैक पर सुनाई दी स्टीम इंजन की छुक-छुक, ब्रिटिश पर्यटकों ने की राजधानी की सैर

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Published : Feb 25, 2019, 8:35 PM IST

कालका-शिमला ट्रैक फिर चला स्टीम इंजन एक लाख दस हजार रुपये में ब्रिटिश सैलानियों ने की थी बुकिंग 27 फरवरी को एक बार फिर होगा ऐतिहासिक सफर

कालका-शिमला ट्रैक पर दौड़ता स्टीम इंजन

शिमला: इस विंटर सीजन के लिए रेलवे को ऐतिहासिक स्टीम इंजन की सबसे अधिक बुकिंग मिली है. यही वजह है कि ऐतिहासिक स्टीम इंजन को विश्व धरोहर कालका-शिमला ट्रैक पर चलाया जा रहा है.सोमवार को भी कालका-शिमला हेरिटेज रेल ट्रैक पर एक बार फिर 113 साल पुराना भाप इंजन चलाया गया. स्टीम इंजन ने शिमला से कैथलीघाट तक 22 किलोमीटर की दूरी तय की. एक बार फिर ब्रिटिश पर्यटकों ने स्टीम इंजन की बुकिंग की थी.

सोमवार सुबह साढ़े नौ बजे शिमला रेलवे स्टेशन सेदो बोगियों के साथ स्टीम इंजन कैथलीघाट के लिए रवाना हुआ. पर्यटकों ने इसे एक लाख दस हजार में बुक करवाया था. पहाड़ों की रानी शिमला में देवदार के हरे भरे पेड़ों के बीच चले इस इंजन ने दो बोगियां खींची. धुएं का गुब्बार छोड़ते हुए स्टीम इंजन के साथ विदेशी मेहमानों ने सफर का आनंद लिया और हसीन वादियों को निहारा. इंग्लैंड के पर्यटकों ने भाप इंजन पर सफर के दौरान खुशी जाहिर करते हुए कहा कि वे इस ट्रैक पर सफर करने के लिए काफी उत्साहित हैं.

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कालका-शिमला ट्रैक पर दौड़ता स्टीम इंजन

शिमला स्टेशन अधीक्षक प्रिंस सेठी ने बताया कि ब्रिटिश सैलानियों की बुकिंग पर स्टीम इंजन को कैथलीघाट तक चलाया गया है. स्टीम इंजन की फरवरी माह के लिए एक और बुकिंग बाकी है. इस बुकिंग के लिए एक बार फिर 27 फरवरी को स्टीम इंजन ट्रैक पर चलाया जाएगा.

1905 मेंपहली बार चला था स्टीम इंजन
शिमला में पहली ट्रैन 9 नवंबर 1903 को पहुंची थी. ये स्टीम इंजन कालका कैथलीघाट के बीच 1905 में पहली बार चलाया गया था. इस ट्रैक पर साल 1970 तक भाप इंजन ही चलते थे. इसके बाद डीजल इंजन आने पर भाप इंजन बंद हो गए, लेकिन धरोहर के रूप में अब भी उत्तर रेलवे ने कुछ भाप इंजनों को संभाल कर रखा हुआ है. 96 किलोमीटर की कालका-शिमला रेल लाइन में 102 सुरंग व 800 छोटे-बड़े पुल हैं.

शिमला: इस विंटर सीजन के लिए रेलवे को ऐतिहासिक स्टीम इंजन की सबसे अधिक बुकिंग मिली है. यही वजह है कि ऐतिहासिक स्टीम इंजन को विश्व धरोहर कालका-शिमला ट्रैक पर चलाया जा रहा है.सोमवार को भी कालका-शिमला हेरिटेज रेल ट्रैक पर एक बार फिर 113 साल पुराना भाप इंजन चलाया गया. स्टीम इंजन ने शिमला से कैथलीघाट तक 22 किलोमीटर की दूरी तय की. एक बार फिर ब्रिटिश पर्यटकों ने स्टीम इंजन की बुकिंग की थी.

सोमवार सुबह साढ़े नौ बजे शिमला रेलवे स्टेशन सेदो बोगियों के साथ स्टीम इंजन कैथलीघाट के लिए रवाना हुआ. पर्यटकों ने इसे एक लाख दस हजार में बुक करवाया था. पहाड़ों की रानी शिमला में देवदार के हरे भरे पेड़ों के बीच चले इस इंजन ने दो बोगियां खींची. धुएं का गुब्बार छोड़ते हुए स्टीम इंजन के साथ विदेशी मेहमानों ने सफर का आनंद लिया और हसीन वादियों को निहारा. इंग्लैंड के पर्यटकों ने भाप इंजन पर सफर के दौरान खुशी जाहिर करते हुए कहा कि वे इस ट्रैक पर सफर करने के लिए काफी उत्साहित हैं.

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कालका-शिमला ट्रैक पर दौड़ता स्टीम इंजन

शिमला स्टेशन अधीक्षक प्रिंस सेठी ने बताया कि ब्रिटिश सैलानियों की बुकिंग पर स्टीम इंजन को कैथलीघाट तक चलाया गया है. स्टीम इंजन की फरवरी माह के लिए एक और बुकिंग बाकी है. इस बुकिंग के लिए एक बार फिर 27 फरवरी को स्टीम इंजन ट्रैक पर चलाया जाएगा.

1905 मेंपहली बार चला था स्टीम इंजन
शिमला में पहली ट्रैन 9 नवंबर 1903 को पहुंची थी. ये स्टीम इंजन कालका कैथलीघाट के बीच 1905 में पहली बार चलाया गया था. इस ट्रैक पर साल 1970 तक भाप इंजन ही चलते थे. इसके बाद डीजल इंजन आने पर भाप इंजन बंद हो गए, लेकिन धरोहर के रूप में अब भी उत्तर रेलवे ने कुछ भाप इंजनों को संभाल कर रखा हुआ है. 96 किलोमीटर की कालका-शिमला रेल लाइन में 102 सुरंग व 800 छोटे-बड़े पुल हैं.

रेलवे ने कालका-शिमला ट्रैक पर चलाया स्टीम इंजन, 27 फरवरी को एक बार फिर से होगा ऐतिहासिक सफर

शिमला: इस विंटर सीजन के रेलवे को ऐतिहासिक स्टीम इंजन की सबसे अधिक बुकिंग मिली है। यही वजह है कि ऐतिहासिक स्टीम इंजन को विश्व धरोहर कालका-शिमला ट्रैक पर चलाया जा रहा है। सोमवार को भी कालका-शिमला हेरिटेज रेल ट्रैक पर एक बार फिर 113 साल पुराना भाप इंजन चलाया गया । स्टीम इंजन ने शिमला से कैथलीघाट तक 22  किलोमीटर की दूरी तय की। स्टीम इंजन को एक बार फिर से ब्रिटिश पर्यटकों की बुकिंग पर चलाया गया।  सोमवार को सुबह 09:30 बजे शिमला रेलवे स्टेशन से  दो बोगियों के साथ स्टीम इंजन कैथलीघाट के लिए रवाना हुआ। पर्यटकों ने इसे एक लाख दस हजार में बुक करवाया था। पहाड़ो की रानी शिमला में देवदार के हरे भरे पेड़ो के बीच चले इस इंजन ने दो बोगियां खींची। धुएं का गुब्बार छोड़ते हुए स्टीम इंजन के साथ विदेशी मेहमानों ने सफर का आनंद लिया और हसीन वादियों को निहारा। इंग्लैंड के पर्यटकों ने भाप इंजन पर सफ़र के दौरान अपनी  खुशी जाहिर की और कहा की इस ट्रैक पर सफर करने के लिए काफी उत्साहित है ।
यह बुकिंग भी पॉल ट्रेवल की ओर से ही 30 से अधिक ब्रिटिश सैलानियों के लिए करवाई गई थी। इसी बुकिंग पर विदेशी पर्यटकों के दल ने शिमला से कैथलीघाट तक के सफर किया गया। शिमला स्टेशन के स्टेशन अधीक्षक प्रिंस सेठी ने बताया कि ब्रिटिश सैलानियों की बुकिंग पर स्टीम इंजन को कैथलीघाट तक चलाया गया है। फरवरी माह की एक ओर बुकिंग स्टीम इंजन की अभी बाकी है जिसके लिए 27 फरवरी को एक बार फिर से स्टीम इंजन ट्रैक पर चलाया जाएगा। 


 बॉक्स:
1905 में  पहली बार चला था स्टीम इंजन

शिमला में पहली ट्रैन नौ नवंबर 1903 को पहुंची थी. ये स्टीम इंजन कालका कैथलीघाट के बीच 1905 में पहली बार चलाया गया था। इस ट्रैक पर वर्ष 1970 तक भाप इंजन ही चलते थे। इसके बाद डीजल इंजन आने पर भाप इंजन बंद हो गए, लेकिन धरोहर के रूप में अब भी उत्तर रेलवे ने कुछ भाप इंजनों को संभाल कर रखा हुआ है। 96 किलोमीटर की कालका शिमला रेल लाइन में 102 सुरंग व 800 छोटे बड़े पुल है।
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