मंडी: 'कोरोना महामारी के दौर से नेरचौक मेडिकल कॉलेज में सेवाएं दे रही हूं. पति की मौत के बाद घर में कमाने वाली अकेली ही हूं, बच्चों के साथ-साथ परिवार की जिम्मेदारी भी मेरे सर पर ही है, सीएम साहब कृपया करके मुझे नौकरी से मत निकालो.' यह गुहार नेरचौक मेडिकल कॉलेज की वार्ड अटेंडेंट सीमा देवी ने प्रदेश सरकार से लगाई है. सीमा देवी कोविड-19 के दौर से बतौर अटेंडेंस अपनी सेवाएं दे रही हैं.
सीमा देवी ने कहा कोरोना महामारी के समय में जब सरकार को उनकी जरूरत थी तो, उन्हें नौकरी पर रख लिया. तब उन्होंने अपने छोटे-छोटे बच्चों को घर में छोड़कर दस-दस दिन तक लगातार अपनी सेवाएं दी हैं, लेकिन आज उन्हें इसी नौकरी से निकाला जा रहा है. जबकि वह घर में कमाने वाली अकेली ही हैं.
सीमा देवी की सुक्खू सरकार से गुहार: सीमा देवी बताती हैं कि रोजाना लगभग 30 किलोमीटर का सफर करके वह नेरचौक मेडिकल कॉलेज में अपनी सेवाएं देने आ रही हैं. पिछले दिनों जब वह नोवावैक्स कोविड-19 एसोसिएशन के बैनर तले प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू से मिले तो उन्हें 3 माह का एक्सटेंशन मिल गया, लेकिन 3 महीने के बाद भी उन्हें सैलरी नहीं मिल रही है. सीमा देवी ने बताया कि उन्हें लोगों से उधार पैसे मांग कर घर चलाना पड़ रहा है.
DC मंडी से मिले नेरचौक मेडिकल कॉलेज के कर्मचारी: बुधवार को नोवावैक्स कोविड-19 एसोसिएशन के बैनर तले नेरचौक मेडिकल कॉलेज में कार्यरत दो दर्जन के करीब कर्मचारी डीसी मंडी अरिंदम चौधरी से मिले और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा. इस ज्ञापन में एसोसिएशन ने हिमाचल सरकार व स्वास्थ्य मंत्री से उनकी स्थाई नियुक्ति की मांग उठाई. इन लोगों का आरोप है कि सरकार नेरचौक मेडिकल कॉलेज में आउटसोर्स पर अन्य नियुक्तियां कर रही हैं, जबकि कोरोना महामारी के दौर से अपनी सेवाएं देने वालों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है.
'एक्सटेंशन छोड़ स्थाई नियुक्ति करे प्रदेश सरकार': वहीं, इस दौरान नोवावैक्स कोविड-19 एसोसिएशन की जिला अध्यक्ष हेमलता ने बताया कि कोविड के दौरान सरकार ने आउटसोर्स पर नेरचौक मेडिकल कॉलेज में 101 स्टाफ नर्स, 98 वार्ड अटेंडेंट, 75 सफाई कर्मचारी, 10 सिक्योरिटी गार्ड, 12 लैब टेक्नीशियन और 6 डाटा ऑपरेटर नियुक्त किए थे. कोविड-19 के दौरान सभी कर्मचारियों ने अपने परिवार की परवाह किए बिना, अपनी सेवाएं दी और आज भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं. हेमलता ने कहा कि हम सभी कर्मचारियों को तीन या चार महीने के बाद एक महीने का वेतन ही मिल रहा है. उन्होंने प्रदेश सरकार व स्वास्थ्य मंत्री से मांग की है कि तीन महीने के एक्सटेंशन को बंद कर, उनकी स्थाई नियुक्ति की जाए. वहीं, इन सभी कर्मचारियों को महीने की 7 तारीख को वेतन दिया जाए.
ये भी पढ़ें: अब नर्सेज ऑनलाइन कर सकेंगी रजिस्ट्रेशन व माइग्रेशन, सीएम सुक्खू ने किया ऑनलाइन पोर्टल का शुभारंभ