ETV Bharat / state

आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं का कमाल, LED/CFL लाइट से विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने में हुए कामयाब

author img

By

Published : Nov 30, 2022, 8:27 PM IST

आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने पेरोवस्काइट मटीरियल का पता लगाने में कामयाबी हासिल की है. इस शोध से सूरज की रोशनी नहीं बल्कि घर के अंदर के कृत्रिम प्रकाश के माध्यम से भी विद्युत उत्पन्न की जा सकती है. यह शोध आईओटी टेक्नोलॉजी का आधार मजबूत करता है. पढ़ें पूरी खबर

iit mandi
आईआईटी मंडी

मंडी: हिमाचल की भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी के शोधकर्ताओं ने एक नया फोटोवोल्टिक मैटीरियल का विकास किया है, जो घर पर रोशनी के किसी स्रोत जैसे एलईडी (LED) या सीएफएल (CFL) की रोशनी के साथ इरैडियेट किए जाने पर बिजली उत्पन्न कर सकता है. यह शोध आईओटी टेक्नोलॉजी का आधार मजबूत करता है. आईआईटी मंडी के डॉ रणबीर सिंह और डॉ सतिंदर कुमार शर्मा ने राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान (एनआईएसई), गुरुग्राम के डॉ विक्रांत शर्मा, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा के डॉ विवेक कुमार शुक्ला और नॉर्थ टेक्सस विश्वविद्यालय, डेंटन, यूएसए के श्री मृत्युंजय पराशर के साथ मिल कर यह शोध-पत्र प्रकाशित किया है.

शोधकर्ता नए पेरोवस्काइट्स मटीरियल का पता लगाने में कामयाब: एक साथ कई संस्थानों की टीम ने मिल कर थिन फिल्म फोटोवोल्टिक सेल विकसित किए हैं, जो किसी प्रकार के प्रकाश से पावर पैदा कर सकते हैं. ये सेल्स पेरोवस्काइट्स पर आधारित हैं, जो सूरज की रोशनी ग्रहण कर उससे पावर पैदा करने में सक्षम एक क्रिस्टल फैमिली है. सौर ऊर्जा पैदा करने के लिए लंबे समय से पेरोवस्काइट्स पर शोध किया जा रहा है. शोधकर्ताओं की यह टीम नए पेरोवस्काइट मटीरियल का पता लगाने में कामयाब रही है, जिनका उपयोग केवल सूरज की रोशनी नहीं बल्कि घर के अंदर के कृत्रिम प्रकाश के माध्यम से भी किया जा सकता है.

फोटोवोल्टिक मटीरियल के विकास का संभावित विकल्प देता है यह शोध: इस शोध के प्रौद्योगिकी पहलुओं के बारे में आईआईटी मंडी के डॉ रणबीर सिंह ने बताया कि उन्होंने मिथाइलअमोनियम लेड आयोडाइड (एमएपीबीआई3) पेरोवस्काइट्स मटीरियल में फॉर्मिडियम (एफए$) कटायन का समावेश कर फोटोएक्टिव क्वैसी-क्यूबिक स्ट्रक्चर्ड पेरोवस्काइट मटीरियल का सिंथेसिस किया है. पेरोवस्काइट्स के प्रकाश अवशोषण, मॉर्फालॉजी, चार्ज ट्रांस्पोर्ट और इलेक्ट्रॉन ट्रैप स्टेट्स का परीक्षण किया गया और घर के अंदर की रोशनी में डिवाइस की भौतिकी को विस्तार से देखा गया है.

ये भी पढ़ें- नन्हीं वैज्ञानिक का अनोखा एयर प्यूरीफायर मॉडल, घर में कोरोना वायरस भी नहीं कर सकेगा प्रवेश

फैब्रिकेशन से तैयार पीवी ने घर के अंदर की रोशनी में 34.07 प्रतिशत फोटोइलेक्ट्रिक कन्वर्जन क्षमता का प्रदर्शन किया. फोटोइलेक्ट्रिक कन्वर्जन क्षमता के वैल्यू घर के अंदर उपयोगी श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ पेरोवस्काइट्स के बराबर पाए गए हैं. प्रमुख शोधकर्ता का यह भी कहना है कि यह शोध कार्य फोटोवोल्टिक मटीरियल के विकास का संभावित विकल्प देता है, जो क्वासी क्यूबिक पेरोवस्काइट्स का उपयोग कर घर के अंदर प्रकाश ऊर्जा का प्राप्त करेगा. निकट भविष्य में घर के अंदर की रोशनी से ऊर्जा प्राप्त करने का चलन तेजी से बढ़ेगा क्योंकि स्वास्थ्य और स्वास्थ्य पर निगरानी रखने वाले एप्लीकेशन, स्मार्ट होम, लॉजिस्टिक्स, स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग आदि स्मार्ट डिवाइस का उपयोग बहुत तेजी से बढ़ रहा है.

मंडी: हिमाचल की भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी के शोधकर्ताओं ने एक नया फोटोवोल्टिक मैटीरियल का विकास किया है, जो घर पर रोशनी के किसी स्रोत जैसे एलईडी (LED) या सीएफएल (CFL) की रोशनी के साथ इरैडियेट किए जाने पर बिजली उत्पन्न कर सकता है. यह शोध आईओटी टेक्नोलॉजी का आधार मजबूत करता है. आईआईटी मंडी के डॉ रणबीर सिंह और डॉ सतिंदर कुमार शर्मा ने राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान (एनआईएसई), गुरुग्राम के डॉ विक्रांत शर्मा, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा के डॉ विवेक कुमार शुक्ला और नॉर्थ टेक्सस विश्वविद्यालय, डेंटन, यूएसए के श्री मृत्युंजय पराशर के साथ मिल कर यह शोध-पत्र प्रकाशित किया है.

शोधकर्ता नए पेरोवस्काइट्स मटीरियल का पता लगाने में कामयाब: एक साथ कई संस्थानों की टीम ने मिल कर थिन फिल्म फोटोवोल्टिक सेल विकसित किए हैं, जो किसी प्रकार के प्रकाश से पावर पैदा कर सकते हैं. ये सेल्स पेरोवस्काइट्स पर आधारित हैं, जो सूरज की रोशनी ग्रहण कर उससे पावर पैदा करने में सक्षम एक क्रिस्टल फैमिली है. सौर ऊर्जा पैदा करने के लिए लंबे समय से पेरोवस्काइट्स पर शोध किया जा रहा है. शोधकर्ताओं की यह टीम नए पेरोवस्काइट मटीरियल का पता लगाने में कामयाब रही है, जिनका उपयोग केवल सूरज की रोशनी नहीं बल्कि घर के अंदर के कृत्रिम प्रकाश के माध्यम से भी किया जा सकता है.

फोटोवोल्टिक मटीरियल के विकास का संभावित विकल्प देता है यह शोध: इस शोध के प्रौद्योगिकी पहलुओं के बारे में आईआईटी मंडी के डॉ रणबीर सिंह ने बताया कि उन्होंने मिथाइलअमोनियम लेड आयोडाइड (एमएपीबीआई3) पेरोवस्काइट्स मटीरियल में फॉर्मिडियम (एफए$) कटायन का समावेश कर फोटोएक्टिव क्वैसी-क्यूबिक स्ट्रक्चर्ड पेरोवस्काइट मटीरियल का सिंथेसिस किया है. पेरोवस्काइट्स के प्रकाश अवशोषण, मॉर्फालॉजी, चार्ज ट्रांस्पोर्ट और इलेक्ट्रॉन ट्रैप स्टेट्स का परीक्षण किया गया और घर के अंदर की रोशनी में डिवाइस की भौतिकी को विस्तार से देखा गया है.

ये भी पढ़ें- नन्हीं वैज्ञानिक का अनोखा एयर प्यूरीफायर मॉडल, घर में कोरोना वायरस भी नहीं कर सकेगा प्रवेश

फैब्रिकेशन से तैयार पीवी ने घर के अंदर की रोशनी में 34.07 प्रतिशत फोटोइलेक्ट्रिक कन्वर्जन क्षमता का प्रदर्शन किया. फोटोइलेक्ट्रिक कन्वर्जन क्षमता के वैल्यू घर के अंदर उपयोगी श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ पेरोवस्काइट्स के बराबर पाए गए हैं. प्रमुख शोधकर्ता का यह भी कहना है कि यह शोध कार्य फोटोवोल्टिक मटीरियल के विकास का संभावित विकल्प देता है, जो क्वासी क्यूबिक पेरोवस्काइट्स का उपयोग कर घर के अंदर प्रकाश ऊर्जा का प्राप्त करेगा. निकट भविष्य में घर के अंदर की रोशनी से ऊर्जा प्राप्त करने का चलन तेजी से बढ़ेगा क्योंकि स्वास्थ्य और स्वास्थ्य पर निगरानी रखने वाले एप्लीकेशन, स्मार्ट होम, लॉजिस्टिक्स, स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग आदि स्मार्ट डिवाइस का उपयोग बहुत तेजी से बढ़ रहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.