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किलो के हिसाब से सेब खरीदने के फैसले का आढ़ती एसोसिएशन ने किया स्वागत, आढ़तियों को SIT के दायरे में लाने की उठाई मांग - हिमाचल में किलो के हिसाब से सेब

हिमाचल में किलो के हिसाब से सेब खरीदने के फैसले का आढ़ती एसोसिएशन ने स्वागत किया है. आढ़तियों का कहना है कि इससे बागवानों को फायदा होगा. वहीं, उन्होंने आढ़तियों को SIT के दायरे में लाने की मांग उठाई है.

हिमाचल प्रदेश आढ़ती महासंघ
हिमाचल प्रदेश आढ़ती महासंघ
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Published : Apr 16, 2023, 11:23 AM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में अब किलो के हिसाब से सेब खरीदा जाएगा. प्रदेश सरकार ने हाल ही में किलो के हिसाब से सेब खरीदने का फैसला लिया था. आने वाले सेब सीजन में बागवान किलो के हिसाब से सेब बेच सकेंगे. सरकार के इस फैसले बागवानों को बड़ी राहत मिली है. वहीं, आढ़ती एसोसिएशन ने भी इस फैसले स्वागत किया है. साथ ही सरकार से प्रदेश के बाहर इन्हीं नियम-शर्तों को लागू करने की मांग भी की है.

बीते दिनों शिमला के फागु में प्रदेश आढ़ती एसोसिएशन द्वारा बैठक का भी आयोजन किया गया था, जिसमें प्रदेश भर से एसोसिएशन के सदस्य मौजूद रहे थे. बैठक में आढ़तियों को आ रही समस्याओं को मुख्यमंत्री के समक्ष रखने का फैसला लिया गया था. साथ ही आढ़तियों को एसआईटी के दायरे में लाने और मंडियों के विस्तार की मांग को सरकार के समक्ष उठाने पर फैसला हुआ था.

हिमाचल प्रदेश आढ़ती महासंघ के अध्यक्ष हरीश चौहान ने बताया कि किलो के हिसाब से सेब खरीदने का सरकार का फैसला स्वागत योग्य है. इससे बागवानों को फायदा होगा. सरकार ने 24 किलो का वेट निर्धारित किया है और बागवानों से भी अपील है कि वे 24 किलो की पैकिंग लेकर सेब मंडियों में सेब लाएं. उन्होंने सरकार से यह भी आग्रह किया कि प्रदेश की मंडियों के अलावा बाहरी राज्यों में भी इसी शर्त को लागू किया जाए. यदि बाहरी मंडियों में शर्त नहीं रहेगी तो प्रदेश की मंडियों को नुकसान होगा. सरकार सेब बेचने का एक ही पैमाना तह करे. इसके अलावा सरकार द्वारा साइज के हिसाब से सेब खरीदने का पैमाना भी रखे और इसे लेकर स्तिथि स्पष्ट करे.

प्रदेश की सेब मंडियों में जगह का अभाव: उन्होंने कहा कि प्रदेश की सेब मंडियों में जगह का काफी अभाव है और अगर किलो के हिसाब से सेब खरीदते हैं तो जगह ज्यादा चाहिए. आढ़तियों को स्टोर खरीदने पढ़ते हैं. इसके अलावा सेब खरीदने के लिए बाहरी राज्यों से आने वाले आढ़तियों की सही से वेरिफिकेशन की जाए. ताकि प्रदेश के बागवान ठगी का शिकार न हो. इसके अलावा अलग-अलग जगह बनाए जा रहे लाइसेंस को बंद किया जाए और सिर्फ एपीएमसी के तहत ही लाइसेंस बनाए जाएं. उन्होंने कहा कि हर साल बागवान ठगी का शिकार होते है. सेब खरीदने के बाद बाहरी राज्यों के आढ़ती पैसे नहीं देते हैं. इसके लिए सरकार द्वारा एसआईटी का गठन करे और आढ़तियों को उसके दायरे में लाया जाए.

बता दें कि प्रदेश में अभी 30 से 32 किलो की पैकिंग में सेब बेचा जा रहा है. इससे आढ़तियों को तो फायदा हो रहा है, लेकिन सेब बागवान लूट का शिकार हो रहे हैं. बागवानों को पेटी के हिसाब से सेब की कीमत अदा की जा रही है. जबकि आढ़ती बाद में इसे 20 से 24 किलो की पेटी बनाकर आगे बेचकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं. बागवानों को इस ठगी से बचाने के लिए सरकार ने आने वाले सेब सीजन में किलो के हिसाब से सेब बेचने का फैसला लिया है. इससे बागवानों को उनके उत्पाद और मेहनत के सही दाम मिल सकेंगे.

ये भी पढ़ें: सुक्खू सरकार का बड़ा फैसला: हिमाचल में वजन के हिसाब से बिकेगा सेब, आगामी सीजन से लागू होगा फैसला

शिमला: हिमाचल प्रदेश में अब किलो के हिसाब से सेब खरीदा जाएगा. प्रदेश सरकार ने हाल ही में किलो के हिसाब से सेब खरीदने का फैसला लिया था. आने वाले सेब सीजन में बागवान किलो के हिसाब से सेब बेच सकेंगे. सरकार के इस फैसले बागवानों को बड़ी राहत मिली है. वहीं, आढ़ती एसोसिएशन ने भी इस फैसले स्वागत किया है. साथ ही सरकार से प्रदेश के बाहर इन्हीं नियम-शर्तों को लागू करने की मांग भी की है.

बीते दिनों शिमला के फागु में प्रदेश आढ़ती एसोसिएशन द्वारा बैठक का भी आयोजन किया गया था, जिसमें प्रदेश भर से एसोसिएशन के सदस्य मौजूद रहे थे. बैठक में आढ़तियों को आ रही समस्याओं को मुख्यमंत्री के समक्ष रखने का फैसला लिया गया था. साथ ही आढ़तियों को एसआईटी के दायरे में लाने और मंडियों के विस्तार की मांग को सरकार के समक्ष उठाने पर फैसला हुआ था.

हिमाचल प्रदेश आढ़ती महासंघ के अध्यक्ष हरीश चौहान ने बताया कि किलो के हिसाब से सेब खरीदने का सरकार का फैसला स्वागत योग्य है. इससे बागवानों को फायदा होगा. सरकार ने 24 किलो का वेट निर्धारित किया है और बागवानों से भी अपील है कि वे 24 किलो की पैकिंग लेकर सेब मंडियों में सेब लाएं. उन्होंने सरकार से यह भी आग्रह किया कि प्रदेश की मंडियों के अलावा बाहरी राज्यों में भी इसी शर्त को लागू किया जाए. यदि बाहरी मंडियों में शर्त नहीं रहेगी तो प्रदेश की मंडियों को नुकसान होगा. सरकार सेब बेचने का एक ही पैमाना तह करे. इसके अलावा सरकार द्वारा साइज के हिसाब से सेब खरीदने का पैमाना भी रखे और इसे लेकर स्तिथि स्पष्ट करे.

प्रदेश की सेब मंडियों में जगह का अभाव: उन्होंने कहा कि प्रदेश की सेब मंडियों में जगह का काफी अभाव है और अगर किलो के हिसाब से सेब खरीदते हैं तो जगह ज्यादा चाहिए. आढ़तियों को स्टोर खरीदने पढ़ते हैं. इसके अलावा सेब खरीदने के लिए बाहरी राज्यों से आने वाले आढ़तियों की सही से वेरिफिकेशन की जाए. ताकि प्रदेश के बागवान ठगी का शिकार न हो. इसके अलावा अलग-अलग जगह बनाए जा रहे लाइसेंस को बंद किया जाए और सिर्फ एपीएमसी के तहत ही लाइसेंस बनाए जाएं. उन्होंने कहा कि हर साल बागवान ठगी का शिकार होते है. सेब खरीदने के बाद बाहरी राज्यों के आढ़ती पैसे नहीं देते हैं. इसके लिए सरकार द्वारा एसआईटी का गठन करे और आढ़तियों को उसके दायरे में लाया जाए.

बता दें कि प्रदेश में अभी 30 से 32 किलो की पैकिंग में सेब बेचा जा रहा है. इससे आढ़तियों को तो फायदा हो रहा है, लेकिन सेब बागवान लूट का शिकार हो रहे हैं. बागवानों को पेटी के हिसाब से सेब की कीमत अदा की जा रही है. जबकि आढ़ती बाद में इसे 20 से 24 किलो की पेटी बनाकर आगे बेचकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं. बागवानों को इस ठगी से बचाने के लिए सरकार ने आने वाले सेब सीजन में किलो के हिसाब से सेब बेचने का फैसला लिया है. इससे बागवानों को उनके उत्पाद और मेहनत के सही दाम मिल सकेंगे.

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