मंडीः सूबे में गर्मी बढ़ते ही जंगलों में आग दहकने लगी हैं. जोगिंद्रनगर और गोहर में आग से लाखों की वन संपत्ति स्वाह हो गई है, जबकि रिहायशी इलाके भी बाल बाल बचे हैं. अगर मौसम का मिजाज यूं तपिश भरा रहा तो आगजनी की घटनाएं बढ़ सकती हैं.
मंडी जिला में वन विभाग ने आगजनी से निपटने की तैयारियां काफी की हैं, लेकिन कुछ दिनों की गर्मी में ही जंगल दहकने लगे हैं. अभी फायर सीजन 15 जुलाई तक चलेगा. इस फायर सीजन से निपटने के लिए फील्ड स्टॉफ की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं.
गर्मियों में अब तक आग लगने के आठ और जून माह तक 31 मामले विभिन्न जगहों से सामने आ चुके हैं, हालांकि पिछली बार आग के 300 मामले सामने आए थे और वन संपदा को भारी नुकसान पहुंचा था. वन मंडल मंडी में 45 अति संवेदनशील बीट हैं. जहां फायर वॉचर तैनात किए गए हैं.
वहीं, रैपीड फॉरेस्ट फायर के लिए वॉलिंटियर भी पंजीकृत किए गए हैं. जिन्हें आग लगने पर एसएमएस मिलता है और वह बुझाने के लिए पहुंचते हैं. अब तक करीब 3200 वॉलिंटियर पंजीकृत किए गए हैं.
ऐसी जगहों पर टूल्स के माध्यम से आग बुझाई जाती है, हालांकि पानी से आग बुझाने में आसानी होती है. टूल्स द्वारा आग बुझाने में समय लगता है. वहां स्थानीय लोगों के सहयोग से ही कार्य जल्दी हो पाता है.
यह हैं आग के मुख्य कारण
जगलों में आग लगने का मुख्य कारण लोगों की लापरवाही है. कुछ लोग जलती हुई बीड़ी-सिगरेट पीकर रास्तों में फेंक जाते है और वह आग लगने का मुख्य कारण रहता है. वहीं कुछ शरारती तत्व भी जंगलों को आग के हवाले कर देते हैं. इस उम्मीद में की आग लगने के बाद घास अधिक आता है. आग लगने पर जुर्माने और सजा का प्रावधान है.
डीएफओ एसएस कश्यप ने कहा कि जंगलों में आग बुझाने की पूरी तैयारियां की गई हैं. जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में कमेटियां गठित हैं. आग लगने पर मोबाइल मैसेज से त्वरित आग पर काबू पाने के प्रयास होते हैं. उन्होंने बताया कि फील्ड स्टाफ की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं. ग्रामीणों को आग की घटना में काबू पाने के लिए पूरा सहयोग मिल रहा है. फायर लैंड की क्लीयरेंस की गई हैं.