करसोग: करसोग में इस बार मौसम की मार से किसानों को बड़ा नुकसान हुआ है. सर्दियों के मौसम ने इस बार मटर की फसल बर्बाद कर दी है. करीब एक करोड़ रुपये से ज्यादा की नुकसान की आशंका है. इससे कृषि पर आश्रित हजारों किसान परिवारों के सामने रोटी का संकट पैदा हो गया है.
यही नहीं अधिक ठंड पड़ने से कृषि विभाग की ओर से रबी सीजन के लिए निर्धारित सब्जियों के उत्पादन का लक्ष्य भी खतरे में पड़ गया है. विभाग ने करसोग तहसील के विभिन्न इलाकों के लिए रबी सीजन में 9 हजार मीट्रिक टन सब्जियों के उत्पादन का टारगेट फिक्स तय किया था. इसमें मटर सहित पालक, मूली, शलगम व गाजर आदि फसलें शामिल हैं. सभी तरह की सब्जियों में 60 फीसदी योगदान अकेले मटर का है. ऐसे में खराब मौसम की सबसे अधिक मार भी मटर पर ही पड़ी है.
हालत ये है कि इस बार फसल पर आई लागत का पैसा पूरा करना भी किसानों के लिए मुश्किल हो गया है. क्षेत्र के कई गरीब परिवारों ने बीज खरीदने के लिए भी बैकों से कर्ज लिया है. इसके लिए किसानों ने विभिन्न बैंकों में अपनी केसीसी बना रखी है, लेकिन दिक्कत अब ये है कि फसल बर्बाद होने के बाद किसान अपना लोन कैसे चुका पाएंगे. हजारों परिवारों को अब यही चिंता लगातार सताए जा रही है.
करसोग के सब्जी बाहुल क्षेत्रों में अकेले रबी सीजन में 2.50 करोड़ से अधिक की मटर पैदावार होती है. करसोग सहित बखरोट, चुराग, पांगणा, माहूंनाग, सपनोट, काण्डलु, शोरशन, बगशाड़, मैहरन आदि इलाकों में सबसे अधिक मटर की पैदावार होती है. मुख्यता यहां किसानों की आजीविका इसी फसल पर अधिक निर्भर है.
इसको देखते हुए सरकार किसानों की सुविधा के लिए इन क्षेत्रों के मध्य में पड़ने वाले चुराग में सब्जी मंडी का निर्माण किया है. इस मंडी में रोजाना लाखों का कारोबार होता है. इस बार मटर की 60 फीसदी फसल बर्बाद होने से मंडी में भी कारोबार कम हो रहा है.
करसोग के कृषि विकास अधिकारी प्रवीण कुमार गुप्ता ने माना है कि सर्दियों की वजह से पिछली बार की तुलना में मटर की पैदावार इस बार 60 फीसदी कम हुई है. उनका कहना है कि अधिक ठंड के कारण मटर की ग्रोथ नहीं हो पाई है जिस कारण पैदावार पर इसका असर पड़ा है.