शिमला: प्रदेश में गणतंत्र दिवस के साथ-साथ आज बसंत पंचमी का त्योहार भी मनाया जा रहा हैं. राजधानी शिमला के कालीबाड़ी मंदिर में मां सरस्वती के 16 श्रृंगार कर पूजा-अर्चना की गई. मंदिर में सुबह 8 बजे से ही मां की आराधना का दौर शुरू हो गया, आज शाम तक बड़ी संख्या में लोग पहुंचकर माता सरस्वती की पूजा कर खुशहाली का वरदान मांगेंगे.
बच्चे पहुंचे कॉपी-किताब लेकर: इस दौरान कमल के फूलों के साथ देवी सरस्वती की पुष्पांजलि पूजा कर हवन किया गया. इस अवसर पर काफी संख्या में बच्चे मां का आर्शीवाद लेने के लिए कालीबाड़ी पहुंचे. विद्यार्थियों ने मां सरस्वती की पूजा के साथ कॉपी-किताब सहित कलम की भी पूजा की.
मां को हलवे-बूंदी का भोग: मां सरस्वती को पीला रंग और पीले रंग का भोग अतिप्रिय माना है.इसलिए भक्तों ने मां को पीले चावल, केसर का हलवा, बूंदी और बूंदी, बेसन के लड्डुओं का भोग लगाकर आशीर्वाद मांगा. मान्यता है कि मां सरस्वती को केसर हलवे का भोग लगाने से सारे कष्टों से छुटकारा मिल जाता है.
बसंत ऋतु की शुरुआत: इसके अलावा शहर के अन्य मंदिरों तारादेवी, संकट मोचन, जाखू, राम मंदिर, लक्ष्मी नरायण सहित सभी मंदिरों में बसंत पंचमी पर लोग पूजा करने पहुंचे. कालीबाड़ी मंदिर के मुख्य पुजारी मुक्ति चक्रवर्ती ने बताया कि आज का विशेष महत्व है ,क्योंकि आज से बसंत की शुरुआत होती है. सर्दियां खत्म होने लगती है और बसंत का आगमन शुरू हो जाता है. इस दिन मां सरस्वती की पूजा -अर्चना का विधान है.
श्री पंचमी और ज्ञान पंचमी भी कहा जाता: पुजारी मुक्ति चक्रवर्ती ने बताया कि शास्त्रों में उल्लेख है कि बसंत पंचमी को श्री पंचमी और ज्ञान पंचमी भी कहा जाता है. बसंत पंचमी को मां सरस्वती के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है. इस दिन मां की उपासना कर ज्ञान, बुद्धि और कला की कामना की जाती है.
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