शिमला: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की अब तक परफॉर्मेंस, विधायकों की अपने निर्वाचन क्षेत्र में सक्रियता, तीन उपचुनावों और 2022 में मिशन रिपीट की रणनीति पर चर्चा के लिए इन दिनों समूची भाजपा शिमला में जुटी है. राज्य अतिथिगृह पीटरहॉफ में पार्टी के मंथन से 2022 के मिशन रिपीट के सूत्र निकलेंगे.
तीन दिन चलेगी भाजपा कोर ग्रुप की बैठक
तीन दिन तक चलने वाली बैठक में पार्टी के हर सेक्शन की सहभागिता है. इसमें प्रदेश भाजपा के प्रभारी अविनाश राय खन्ना से लेकर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप, मौजूदा सीएम जयराम ठाकुर से लेकर पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर संगठन महामंत्री पवन राणा की मौजूदगी रहेगी. बाद में पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सौदान सिंह सारी मीटिंग का निचोड़ एक रिपोर्ट के रूप में हाईकमान को सौंपेंगे.
उपचुनाव मिशन रिपीट के सपने का सेमीफाइनल
यहां बता दें कि हिमाचल प्रदेश में जल्द ही तीन सीटों पर उपचुनाव होने हैं. इनमें एक लोकसभा सीट और दो विधानसभा सीटें हैं. भाजपा के लिए ये उपचुनाव एक तरह से मिशन रिपीट के सपने का सेमीफाइनल होगा. अगर भाजपा सेमीफाइनल जीत जाती है तो मिशन रिपीट का सपना पूरा करने के लिए उसे आत्मबल मिल जाएगा. अगर नगर निकाय चुनाव की तरह ही पार्टी को झटका लगा तो 2022 की राह भी मुश्किल हो जाएगी.
भाजपा की बैठक में बन रही रणनीति
संगठन के स्तर पर देखें तो भाजपा ऐसा राजनीतिक दल है जिसकी गतिविधियां हर समय चलती रहती हैं. यानी पार्टी हर समय चुनावी मोड़ पर रहती है. कोर ग्रुप की मीटिंग भी ऐसी ही कवायद है. इसमें पार्टी के सभी घटक एकसाथ मिलकर आगे की रणनीति बनाते हैं. साथ ही एक निश्चित अंतराल पर किए गए कार्यों की भी समीक्षा होती है. निश्चित तौर पर ऐसी कवायद पार्टी में सक्रियता बनाए रखने में मददगार होती है.
जयराम सरकार ने क्या खोया, क्या पाया
हिमाचल में 2017 में एक नये राजनीतिक युग की शुरुआत हुई थी. नए युग की इसलिए कि उस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस की दिग्गज राजनेताओं की पीढ़ी चुनाव हार गई. भाजपा को सत्ता मिली तो जयराम ठाकुर को हाईकमान ने सीएम की कुर्सी सौंपी. पहली ही कैबिनेट में जयराम सरकार ने एक अच्छा फैसला लिया और बुजुर्गों की पेंशन की आयु सीमा घटा दी. तब ऐसा लगा कि नई सरकार नए जोश से काम करेगी, लेकिन कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग में घपला सामने आया और सरकार की साख दांव पर लग गई.
कोरोना की दूसरी लहर में बैकफुट पर सरकार
स्वास्थ्य निदेशक को कुर्सी गंवानी पड़ी और साथ ही पार्टी अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल को भी हटना पड़ा. बाद में कोविड के बेहतर मैनेजमेंट से जयराम सरकार ने पीएम नरेंद्र मोदी से प्रशंसा पाई, लेकिन दूसरी लहर ने सरकार को फिर से बैकफुट पर धकेल दिया. फिर नगर निकाय चुनाव में पालमपुर और सोलन की हार ने जयराम सरकार को धक्का दिया. ऐसे में कोर ग्रुप की मीटिंग में सरकार के स्कोर पर गहन चर्चा होगी और आगे की रणनीति बनाई जाएगी.
कौन होगा उपचुनाव में चेहरा?
पार्टी के सामने बड़ी चुनौती के रूप में तीन उपचुनाव हैं. मंडी के सांसद की दुखद आत्महत्या के बाद इस लोकसभा सीट पर प्रत्याशी चयन आसान काम नहीं है. मंडी सीएम का गृह जिला है और सरकार सहित जयराम ठाकुर की साख का सवाल है. इसी तरह कोटखाई में भी नरेंद्र बरागटा के देहावसान से खालीपन पैदा हो गया है. बरागटा ऊपरी शिमला में पार्टी के प्रभावशाली चेहरा थे. फतेहपुर सीट कांग्रेस नेता सुजान सिंह पठानिया के निधन से खाली हुई है. यहां भी भाजपा को जोर लगाना होगा. सबसे पहली चुनौती प्रत्याशी चयन की है. कोर ग्रुप में बाई इलेक्शन में चुनावी रणनीति पर चर्चा होगी.
विधायकों ने अब तक क्या किया, बनेगी रिपोर्ट
कोरोना काल से पहले और कोरोना संकट में भाजपा विधायकों की अपने निर्वाचन क्षेत्र में सक्रियता का भी रिपोर्ट कार्ड बनेगा. मिशन रिपीट यानी 2020 में टिकट की कन्फर्मेशन भी इसी रिपोर्ट के आधार होगी. भाजपा के पास यूं तो 2012 में भी सरकार रिपीट करने का अच्छा मौका था, लेकिन कांगड़ा के नेताओं की महत्वाकांक्षा ने उस सपने पर पानी फेर दिया. अब जयराम सरकार के पास ये अवसर आया है. प्रदेश में वीरभद्र सिंह की सक्रियता अब न के बराबर है. ऐसे में कांग्रेस को एक छत के नीचे लाने वाला कोई कद्दावर चेहरा नहीं है. भाजपा इसका लाभ उठा सकती है. शर्त यही है कि कोरोना संकट में तीसरी लहर न आ जाए और प्रदेश प्रभावित न हो. अगर कोरोना फिर बेकाबू हुआ तो जयराम सरकार के प्रति रोष बढ़ेगा. कोर ग्रुप में इन्हीं सब मसलों पर मंथन होगा. देखना है कि इसमें से भाजपा के लिए कौन सा अमृत निकलेगा, जो मिशन रिपीट को आसान बना सके.
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