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दिवाली पर लोगों ने ढाया कहर, शिमला सहित धुंआ-धुंआ हुए ये शहर...4 गुणा बढ़ गया प्रदूषण

ग्रीन दिवाली की अपील का हिमाचल में नहीं दिखा हिमाचल असर. हर साल दिवाली पर शुद्ध वातावरण में घुल रहा जहर, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जारी की एयर क्वालिटी इंडेक्स रिपोर्ट, परवाणु सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर.

Air Quality Index Report after diwali in Himachal
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Published : Oct 30, 2019, 8:54 PM IST

Updated : Oct 31, 2019, 8:31 AM IST

शिमला: हिमाचल में ग्रीन दिवाली मानाने की अपील का लोगों पर ज्यादा असर देखने को नहीं मिला है. प्रदेश में लोगों ने दिवाली पर जमकर आतिशबाजी की है. दिवाली पर राजधानी शिमला सहित प्रदेश के प्रमुख शहरों में दिवाली के दौरान साल दर साल शुद्ध वातावरण में जहर घुल रहा है.

अन्य शहरों के साथ-साथ दिवाली की रात राजधानी शिमला में भी जमकर पटाखे जलाए गए. पटाखों के जहर से पहाड़ों की आबो-हवा में जहर घुल गया है. दिवाली की रात पाटाखों की वजह से वातावरण कितना प्रदुषित हुआ इसे लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एक इंडेक्स रिपोर्ट जारी की है.

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रदेश के प्रमुख शहरों की पहली बार तुलनात्मक एयर क्वालिटी इंडेक्स रिपोर्ट (Air Quality Index Report) जारी की है. जिसमें शिमला में दिवाली की रात को 90.3 रेस्पिरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर (आरएसपीएम) वायु प्रदुषण दर्ज किया, जोकि तीन सालों के मुकाबले सबसे ज्यादा है.

वीडियो रिपोर्ट.

2017 में आरएसपीएम शिमला ओल्ड बस स्टैंड में जहां 78.9 था वहीं, 2018 में ये कम हो कर 76.0 हो गया, लेकिन इस बार ये बढ़ कर 90.3 आरएसपीएम तक पहुंच गया है. इस रिपोर्ट में शिमला सहित छह शहरों की हालत काफी भयावह निकली है.

इन शहरों में शिमला, परवाणु, धर्मशाला, डमटाल, पांवटा और कालाअंब में ये स्तर बीते तीन वर्षों में बढ़ता देखा गया है. परवाणु और पांवटा में सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण का स्तर दर्ज किया गया है. इस वर्ष की दिवाली में शिमला में 90.3 आरएसपीएम, परवाणू का 191.3, धर्मशाला में 113.7, डमटाल में 77.7, पावंटा में 156.3 और कालाअंब में 96.2 आरएसपीएम दर्ज किया गया है.

जिन पांच शहरों में यह स्तर कम हुआ है, उसमें ऊना में 78.8, सुंदरनगर 112.7, बद्दी 110.0, नालागढ़ 92 आरएसपीएम और मनाली 120.8 आरएसपीएम दर्ज किया गया है. इस बार प्रदेश में परवाणु में सबसे ज्यादा प्रदुषण फैला है.

परमाणु में 2017 में रेस्पिरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर की मात्रा 78.3 थी, वहीं 2019 में ये मात्रा बढ़ कर 191.3 हो गई है.

प्रदेश के पांच प्रमुख औद्योगिक व पर्यटन नगरों ऊना, सुंदरनगर, बद्दी, नालागढ़ व मनाली में रेस्पिरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर की मात्रा में पिछले साल की अपेक्षा इस बार बहुत अधिक गिरावट आई है. प्रदेश में कई जगह पटाखे न फोड़ने की अपील का असर दिखा है.

दिवाली से पहले मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के अलावा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से ऐसी अपील की गई थी. प्रदेश में आरएसपीएम में पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार दिवाली पर सबसे अधिक गिरावट बद्दी में -138.0 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर दर्ज की गई है.

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव आदित्य नेगी, ने कहा कि दिवाली पर आरएसपीएम बहुत अधिक बढ़ा है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में कम भी हुआ है. ऐसे में अब विस्तृत अध्ययन किया जा रहा है कि दिवाली के दिन और रात में किस-किस तत्व की वृद्धि हुई है जो सबके लिए घातक है. इसके आधार पर उचित कदम उठाए जाएंगे.

उन्होंने कहा, ''आरएसपीएम के अधिक बढ़ने पर वायु प्रदूषण ज्यादा हो जाता है. इस कारण सांस लेने में दिक्कत आती है. आंखों में जलन, खांसी के अलावा अस्थमा के दौरे पड़ सकते हैं. उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा, स्ट्रोक और कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. इन कणों का हवा में स्तर बढ़ने का सबसे बुरा असर बच्चों व बुजुर्गो पर पड़ता है.''

शिमला: हिमाचल में ग्रीन दिवाली मानाने की अपील का लोगों पर ज्यादा असर देखने को नहीं मिला है. प्रदेश में लोगों ने दिवाली पर जमकर आतिशबाजी की है. दिवाली पर राजधानी शिमला सहित प्रदेश के प्रमुख शहरों में दिवाली के दौरान साल दर साल शुद्ध वातावरण में जहर घुल रहा है.

अन्य शहरों के साथ-साथ दिवाली की रात राजधानी शिमला में भी जमकर पटाखे जलाए गए. पटाखों के जहर से पहाड़ों की आबो-हवा में जहर घुल गया है. दिवाली की रात पाटाखों की वजह से वातावरण कितना प्रदुषित हुआ इसे लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एक इंडेक्स रिपोर्ट जारी की है.

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रदेश के प्रमुख शहरों की पहली बार तुलनात्मक एयर क्वालिटी इंडेक्स रिपोर्ट (Air Quality Index Report) जारी की है. जिसमें शिमला में दिवाली की रात को 90.3 रेस्पिरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर (आरएसपीएम) वायु प्रदुषण दर्ज किया, जोकि तीन सालों के मुकाबले सबसे ज्यादा है.

वीडियो रिपोर्ट.

2017 में आरएसपीएम शिमला ओल्ड बस स्टैंड में जहां 78.9 था वहीं, 2018 में ये कम हो कर 76.0 हो गया, लेकिन इस बार ये बढ़ कर 90.3 आरएसपीएम तक पहुंच गया है. इस रिपोर्ट में शिमला सहित छह शहरों की हालत काफी भयावह निकली है.

इन शहरों में शिमला, परवाणु, धर्मशाला, डमटाल, पांवटा और कालाअंब में ये स्तर बीते तीन वर्षों में बढ़ता देखा गया है. परवाणु और पांवटा में सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण का स्तर दर्ज किया गया है. इस वर्ष की दिवाली में शिमला में 90.3 आरएसपीएम, परवाणू का 191.3, धर्मशाला में 113.7, डमटाल में 77.7, पावंटा में 156.3 और कालाअंब में 96.2 आरएसपीएम दर्ज किया गया है.

जिन पांच शहरों में यह स्तर कम हुआ है, उसमें ऊना में 78.8, सुंदरनगर 112.7, बद्दी 110.0, नालागढ़ 92 आरएसपीएम और मनाली 120.8 आरएसपीएम दर्ज किया गया है. इस बार प्रदेश में परवाणु में सबसे ज्यादा प्रदुषण फैला है.

परमाणु में 2017 में रेस्पिरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर की मात्रा 78.3 थी, वहीं 2019 में ये मात्रा बढ़ कर 191.3 हो गई है.

प्रदेश के पांच प्रमुख औद्योगिक व पर्यटन नगरों ऊना, सुंदरनगर, बद्दी, नालागढ़ व मनाली में रेस्पिरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर की मात्रा में पिछले साल की अपेक्षा इस बार बहुत अधिक गिरावट आई है. प्रदेश में कई जगह पटाखे न फोड़ने की अपील का असर दिखा है.

दिवाली से पहले मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के अलावा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से ऐसी अपील की गई थी. प्रदेश में आरएसपीएम में पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार दिवाली पर सबसे अधिक गिरावट बद्दी में -138.0 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर दर्ज की गई है.

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव आदित्य नेगी, ने कहा कि दिवाली पर आरएसपीएम बहुत अधिक बढ़ा है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में कम भी हुआ है. ऐसे में अब विस्तृत अध्ययन किया जा रहा है कि दिवाली के दिन और रात में किस-किस तत्व की वृद्धि हुई है जो सबके लिए घातक है. इसके आधार पर उचित कदम उठाए जाएंगे.

उन्होंने कहा, ''आरएसपीएम के अधिक बढ़ने पर वायु प्रदूषण ज्यादा हो जाता है. इस कारण सांस लेने में दिक्कत आती है. आंखों में जलन, खांसी के अलावा अस्थमा के दौरे पड़ सकते हैं. उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा, स्ट्रोक और कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. इन कणों का हवा में स्तर बढ़ने का सबसे बुरा असर बच्चों व बुजुर्गो पर पड़ता है.''

Intro:

प्रदेश में ग्रीन दीवाली मानाने की अपील का लोगो पर ज्यादा असर नही देखने को मिला है ! प्रदेश में लोगो ने जम कर दीवाली पर पठाखे चलाए है ! दीवाली पर पहाड़ो की राजधानी  शिमला  सहित प्रदेश के  प्रमुख शहरो में  दीवाली के दौरान साल  दर साल शुद्ध  वातावरण में  जहर घुल रहा है ! अन्य शहरो के साथ साथ  ही दीवाली  की रात  शिमला में भी  जम कर  पठाखे चलाये गए !   पठाखो  के जहर से पहाड़ो की रानी शिमला की आवोहवा  में जहर  घुल गया है !प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रदेश के प्रमुख  शहरो की  पहली बार तुलनात्मक एयर क्वालिटी इंडेक्स रिपोर्ट जारी की गई जिसमे    शिमला में दीवाली  की रात  को  90.3 रेस्पिरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर (आरएसपीएम) वायु प्रदुषण  दर्ज किया जोकि तीन सालो के  मुकाबले सबसे जयादा है ! 2017 में आरएसपीएम शिमला  ओल्ड बस स्टैंड में जहा 78.9  था वही 2018 में  कम हो कर 76.0  हो गया लेकिन इस बार ये बढ़ कर  90.3 आरएसपीएम तक पहुच गया है !  इस रिपोर्ट में  शिमला  सहित  छह शहरों की हालत काफी भयावह निकली है, जिसमें शिमला, परवाणु, धर्मशाला, डमटाल, पांवटा और कालाअंब में ये स्तर बीते तीन वर्षों में बढ़ता देखा गया है। परवाणु और पांवटा में सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण का स्तर दर्ज किया गया है। इस वर्ष की दिवाली में  शिमला में 90.3 आरएसपीएम, परवाणू का 191.3, धर्मशाला में 113.7, डमटाल में 77.7, पावंटा में 156.3 और कालाअंब में 96.2 आरएसपीएम दर्ज किया गया है।  जिन पांच शहरों में यह स्तर कम हुआ है, उसमें ऊना में 78.8, सुंदरनगर 112.7, बद्दी 110.0, नालागढ़ 92 आरएसपीएम और मनाली 120.8 आरएसपीएम दर्ज किया गया है।  इस बार प्रदेश में  सबसे जयादा परमाणु  में सबसे  ज्यादा प्रदुषण  फैसला है ! परमाणु  में 2017  में  रेस्पिरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटरकी  की मात्रा  78.3  थी  वही 2019 में बढ़ कर   191.3 हो गई है ! 
 Body:प्रदेश के पांच प्रमुख औद्योगिक व पर्यटन नगरों ऊना, सुंदरनगर, बद्दी, नालागढ़ व मनाली में रेस्पिरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटरकी मात्रा में पिछले साल की अपेक्षा इस बार बहुत अधिक गिरावट आई है। प्रदेश में कई जगह पटाखे न फोड़ने की अपील का असर दिखा है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के अलावा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से ऐसी अपील की गई थी। प्रदेश में आरएसपीएम में पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार दिवाली पर सबसे अधिक गिरावट बद्दी में -138.0 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर दर्ज की गई है।   
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव आदित्य नेगी, ने कहा  दिवाली पर आरएसपीएम बहुत अधिक बढ़ा है लेकिन कुछ क्षेत्रों में कम भी हुआ है। ऐसे में अब विस्तृत अध्ययन किया जा रहा है कि दिवाली के दिन और रात में किस-किस तत्व की वृद्धि हुई है जो सबके लिए घातक है। इसके आधार पर उचित कदम उठाए जाएंगे।  उन्होंने कहा  आरएसपीएम के अधिक बढ़ने पर वायु प्रदूषण ज्यादा हो जाता है। इस कारण सांस लेने में दिक्कत आती है। आंखों में जलन, खांसी के अलावा अस्थमा के दौरे पड़ सकते हैं। उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा, स्ट्रोक और कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इन कणों का हवा में स्तर बढ़ने का सबसे बुरा असर बच्चों व बुजुर्गो पर पड़ता है।  Conclusion:
Last Updated : Oct 31, 2019, 8:31 AM IST
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