करसोग/मंडी: कोरोना काल के इस दौर में देश और प्रदेश की आर्थिक स्थिति भले ही बिगड़ गई है, लेकिन करसोग में ग्रामीणों की आर्थिक हालत मनरेगा के सहारे पटरी पर आ रही है. कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए प्रदेश में करीब 68 दिनों के लॉकडाउन की वजह से बाहरी राज्यों में नौकरी कर रहे बहुत से युवा बेरोजगार हो गए हैं. ऐसे में बाहरी राज्यों से बड़ी संख्या में युवा वापस प्रदेश लौटे हैं.
कोरोना से लोगों को मिले जख्मों पर मनरेगा ने महरहम लगाने का काम किया है. उपमंडल में अब तक गांव के विकास के कामों पर खर्च हुई धन राशि से पता चला है कि मनरेगा लोगों को रोजगार दे रही है. मनरेगा के तहत पिछले चार महीनों में विकास के कामों पर 5 करोड़ रुपये खर्चे किए जा चुके हैं. वहीं बीते वित्त वर्ष में मनरेगा के तहत विकासकार्यों पर कुल 12 करोड़ खर्च हुए थे. ऐसे में लोगों की रोजगार की डिमांड को देकते हुए आने वाले दिनों में मनरेगा सफलता के शिखर छू सकती है. मनरेगा में इस बार 100 दिन का रोजगार प्राप्त करने वाले परिवारों के आंकड़े बढ़ने की उम्मीद भी जताई जा रही है.
695 परिवारों ने पूरा प्राप्त किया था सौ दिन का रोजगार:
पिछले कुछ सालों में भले ही लोगों ने मनरेगा को हाथों हाथ लिया है, लेकिन वित्त वर्ष में 100 दिनों का रोजगार प्राप्त करने वाले परिवारों का आंकड़ा अभी भी कम है. वित्त वर्ष 2019-20 में विकासखंड में 14,089 परिवारों को मनरेगा के तहत रोजगार दिया गया. इसमें 695 परिवारों ने 100 दिनों का रोजगार प्राप्त किया. इसमें 201 परिवार अनुसूचित जाति और 490 परिवार अन्य श्रेणियों से संबंधित थे. बीते वित्त वर्ष में 4.93 फिसदी परिवारों ने ही मनरेगा में काम के 100 दिन पूरे किए.
बीडीओ करसोग भवनेश चड्डा ने बताया कि 2020-2021 वित्त वर्ष में मनरेगा में करीब 5 करोड़ खर्च किए जा चुके हैं. उन्होंने कहा कि बीते वित्त वर्ष में मनरेगा के तहत विकासकार्यों पर 12 करोड़ खर्च किए गए थे.