मंडी: उत्तराखंड के सिलक्यारा में टनल धंसने से अंदर फंसे 41 मजदूरों को जब निकालने के प्रयास हो रहे थे तो उसी दौरान मंडी जिले के पंडोह के पास भी दो निर्माणाधीन टनलें धंस गई थी, लेकिन कंपनी प्रबंधन ने किसी को इसकी भनक तक नहीं लगने दी. अब जाकर इसकी जानकारी सामने आई है. मिली जानकारी के अनुसार पंडोह डैम के साथ लगते डयोड में निर्माणाधीन दो टनलों में से एक टनल जिसे आरएचएस का नाम दिया है, 22 नवंबर को सुबह इसका 25 से 30 मीटर का हिस्सा सुबह करीब 4 बजे धंस गया. इसके बाद 6 दिसंबर को शाम के समय एचएलएच टनल का करीब 60 मीटर का हिस्सा धंस गया.
दोनों हादसों में एक अच्छी बात यह रही कि टनल धंसने का अहसास पहले ही हो गया था और सभी लोग पहले ही सुरक्षित बाहर निकल गए थे. मलबा काफी ज्यादा मात्रा में गिरा हुआ है जिसे हटाने का कार्य तो जारी है, लेकिन जैसे ही मलबा हटाया जा रहा है तो और मलबा आकर गिर रहा है. ऐसे में मलबा हटाने के कार्य में काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. इन दोनों टनलों की लंबाई लगभग 3-3 किलोमीटर की है.
मजदूरों के फंसने की नहीं थी कोई संभावना: दोनों टनलों के धंसने के कारण मजदूरों के अंदर फंसने की कोई संभावना नहीं थी, क्योंकि दोनों ही निर्माणाधीन टनलों का ब्रेक थ्रू हो चुका था. यानी टनलों के दोनों छोर आपस में मिल चुके थे. उत्तराखंड के सिलक्यारा में मजदूरों के अंदर फंसने की वजह ब्रेक थ्रू न होना ही था, लेकिन जो भारी भरकम मलबा गिरा उसके नीचे मजदूर दब जरूर सकते थे यदि समय रहते टनल के धंसने का अहसास न हुआ होता और अचानक यह हादसा हुआ होता.
मलबा हटाने का कार्य जारी: शाहपुरजी पलौनजी कंपनी के टीम लीडर आदर्श पन्होत्रा ने बताया कि निर्माण कार्य के दौरान इस प्रकार की घटनाएं होती रहती हैं, लेकिन कंपनी प्रबंधन द्वारा सेफ्टी के सभी मापदंडो का सख्ती से पालन किया जाता है. जो मलबा गिरा है उसे हटाने का कार्य जारी है और जल्द ही इस कार्य को भी पूरा कर लिया जाएगा. बता दें कि पंडोह बायपास टकोली प्रोजेक्ट का कार्य एफकॉन्स कर रही है और यह कार्य शाहपुरजी पलौनजी कंपनी की देखरेख में हो रहा है.
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