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गर्मी आते ही धधकने लगे जंगल, जोगिंद्रनगर और गोहर में लाखों की वन संपत्ति स्वाह

जोगिंद्रनगर और गोहर में आग से लाखों की वन संपत्ति स्वाह हो गई है, जबकि रिहायशी इलाके भी बाल बाल बचे हैं. अगर मौसम का मिजाज यूं तपिश भरा रहा तो आगजनी की घटनाएं बढ़ सकती हैं.

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Published : Jun 2, 2019, 10:46 AM IST

गर्मी आते ही धधकने लगे जंगल

मंडीः सूबे में गर्मी बढ़ते ही जंगलों में आग दहकने लगी हैं. जोगिंद्रनगर और गोहर में आग से लाखों की वन संपत्ति स्वाह हो गई है, जबकि रिहायशी इलाके भी बाल बाल बचे हैं. अगर मौसम का मिजाज यूं तपिश भरा रहा तो आगजनी की घटनाएं बढ़ सकती हैं.

मंडी जिला में वन विभाग ने आगजनी से निपटने की तैयारियां काफी की हैं, लेकिन कुछ दिनों की गर्मी में ही जंगल दहकने लगे हैं. अभी फायर सीजन 15 जुलाई तक चलेगा. इस फायर सीजन से निपटने के‍ लिए फील्‍ड स्‍टॉफ की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं.

गर्मियों में अब तक आग लगने के आठ और जून माह तक 31 मामले विभिन्न जगहों से सामने आ चुके हैं, हालांकि पिछली बार आग के 300 मामले सामने आए थे और वन संपदा को भारी नुकसान पहुंचा था. वन मंडल मंडी में 45 अति संवेदनशील बीट हैं. जहां फायर वॉचर तैनात किए गए हैं.

वहीं, रैपीड फॉरेस्‍ट फायर के लिए वॉलिंटियर भी पंजीकृत किए गए हैं. जिन्‍हें आग लगने पर एसएमएस मिलता है और वह बुझाने के लिए पहुंचते हैं. अब तक करीब 3200 वॉलिंटियर पंजीकृत किए गए हैं.

Fire incident in mandi
आग से जलते जंगल
आग लगने का मुख्य कारण लोगों की लापरवाही सामने आई है. आग के लगने से 73.5 हैक्टेयर एरिया प्रभावित हुआ है. जिन स्थानों पर सड़कें होती है, वहां फायर ब्रिगेड द्वारा आग बुझाई जाती है, लेकिन कुछ स्थान ऐसे है जहां सड़क नहीं है.

ऐसी जगहों पर टूल्स के माध्यम से आग बुझाई जाती है, हालांकि पानी से आग बुझाने में आसानी होती है. टूल्स द्वारा आग बुझाने में समय लगता है. वहां स्थानीय लोगों के सहयोग से ही कार्य जल्दी हो पाता है.

यह हैं आग के मुख्य कारण

जगलों में आग लगने का मुख्य कारण लोगों की लापरवाही है. कुछ लोग जलती हुई बीड़ी-सिगरेट पीकर रास्तों में फेंक जाते है और वह आग लगने का मुख्य कारण रहता है. वहीं कुछ शरारती तत्व भी जंगलों को आग के हवाले कर देते हैं. इस उम्मीद में की आग लगने के बाद घास अधिक आता है. आग लगने पर जुर्माने और सजा का प्रावधान है.

वीडियो

डीएफओ एसएस कश्यप ने कहा कि जंगलों में आग बुझाने की पूरी तैयारियां की गई हैं. जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में कमेटियां गठित हैं. आग लगने पर मोबाइल मैसेज से त्वरित आग पर काबू पाने के प्रयास होते हैं. उन्होंने बताया कि फील्‍ड स्‍टाफ की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं. ग्रामीणों को आग की घटना में काबू पाने के‍ लिए पूरा सहयोग मिल रहा है. फायर लैंड की क्‍लीयरेंस की गई हैं.

मंडीः सूबे में गर्मी बढ़ते ही जंगलों में आग दहकने लगी हैं. जोगिंद्रनगर और गोहर में आग से लाखों की वन संपत्ति स्वाह हो गई है, जबकि रिहायशी इलाके भी बाल बाल बचे हैं. अगर मौसम का मिजाज यूं तपिश भरा रहा तो आगजनी की घटनाएं बढ़ सकती हैं.

मंडी जिला में वन विभाग ने आगजनी से निपटने की तैयारियां काफी की हैं, लेकिन कुछ दिनों की गर्मी में ही जंगल दहकने लगे हैं. अभी फायर सीजन 15 जुलाई तक चलेगा. इस फायर सीजन से निपटने के‍ लिए फील्‍ड स्‍टॉफ की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं.

गर्मियों में अब तक आग लगने के आठ और जून माह तक 31 मामले विभिन्न जगहों से सामने आ चुके हैं, हालांकि पिछली बार आग के 300 मामले सामने आए थे और वन संपदा को भारी नुकसान पहुंचा था. वन मंडल मंडी में 45 अति संवेदनशील बीट हैं. जहां फायर वॉचर तैनात किए गए हैं.

वहीं, रैपीड फॉरेस्‍ट फायर के लिए वॉलिंटियर भी पंजीकृत किए गए हैं. जिन्‍हें आग लगने पर एसएमएस मिलता है और वह बुझाने के लिए पहुंचते हैं. अब तक करीब 3200 वॉलिंटियर पंजीकृत किए गए हैं.

Fire incident in mandi
आग से जलते जंगल
आग लगने का मुख्य कारण लोगों की लापरवाही सामने आई है. आग के लगने से 73.5 हैक्टेयर एरिया प्रभावित हुआ है. जिन स्थानों पर सड़कें होती है, वहां फायर ब्रिगेड द्वारा आग बुझाई जाती है, लेकिन कुछ स्थान ऐसे है जहां सड़क नहीं है.

ऐसी जगहों पर टूल्स के माध्यम से आग बुझाई जाती है, हालांकि पानी से आग बुझाने में आसानी होती है. टूल्स द्वारा आग बुझाने में समय लगता है. वहां स्थानीय लोगों के सहयोग से ही कार्य जल्दी हो पाता है.

यह हैं आग के मुख्य कारण

जगलों में आग लगने का मुख्य कारण लोगों की लापरवाही है. कुछ लोग जलती हुई बीड़ी-सिगरेट पीकर रास्तों में फेंक जाते है और वह आग लगने का मुख्य कारण रहता है. वहीं कुछ शरारती तत्व भी जंगलों को आग के हवाले कर देते हैं. इस उम्मीद में की आग लगने के बाद घास अधिक आता है. आग लगने पर जुर्माने और सजा का प्रावधान है.

वीडियो

डीएफओ एसएस कश्यप ने कहा कि जंगलों में आग बुझाने की पूरी तैयारियां की गई हैं. जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में कमेटियां गठित हैं. आग लगने पर मोबाइल मैसेज से त्वरित आग पर काबू पाने के प्रयास होते हैं. उन्होंने बताया कि फील्‍ड स्‍टाफ की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं. ग्रामीणों को आग की घटना में काबू पाने के‍ लिए पूरा सहयोग मिल रहा है. फायर लैंड की क्‍लीयरेंस की गई हैं.

Intro:मंडी। सूबे में गर्मी बढ़ते ही जंगलों में आग दहकने लगी हैं। जोगिंद्रनगर और गोहर में आग से लाखों की वन संपत्ति स्वाह हो गई है। जबकि रिहायशी इलाके भी बाल बाल बचे हैं। अगर मौसम का मिजाज यूं तपिश भरा रहा तो आगजनी की घटनाएं बढ़ सकती हैं। हालांकि मंडी जिला में वन विभाग ने आगजनी से निपटने की तैयारियां काफी की हैं, लेकिन कुछ दिनों की गर्मी में ही जंगल दहकने लगे हैं। अभी फायर सीजन 15 जुलाई तक चलेगा। इस फायर सीजन से निपटने के‍ लिए फील्‍ड स्‍टॉफ की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं।


Body:गर्मियों में अब तक आठ आग और पूरे साल में 31 आग लगने के मामले विभिन्न सामने आ चुके हैं। हालांकि पिछली बार आग के 300 मामले सामने आये थे और भारी वन संपदा को नुकसान पहुंचा था। जिससे पर्यावरण को भी भारी नुकसान हो रहा है। मंडी वन मंडल में अभी तक इस बार आग के अधिक मामले सामने नहीं आए हैं। वन मंडल मंडी में 45 अति संवेदनशील बीट हैं। जहां फायर वाचर तैनात किए गए हैं। वहीं, रैपीड फारेस्‍ट फायर के लिए भी वॉलिंटियर भी पंजीकृत किए गए हैं। जिन्‍हें आग लगने पर एसएमएस मिलता है और वह बुझाने के लिए पहुंचते हैं। अब तक करीब 3200 वॉलिंटियर पंजीकृत किए गए हैं। आग लगने का मुख्य कारण लोगों की लापरवाही सामने आई है। आग के लगने से 73.5 हैक्टेयर एरिया प्रभावित हुआ है। जिन स्थानों पर सड़कें होती है, वहां फायर ब्रिगेड द्वारा आग बुझाई जाती है, लेकिन कुछ स्थान ऐसे है जहां सड़क नहीं है। वहां पर टूल्स के माध्यम से आग बुझाई जाती है। हालांकि पानी से आग ब़ुझाने में आसानी होती है मगर टूल्स द्वारा आग बुझाने में समय लगता है। वहां पर स्थानीय लोगों का सहयोग से ही कार्य जल्दी हो पाता है।

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यह हैं आग के मुख्य कारण
जंगलों में आग लगने का मुख्य कारण लोगों की लापरवाही है। कुछ लोग बीड़ी सिगरेट पीकर जलती हुई रास्तों में फेंक जाते है और वह आग लगने का मुख्य कारण रहता है। वहीं कुछ शरारती तत्व भी जंगलों को आग के हवाले कर देते हैं। इस उम्मीद में की आग लगने के बाद घास अधिक आता है। आग लगने पर जुर्माने और सजा का प्रावधान है।


Conclusion:डीएफओ एसएस कश्यप ने कहा कि जंगलों में आग बुझाने की पूरी तैयारियां की हैं। जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में कमेटियां गठित हैं। आग लगने पर मोबाइल मैसेज से त्वरित आग पर काबू पाने के प्रयास होते हैं। बताया कि फील्‍ड स्‍टॉफ की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। ग्रामीणाें को आग की घटना में काबू पाने के‍ लिए पूरा सहयोग मिल रहा है। बताया कि फायर लैंड की क्‍लीयरेंस की गई हैं।


बाइट - एसएस कश्‍यप, डीएफओ मंडी।

NOTE - file fire video and photo sent through e mail.
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