शिमला: भाजपा खुद को पार्टी विद ए डिफरेंस कहती है और राजनीति में मूल्यों की बात करती है, लेकिन अपने ही विधायक से जुड़े मामले में फूंक-फूंक कर कदम रख रही है.ठीक जिस समय धर्मशाला में भाजपा की टॉप लीडरशिप मिशन-2022 के लिए मंथन कर रही थी, उसी समय पार्टी के स्थानीय विधायक विवाद में फंस गए. उनकी अफसर पत्नी ने बाकायदा वीडियो जारी कर विधायक विशाल नेहरिया पर घरेलू हिंसा का आरोप लगाया.
हाई प्रोफाइल मामला होने के कारण पुलिस प्रशासन भी दबाव में था. एफआईआर दर्ज न करने के तर्क तलाशे गए. वैसे राज्य महिला आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए एसपी कांगड़ा से रिपोर्ट तलब की. उधर, पार्टी भी मामले की गंभीरता को समझते हुए पर्दे के पीछे सुलह और मामले को ठंडा करने में जुट गई.
पर्दे के पीछे के खेल का ही कमाल कहा जाएगा कि विधायक की अफसर पत्नी ने अब आपराधिक मामला दर्ज करने से इनकार कर दिया है. एचएएस अफसर ओशीन शर्मा पहली जुलाई से शिमला के हिप्पा में ट्रेनिंग के लिए आएंगी. जाहिर है, वे इस समय मानसिक रूप से परेशान हैं. उधर, विधायक विशाल नेहरिया भी अचानक हुए इस घटनाक्रम से असमंजस की स्थिति में हैं.
बता चुके हैं पारिवारिक मामला
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर इस घटनाक्रम पर सधी हुई प्रतिक्रिया देते हुए दिखे. सीएम ने कहा कि ये विधायक का पारिवारिक मामला है और इसमें राजनीति नहीं करनी चाहिए. विपक्षी दल कांग्रेस तो विधायक की सदस्यता रद्द करने की मांग कर रही है. भाजपा भी इस मामले में सोच-समझकर बयान दे रही है. प्रदेश में ये भी बहस चल रही है कि क्या विधायक होने के कारण ये मामला पारिवारिक हो जाता है?
लोगों का कहना है कि जनप्रतिनिधि से जुड़ा होने के कारण ये मामला निजी नहीं रह जाता. लोग राजनेताओं में रोल मॉडल तलाश करते हैं और फिर भाजपा तो खुद को पार्टी विद ए डिफरेंस कहती है. ऐसे में जनता का मानना है कि विधायक पर कार्रवाई होनी चाहिए.
रिश्ता बचाने की सलाह
उधर, सूत्रों के हवाले से ये जानकारी मिल रही है कि पार्टी और सरकार के कई प्रमुख चेहरों ने विधायक को रिश्ता बचाने की सलाह दी है. युवा विधायक के शुभचिंतकों का भी मानना है कि विशाल नेहरिया के सामने शानदार कैरियर पड़ा है. ऐसे में उन्हें रिश्तों में आई कड़वाहट को कम करते हुए समझौते का रास्ता तलाश करना चाहिए. वहीं, ओशीन शर्मा ने आपराधिक मामला दर्ज करने से तो बेशक इनकार किया है, लेकिन वे विधायक के साथ आगे रिश्ता रखने के लिए तैयार नहीं हैं. वैसे पर्दे के पीछे ये प्रयास चल रहे हैं कि किसी तरह ये रिश्ता बच जाए.
कारण ये है कि इसमें दोनों की ही बेहतरी है. विशाल का राजनीतिक कैरियर और ओशीन शर्मा का प्रशासनिक कैरियर सामने है. आगामी कुछ ही दिनों में इस विवाद को लेकर स्थिति स्पष्ट होगी. वैसे विधायक पर एफआईआर से पहले विधानसभा अध्यक्ष से अनुमति लेनी होगी. ये लंबा प्रोसेस है. फिर सत्ता की अपनी ही हनक होती है.
ओशीन शर्मा के सामने भी कैरियर की लंबी पारी है. फिर ये सवाल भी बड़ा है कि भाजपा में उच्च स्तर पर इस मामले में लगभग चुप्पी सी है. इसी चुप्पी के संदर्भ में पर्दे के पीछे कई खेल चल रहे हैं. पूरे घटनाक्रम में एक पंक्ति और जोड़ना जरूरी है और वो ये कि बेशक मामला सुलझ जाए, लेकिन पार्टी विद ए डिफरेंस की छवि को इस घटनाक्रम से दाग तो लगा ही है.
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