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लोकसभा का शीतकालीन सत्र: सांसद रामस्वरूप ने उठाया मिलावटी दूध का मुद्दा - सांसद रामस्वरूप शर्मा

मंडी लोकसभा सीट से सासंद रामस्वरूप शर्मा ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान दुग्ध उत्पादों और पशु आहारों में मैलामाइन की मिलावट पर रोक लगाने का मुद्दा उठाया है. आइए जानते हैं, आखिर क्या है मैलामाइन की पूरी कहानी.

सांसद रामस्वरूप
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Published : Nov 22, 2019, 1:12 PM IST

Updated : Nov 22, 2019, 1:37 PM IST

मंडी: ससंद में इन दिनों लोकसभा का शीतकालीन सत्र चल रहा है, जिसमें प्रदेश के मंडी लोकसभा सीट से सांसद रामस्वरूप शर्मा ने शून्यकाल के दौरान दुग्ध उत्पादों और पशु आहारों में मैलामाइन की मिलावट रोकने का मामला उठाया.

उन्होंने कहा कि भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण एफएसएसएआई ने मैलामाइन को एक निर्धारित मात्रा में दूध, दुग्ध उत्पादों और अन्य उत्पादों में मिलाने की छूट दी है.

वीडियो रिपोर्ट

रामस्वरूप शर्मा ने सत्र के दौरान कहा कि भारत में मेलामाइन के मिलावट की कोई भी घटना प्रकाश में नहीं आई है, लेकिन इस विरोधाभास को देखते हुए भविष्य में किसी भी प्रकार की मैलामाइन की मिलावट को रोकने के लिए एफएसएसएआई की तरफ से निर्धारित मात्रा को पूर्णतया समाप्त किया जाना चाहिए.

बता दें कि मैलामाईन को 1830 में जर्मन वैज्ञानिक ने बनाया गया. यह एक सफेद रंग का पाउडर होता है, जिसका उपयोग प्लास्टिक उद्योग में विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनाने व टाईलें बनाने में भी किया जाता है.

मैलामाइन एक धीमा जहर है, जिसकी मिलावट दुग्ध उत्पादों और अन्य खाद्य पदार्थों समेत पशु आहार में की जाती है. इसके मिलाने से प्रोटीन की मात्रा अधिक हो जाती है. इन मिलावटी खाद्य पदार्थों के उपयोग से गुर्दे की पत्थरी और कैंसर जैसी भयंकर बीमारियों का खतरा पैदा हो जाता है.

वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गेनाइजेशन व फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन आफ द यूनाइटेड नेशन जैसी संस्थाओं ने भी खाद्य पदार्थों में मैलामाइन की मिलावट पर प्रतिबंधित कर रखा है.

मंडी: ससंद में इन दिनों लोकसभा का शीतकालीन सत्र चल रहा है, जिसमें प्रदेश के मंडी लोकसभा सीट से सांसद रामस्वरूप शर्मा ने शून्यकाल के दौरान दुग्ध उत्पादों और पशु आहारों में मैलामाइन की मिलावट रोकने का मामला उठाया.

उन्होंने कहा कि भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण एफएसएसएआई ने मैलामाइन को एक निर्धारित मात्रा में दूध, दुग्ध उत्पादों और अन्य उत्पादों में मिलाने की छूट दी है.

वीडियो रिपोर्ट

रामस्वरूप शर्मा ने सत्र के दौरान कहा कि भारत में मेलामाइन के मिलावट की कोई भी घटना प्रकाश में नहीं आई है, लेकिन इस विरोधाभास को देखते हुए भविष्य में किसी भी प्रकार की मैलामाइन की मिलावट को रोकने के लिए एफएसएसएआई की तरफ से निर्धारित मात्रा को पूर्णतया समाप्त किया जाना चाहिए.

बता दें कि मैलामाईन को 1830 में जर्मन वैज्ञानिक ने बनाया गया. यह एक सफेद रंग का पाउडर होता है, जिसका उपयोग प्लास्टिक उद्योग में विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनाने व टाईलें बनाने में भी किया जाता है.

मैलामाइन एक धीमा जहर है, जिसकी मिलावट दुग्ध उत्पादों और अन्य खाद्य पदार्थों समेत पशु आहार में की जाती है. इसके मिलाने से प्रोटीन की मात्रा अधिक हो जाती है. इन मिलावटी खाद्य पदार्थों के उपयोग से गुर्दे की पत्थरी और कैंसर जैसी भयंकर बीमारियों का खतरा पैदा हो जाता है.

वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गेनाइजेशन व फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन आफ द यूनाइटेड नेशन जैसी संस्थाओं ने भी खाद्य पदार्थों में मैलामाइन की मिलावट पर प्रतिबंधित कर रखा है.

Intro:मंडी। दुग्ध उत्पादों, अन्य खाद्य पदार्थों तथा पशु आहारों में मैलामाईन की मिलावट रोकने का मामला सांसद रामस्वरूप शर्मा ने शून्यकाल में लोकसभा में उठाया। उन्होंने कहा कि भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण एफएसएसएआई ने मैलामाइन को एक निर्धारित मात्रा तक दूध, दुग्ध उत्पादों तथा अन्य उत्पादों में मिलाने की छूट दी है।



Body:उन्होंने कहा कि अभी तक भारत में मैलामाईन के मिलावट की कोई भी घटना प्रकाश में नहीं आई है परंतु इस विरोधाभास को देखते हुए भविष्य में किसी भी प्रकार की मैलामाईन की मिलावट को रोकने के लिए एफएसएसएआई द्वारा निर्धारित मात्रा को पूर्णतय समाप्त किया जाए ताकि देश के बच्चों तथा पशुधन को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि मैलामाईन को 1830 में जर्मन वैज्ञानिक द्वारा बनाया गया। यह एक सफेद रंग का पाउडर होता है जिसका उपयोग प्लास्टिक उद्योग में विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनाने व टाईलें बनाने में भी किया जाता है। मैलामाईन एक धीमा जहर है, इसकी मिलावट दुग्ध उत्पादों तथा अन्य खाद्य पदार्थों समेत पशु आहार में की जाती है। इसके मिलाने से प्रोटीन की मात्रा अधिक दिखती है। इन मिलावटी खाद्य पदार्थों के उपयोग से गुर्दे की पथरी तथा कैंसर जैसी भयंकर बीमारियों का खतरा पैदा हो जाता है। 2008 में चीन में मैलामाईन युक्त दूध के उपयोग से हजारों बच्चे बीमार हो गए थे। लिहाजा वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गेनाइजेशन व फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन आफ द यूनाइटेड नेशन जैसी  संस्थाओं द्वारा भी खाद्य पदार्थों में मैलामाईन की मिलावट को पूर्णतय प्रतिबंधित कर रखा है लेकिन दुर्भाग्यवंश भारत में ऐसा नहीं है। यही नहीं इसी कारण अमेरिका ने चीन से आयात होने वाले दूध तथा अन्य दुग्ध उत्पादों पर प्रतिबंध लगा रखा है। इसी तरह भारत के एफएसएसएआई ने भी चीन से आयात किए जाने वाले दूध तथा अन्य दुग्ध उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया है जिसे समय-समय पर बढ़ाया जाता रहा है


Conclusion:
Last Updated : Nov 22, 2019, 1:37 PM IST
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