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करसोग: कंटेनर्स की कमी के चलते दुग्ध उत्पादक परेशान, प्रदर्शन की दी चेतावनी

करसोग में कंटेनर्स की कमी से पशुपालकों का आधा दूध वापस लौटाया जा रहा है, जबकि कई पशुपालकों से दूध ही नहीं खरीदा जा रहा है. इस पर पशुपालकों ने दस दिनों में और कंटेनर भेजने का अल्टीमेटम जारी कर दिया है. अगर इस समयावधि में कंटेनर नहीं भेजे गए तो पशुपालक सड़कों पर उतर कर धरना प्रदर्शन करेंगे.

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Published : Jun 22, 2021, 7:40 PM IST

मंडी: करसोग में पशुपालकों को मिल्क कंटेनर्स की कमी के चलते काफी नुकासान उठाना पड़ रहा है. पशुपालकों का आधा दूध वापस लौटाया जा रहा है तो कई पशुपालकों से दूध ही नहीं खरीदा जा रहा है. इस पर पशुपालकों ने दस दिनों में मिल्क फेडरेशन को अतिरिक्त कंटेनर भेजने का अल्टीमेटम जारी कर दिया है. कंटेनर ना भेजने पर पशुपालकों सड़कों पर उतरकर धरना प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है.

पशुपालकों को उठाना पड़ रहा भारी नुकसान
बता दें कि करसोग उपमंडल में दूध का उत्पादन बढ़ने से मिल्क चिलिंग सेंटर (Milk Chilling Center) के पास कंटेनर्स की भारी कमी पड़ गई है. यही नहीं दूध की मात्रा बढ़ने से मिल्क चिलिंग सेंटर में लगे बल्क मिल्क कूलर (बीएमसी) में भी क्षमता से अधिक दूध पहुंच रहा है. इस कारण करसोग स्थित चिलिंग सेंटर पशुपालकों से आधा ही दूध खरीद रहा है, जबकि बाकी बचे दूध को पशुपालक रोजाना वापस घर ले जाने को मजबूर हैं, जिस कारण पशुपालकों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

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कंटेनर की कमी

बरसात के दिनों में अक्सर दूध का उत्पादन बढ़ जाता है. ऐसे में पशुपालकों के पास दूध से अच्छी आमदनी के तीन महीने ही हैं, लेकिन कंटेनर की कमी की वजह से आय बढ़ना तो दूर उल्टा पशुपालकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. गाय खरीदने के लिए लोगों ने बैंकों से हजारों रुपए का लोन लिया है. दूध ना बिकने के कारण दुग्ध उत्पादकों को किश्त निकलना भी मुश्किल हो गया है.

उपमंडल के कांडी से शाहोट रूट पर मिल्क फेडरेशन (Milk Federation) की जो गाड़ी दूध खरीदने को भेजी जा रही है. उसमें कंटेनरों की भारी कमी के कारण पशुपालकों का रोजना करीब 250 से 300 लीटर दूध वापस लौटाया जा रहा है. जिसका खामियाजा पशुपालकों को भुगतना पड़ रहा है. करसोग में करीब 1700 परिवार दूध कारोबार से जुड़े हैं. इन दिनों क्षेत्र में 7300 लीटर से अधिक दूध का उपादन हो रहा है, जबकि करसोग में मिल्क चिलिंग सेंटर में बल्क मिल्क कूलर (बीएमसी) की क्षमता 5500 लीटर की है.

जल्द होगा समस्या का समाधान
करसोग चिलिंग सेंटर के इंचार्ज लाल सिंह का कहना है कि कोरोना कर्फ्यू (Corona Curfew) की वजह से कंटेनर की व्यवस्था नहीं हो पा रही है. उन्होंने कहा कि जल्द 50 और कंटेनर पहुंचाए जाएंगे. जिससे पशुपालकों की समस्या का जल्द ही समाधान हो जाएगा.

10 दिनों में करवाई जाए कंटेनर की व्यवस्था
ममलेश्वर महादेव युवक मंडल के प्रधान युवराज ठाकुर का कहना है कि 11 जून को युवक मंडल ने मिल्क फेडरेशन को पशु पालकों की समस्या को लेकर अवगत करवाया था, लेकिन अभी तक इसका समाधान नहीं हुआ है. उन्होंने कहा है कि बरसात में दूध का सीजन होता है. आजकल में दूध का अच्छा उत्पादन होता है. इसलिए अगर 10 दिनों में कंटेनर की व्यवस्था नहीं की गई तो पशुपालक सड़कों में उतर कर धरना प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होंगे.

ये भी पढ़ें- नालदेहरा के जंगलों में 'रॉबिनहुड' बने अनुपम खेर, इंडिया ओलंपिक्स को टैग किया वीडियो

मंडी: करसोग में पशुपालकों को मिल्क कंटेनर्स की कमी के चलते काफी नुकासान उठाना पड़ रहा है. पशुपालकों का आधा दूध वापस लौटाया जा रहा है तो कई पशुपालकों से दूध ही नहीं खरीदा जा रहा है. इस पर पशुपालकों ने दस दिनों में मिल्क फेडरेशन को अतिरिक्त कंटेनर भेजने का अल्टीमेटम जारी कर दिया है. कंटेनर ना भेजने पर पशुपालकों सड़कों पर उतरकर धरना प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है.

पशुपालकों को उठाना पड़ रहा भारी नुकसान
बता दें कि करसोग उपमंडल में दूध का उत्पादन बढ़ने से मिल्क चिलिंग सेंटर (Milk Chilling Center) के पास कंटेनर्स की भारी कमी पड़ गई है. यही नहीं दूध की मात्रा बढ़ने से मिल्क चिलिंग सेंटर में लगे बल्क मिल्क कूलर (बीएमसी) में भी क्षमता से अधिक दूध पहुंच रहा है. इस कारण करसोग स्थित चिलिंग सेंटर पशुपालकों से आधा ही दूध खरीद रहा है, जबकि बाकी बचे दूध को पशुपालक रोजाना वापस घर ले जाने को मजबूर हैं, जिस कारण पशुपालकों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

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कंटेनर की कमी

बरसात के दिनों में अक्सर दूध का उत्पादन बढ़ जाता है. ऐसे में पशुपालकों के पास दूध से अच्छी आमदनी के तीन महीने ही हैं, लेकिन कंटेनर की कमी की वजह से आय बढ़ना तो दूर उल्टा पशुपालकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. गाय खरीदने के लिए लोगों ने बैंकों से हजारों रुपए का लोन लिया है. दूध ना बिकने के कारण दुग्ध उत्पादकों को किश्त निकलना भी मुश्किल हो गया है.

उपमंडल के कांडी से शाहोट रूट पर मिल्क फेडरेशन (Milk Federation) की जो गाड़ी दूध खरीदने को भेजी जा रही है. उसमें कंटेनरों की भारी कमी के कारण पशुपालकों का रोजना करीब 250 से 300 लीटर दूध वापस लौटाया जा रहा है. जिसका खामियाजा पशुपालकों को भुगतना पड़ रहा है. करसोग में करीब 1700 परिवार दूध कारोबार से जुड़े हैं. इन दिनों क्षेत्र में 7300 लीटर से अधिक दूध का उपादन हो रहा है, जबकि करसोग में मिल्क चिलिंग सेंटर में बल्क मिल्क कूलर (बीएमसी) की क्षमता 5500 लीटर की है.

जल्द होगा समस्या का समाधान
करसोग चिलिंग सेंटर के इंचार्ज लाल सिंह का कहना है कि कोरोना कर्फ्यू (Corona Curfew) की वजह से कंटेनर की व्यवस्था नहीं हो पा रही है. उन्होंने कहा कि जल्द 50 और कंटेनर पहुंचाए जाएंगे. जिससे पशुपालकों की समस्या का जल्द ही समाधान हो जाएगा.

10 दिनों में करवाई जाए कंटेनर की व्यवस्था
ममलेश्वर महादेव युवक मंडल के प्रधान युवराज ठाकुर का कहना है कि 11 जून को युवक मंडल ने मिल्क फेडरेशन को पशु पालकों की समस्या को लेकर अवगत करवाया था, लेकिन अभी तक इसका समाधान नहीं हुआ है. उन्होंने कहा है कि बरसात में दूध का सीजन होता है. आजकल में दूध का अच्छा उत्पादन होता है. इसलिए अगर 10 दिनों में कंटेनर की व्यवस्था नहीं की गई तो पशुपालक सड़कों में उतर कर धरना प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होंगे.

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