मंडी: जमीन धसने की त्रासदी से जूझ रहे उत्तराखंड के जोशीमठ जैसा खतरा अब हिमाचल प्रदेश में भी मंडरा रहा है. मंडी जिले के तीन गांव के लोग रूह कपकपाती ठंड में डर के साए में जीने को मजबूर हैं. मामला जिला मंडी के द्रंग विधानसभा क्षेत्र के तहत विकास खंड बालीचौकी ग्राम पंचायत भटवाड़ी का है, जहां की गांव शालानाल में फोरलेन निर्माण कार्य की कटिंग के कारण पहाड़ दरकने से लोगों के घरों में दरारें और गांव को जोड़ने वाला एकमात्र सड़क मार्ग पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है.
फोरलेन निर्माण कार्य के चलते आई दरारें: BDC सदस्य शोभा राम भारद्वाज ने घरों में आई दरारों के लिए मनाली-चंडीगढ़ फोरलेन निर्माण कार्य को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि फोरलेन निर्माण कार्य की कटिंग के कारण ही पहाड़ दरकने से लोगों के घरों में दरारें और गांव को जोड़ने वाली एकमात्र सड़क पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है. उन्होंने कहा कि पहले भी इस मामले को एनएचएआई व जिला प्रशासन के ध्यान में लाया गया है, लेकिन अभी तक इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया.
शोभा राम ने बताया कि यहां पर कई लोगों ने अपने नए मकानों का निर्माण किया था, लेकिन अब जमीन लगातार धंसती जा रही है. जिसके चलते लोगों के घरों में दरारें आ गई हैं. इसके अलावा लोगों की जमीनों में भी 6 इंच से अधिक दरारे पड़ गई हैं. जिसके चलते आने वाले समय में यहां पर उत्तराखंड के जोशीमठ जैसे हालात पैदा हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि इन हालातों से निपटने के लिए प्रदेश सरकार को इस ओर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है.
एक दर्जन से ज्यादा घरों में आई दरारें: पंचायत समिति सदस्य शोभा राम ने बताया कि तीनों गावों में कुल 35 के आसपास घर हैं, जिनमें से एक दर्जन से ज्यादा घरों में दरारें आई हैं. हालांकि अभी निर्माण कार्य रूका हुआ है, लेकिन दरारें लगातार बढ़ रही हैं. उन्होंने जिला प्रशासन और एनएचएआई से मांग उठाई है कि सभी प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाए. नहीं तो गांव वालों के साथ मिलकर हिमाचल प्रदेश मनरेगा एवं सर्व कामगार संगठन सड़कों पर उतरेंगे. जिसकी जिम्मेवारी जिला प्रशासन की होगी.
सिंकिंग क्षेत्रों की पहचान करने के दिए निर्देश: बीते दिनों मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी इस मामले को लेकर केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि प्रदेश में डॉपलर मौसम रडार सिस्टम उपलब्ध करवाया जाना चाहिए. इसके साथ ही CM ने केंद्र से आग्रह किया है कि एक टीम जल्द से जल्द हिमाचल भेजी जाए और जमीन धंसने तथा लैंडस्लाइड का खतरा झेल रहे क्षेत्रों का भी सर्वेक्षण किया जाए. हालांकि शिमला में पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने साफ किया कि हिमाचल में जोशीमठ जैसी कोई आपातकालीन स्थिति नहीं है. लेकिन, उसके बाद भी जिला उपायुक्तों को हिमाचल में भू-धंसाव संभावित स्थानों की पहचान करने और उसकी रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं.
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