शिमला: स्मार्ट सिटी बनने जा रहे ब्रिटिश कालीन ऐतिहासिक शहर शिमला का स्थानीय प्रशासन आवारा कुत्तों के आगे बेबस है. यहां स्थानीय निवासियों व सैलानियों को आवारा कुत्तों की समस्या से जूझना पड़ता है. राजधानी में बंदरों का आतंक तो ही है वहीं, अब आवारा कुत्तों की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है.
शिमला में कुछ समय पहले एक बच्चे को आवारा कुत्ते ने काट खाया था. उस बच्चे का पीजीआई चंडीगढ़ में इलाज चल रहा है. आवारा कुत्तों की समस्या और नगर निगम प्रशासन की विफलता पर हाईकोर्ट तक में याचिका दाखिल की गई थी.
आवारा कुत्तों और बंदरों की वजह से पहाड़ों की रानी शिमला की छवि को भी खासा नुकसान पहुंच रहा है. दुनिया भर से शिमला पहुंचने वाले पर्यटकों को भी आवारा कुत्तों से परेशानी झेलनी पड़ती है. कुछ पर्यटक तो मॉल रोड पर लेटे इन आवारा कुत्तों को अपने कैमरों में कैद कर लेते हैं.
पांच साल के आंकड़े
पिछले पांच सालों में कुत्तों के काटने के 12,111 लोग अस्पातल पहुंचे. वर्ष 2015 को शहर में कुत्तों के काटने के 2,572 मामले सामने आए. वर्ष 2016 में 2,651 मामले सामने आए. वर्ष 2017 में 2,570 लोग डॉग बाइट का शिकार हुए.
वर्ष 2018 में 2,867 लोगों के काटने से अस्पताल पहुंचे. इसके अलावा 2019 में अब तक यह संख्या 1,451 पहुंच गई है.