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सरकार के खिलाफ बयान देने वाले कर्मचारियों की सूची बनाने का फरमान जारी, माकपा नेता ने किया विरोध - ट्रेड यूनियन एक्ट

सरकार के खिलाफ बयान देने वाले कर्मचारियों की सूची बनाने का फरमान जारी किया गया है, माकपा नेता भूपेंद्र सिंह ने सरकार के इस फरमान का विरोध किया है. माकपा नेता भूपेंद्र सिंह ने कहा कि अपनी मांगों के बारे में आवाज उठाने को तानाशाही तरीके से दबाने का प्रयास किया जा रहा है.

Bhupendra Singh
भूपेंद्र सिंह
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Published : Apr 18, 2021, 8:46 PM IST

सरकाघाट: हिमाचल प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग के निदेशक ने अपनी मांगों के बारे में मीडिया व सोशल मीडिया में सरकार के खिलाफ बयान देने वाले कर्मचारियों की सूची बनाने का फरमान जारी किया है. वि‌भाग के इस फरमान का माकपा ने कड़ा विरोध जताया है. माकपा नेता व पूर्व जिला परिषद सदस्य भूपेंद्र सिंह ने इसे बेहद शर्मनाक और स्वतंत्रता का हनन करने वाला बताया है.

कर्मचारियों की मांगों को दबाने का प्रयास

माकपा नेता भूपेंद्र सिंह ने कहा कि अपनी मांगों के बारे में आवाज उठाने को तानाशाही तरीके से दबाने का प्रयास किया जा रहा है. पिछले दिनों से सरकारी कर्मचारी ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल करने और कोरोना संक्रमण की रोकथाम के बारे में सरकार के कई फैसलों को लेकर मांग कर रहे हैं. साथ ही इसे लेकर मीडिया में भी बयान दे रहे हैं. भाजपा ने सत्ता में आने से पहले कर्मचारियों से सत्ता में आते ही पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का वादा किया था, लेकिन सरकार ने साढ़े तीन साल पूरे होने के बावजूद भी इस पर चुप्पी साध रखी है. इस कारण वर्ष 2003 के बाद लगे कर्मचारियों ने आंदोलन शुरू किया है.

ओल्ड पेंशन योजना की बहाली की आस

माकपा नेता ने कहा कि कर्मचारियों को हिमाचल दिवस के मौके पर सीएम जयराम की ओर से घोषणा होने की उम्मीद थी, लेकिन मुख्यमंत्री ने इस बारे में कुछ भी नहीं कहा. साथ ही विपक्षी दलों को खाल में रहने की धमकियां देते रहे. इसके चलते प्रदेश के लाखों कर्मचारियों की ओल्ड पेंशन योजना पर घोषणा की आस पर पानी फिर गया है.

रेड यूनियन एक्ट का उल्लंघन

भूपेंद्र सिंह ने कहा कि यह भारत में सन 1926 में बने ट्रेड यूनियन एक्ट का घोर उल्लंघन है, जो हर मजदूर व कर्मचारी को अपनी यूनियन बनाने, अपनी मांग को उठाने, सरकार से अपनी आर्थिक मांगों को रखने व सरकार की मजदूर व कर्मचारी विरोधी नीतियों पर बात रखने का अधिकार देता है.

कर्मचारियों को उनका हक देने की मांग

माकपा नेता भूपेंद्र सिंह ने कहा कि आधुनिक युग में मांग-पत्र देने के साथ ही कोई भी व्यक्ति, मजदूर व कर्मचारी अपनी मांगों को इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट व सोशल मीडिया पर भी उठा सकता है. साथ ही सरकारी कर्मचारी विरोधी नीतियों पर सवाल उठा सकता है. माकपा ने इस तुगलकी फरमान को वापस लेने और कर्मचारियों को उनका हक देने की मांग सरकार से की है.

ये भी पढ़ें: मुकेश अग्निहोत्री ने पूर्व CM वीरभद्र सिंह से की मुलाकात, सोशल मीडिया पर साझा की पोस्ट

सरकाघाट: हिमाचल प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग के निदेशक ने अपनी मांगों के बारे में मीडिया व सोशल मीडिया में सरकार के खिलाफ बयान देने वाले कर्मचारियों की सूची बनाने का फरमान जारी किया है. वि‌भाग के इस फरमान का माकपा ने कड़ा विरोध जताया है. माकपा नेता व पूर्व जिला परिषद सदस्य भूपेंद्र सिंह ने इसे बेहद शर्मनाक और स्वतंत्रता का हनन करने वाला बताया है.

कर्मचारियों की मांगों को दबाने का प्रयास

माकपा नेता भूपेंद्र सिंह ने कहा कि अपनी मांगों के बारे में आवाज उठाने को तानाशाही तरीके से दबाने का प्रयास किया जा रहा है. पिछले दिनों से सरकारी कर्मचारी ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल करने और कोरोना संक्रमण की रोकथाम के बारे में सरकार के कई फैसलों को लेकर मांग कर रहे हैं. साथ ही इसे लेकर मीडिया में भी बयान दे रहे हैं. भाजपा ने सत्ता में आने से पहले कर्मचारियों से सत्ता में आते ही पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का वादा किया था, लेकिन सरकार ने साढ़े तीन साल पूरे होने के बावजूद भी इस पर चुप्पी साध रखी है. इस कारण वर्ष 2003 के बाद लगे कर्मचारियों ने आंदोलन शुरू किया है.

ओल्ड पेंशन योजना की बहाली की आस

माकपा नेता ने कहा कि कर्मचारियों को हिमाचल दिवस के मौके पर सीएम जयराम की ओर से घोषणा होने की उम्मीद थी, लेकिन मुख्यमंत्री ने इस बारे में कुछ भी नहीं कहा. साथ ही विपक्षी दलों को खाल में रहने की धमकियां देते रहे. इसके चलते प्रदेश के लाखों कर्मचारियों की ओल्ड पेंशन योजना पर घोषणा की आस पर पानी फिर गया है.

रेड यूनियन एक्ट का उल्लंघन

भूपेंद्र सिंह ने कहा कि यह भारत में सन 1926 में बने ट्रेड यूनियन एक्ट का घोर उल्लंघन है, जो हर मजदूर व कर्मचारी को अपनी यूनियन बनाने, अपनी मांग को उठाने, सरकार से अपनी आर्थिक मांगों को रखने व सरकार की मजदूर व कर्मचारी विरोधी नीतियों पर बात रखने का अधिकार देता है.

कर्मचारियों को उनका हक देने की मांग

माकपा नेता भूपेंद्र सिंह ने कहा कि आधुनिक युग में मांग-पत्र देने के साथ ही कोई भी व्यक्ति, मजदूर व कर्मचारी अपनी मांगों को इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट व सोशल मीडिया पर भी उठा सकता है. साथ ही सरकारी कर्मचारी विरोधी नीतियों पर सवाल उठा सकता है. माकपा ने इस तुगलकी फरमान को वापस लेने और कर्मचारियों को उनका हक देने की मांग सरकार से की है.

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