मंडी: लोकसभा सत्र के दौरान शून्यकाल में सांसद रामस्वरूप शर्मा ने सदन में चीन के नकली शहद के मुद्दे को उठाया. उन्होंने कहा कि नकली शहद की बिक्री से भारत के शहद उत्पादकों को सीधे तौर पर नुकसान हो रहा है. मंडी के सांसद रामस्वरूप ने सदन में कहा कि देश का शायद ही कोई ऐसा राज्य होगा जहां शहद-उत्पादक नहीं होता है. इन राज्यों के लगभग ढाई लाख से अधिक किसानों के अथक परिश्रम के कारण ही हमारे देश से 2017- 2018 में 51,547 मीट्रिक टन शहद का निर्यात संभव हो पाया था.
सांसद रामस्वरूप ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से पड़ोसी देश चीन ने शहद बाजार में अपना वर्चस्व बनाए रखने कि होड़ में नकली शहद के माध्यम से भारत के शहद बाजार में अपना हस्तक्षेप किया है. रामस्वरूप ने कहा कि इस काम में भारत की नामी कम्पनियां भी चीन से नकली शहद बाजार में बेच रही हैं. परिणाम स्वरुप भारत के शहद उत्पादकों को अपने उत्पाद आधे मूल्यों पर बेचने के लिए विवश होना पड़ रहा है. इस अप्रत्याशित स्थिति पर अंकुश लगाने के लिए सरकार को तुरन्त आवश्यक कदम उठाने चाहिए.
रामस्वरूप ने सदन में कहा कि देश की कुछ बड़ी कम्पनियां शहद में सीरप मिलाकर देश में ही नहीं अन्य देशों को भी निर्यात कर रही हैं. उन्होंने बताया कि सीरप 40-42 रुपये किलो के भाव से खरीदकर शहद में मिलाया जाता है. देश में सीरप बेचने वाली कम्पनियां बिना बिल के सीरप बेच रही हैं. बिल न होने की बजह से 18 % GST नहीं लगता इसलिए सीरप पर आयत शुल्क बढ़ाया जाना चाहिए.
रामस्वरूप शर्मा ने कहा कि सरकार 1 अप्रैल 2020 को जांच की पुख्ता प्रणाली के लिए एनएमआर को लागू करने का आदेश देती है तो देश के ईमानदार शहद उत्पादकों और मधुमक्खी पालन करने वाले किसानों को उचित लाभ मिलेगा. उन्होंने कहा कि अगर कृषि मंत्रालय, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा नकली शहद के मिलावट को रोकने के लिए कारगर कदम नहीं उठाये गये तो हमारे स्वीट रेवोल्यूशन का संकल्प अधूरा रह सकता है.
इस दौरान रामस्वरूप शर्मा ने लोकसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया कि मंत्रालयों को समुचित निर्देश जारी किए जाए ताकि मधुमक्खी पालकों की समस्या का समुचित निदान हो सके.
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