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कोरोना वॉरियर्स आशा वर्करों का दर्द, सरकार से न्यूनतम वेतन देने की मांग - कोरोना वॉरियर्स आशा वर्करों

कोरोना काल में आशा वर्करों का काम बढ़ा है. इस पर सरकार द्वारा दी जा रही प्रोत्साहन राशि बहुत ही कम है, जिससे उन्हें परिवार का पालन पोषण करने में भी दिक्कतें आती हैं. आशा वर्कर अपने घर के कामों को करने के साथ-साथ हफ्ते के सातों दिन बिना रुके लगातार फील्ड में भी काम कर रही हैं, बावजूद इसके उनके मानदेय में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है. वहीं, अब आशा वर्कर सरकार से न्यूनतम आय और उन्हें भी सरकारी कर्मचारी घोषित करने की मांग कर रही हैं.

Asha workers demand minimum wages
आशा वर्करों की मांग
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Published : Oct 18, 2020, 7:59 PM IST

मंडी: प्रदेश में लगभग आठ हजार आशा वर्कर कोरोना महामारी के दौर में भी आशा वर्करों ने फ्रंटलाइन योद्धा के तौर पर अपनी सेवाएं दे रही हैं. मंडी जिला की बात की जाए तो यहां पर 1250 आशा वर्कर अपने घर के कामों को करने के साथ-साथ हफ्ते के सातों दिन बिना रुके लगातार फील्ड में भी काम कर रही हैं, बावजूद इसके उनके मानदेय में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है. वहीं, अब आशा वर्कर सरकार से न्यूनतम आय और उन्हें भी सरकारी कर्मचारी घोषित करने की मांग कर रही हैं.

कोरोना काल में आशा वर्करों का काम बढ़ा है. इस पर सरकार द्वारा दी जा रही प्रोत्साहन राशि बहुत ही कम है, जिससे उन्हें परिवार का पालन पोषण करने में भी दिक्कतें आती हैं. इसके अलावा फील्ड में भी काम के दौरान कुछ लोग आशा वर्करों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते और उन्हें डाटा भी समय पर नहीं दिया जाता है, जिससे उन्हें डाटा इकट्ठा करने के लिए लोगों के घरों में बार बार चक्कर लगाने पड़ते हैं.

वीडियो

कोरोना काल में उनके द्वारा किए अतिरिक्त कार्यों के लिए सरकार ने उन्हें अभी तक कोई भी मानदेय नहीं दिया है. वहीं, अब आशा वर्कर मांग कर रहीं हैं कि सरकार उन्हें प्रोत्साहन राशि के बदले हर महीने वेतन दे, ताकि वह अपने परिवार का पालन पोषण सही से कर सकें. उनका कहना है कि उन्हें सरकार द्वारा हर महीने 2000 रुपए मानदेय दिया जाता है, लेकिन कुछ आशा वर्कर्स को पिछले कुछ महीनों से वह भी नहीं मिल रहा है. पहले प्रोत्साहन राशि 1500 रुपए मिल जाती थी, लेकिन इन दिनों वह भी नहीं मिल रही है और उन्हें कोरोना काल में दोहरी मार झेलनी पड़ रही है.

सभी आशा वर्कर्स कोरोना काल में फ्रंट योद्धा के तौर पर काम कर रहे हैं. मंडी शहर के हर वार्ड में कोरोना संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं और वे दिन-रात कोरोना संक्रमित मरीजों के देखरेख में अपनी अहम भूमिका निभा रही है. इस दौरान उन्हें भी हर समय कोरोना संक्रमण का खतरा बना रहता है, जिससे कारण उनके परिवार को भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसके अलावा उन्हें किसी भी समय फोन आने पर फील्ड में जाना पड़ता है. इससे उन्हें बच्चों की देखभाल करने के लिए भी समय नहीं मिल पाता है. उन्हें कई बार रात के समय भी काम पर जाना पड़ता है, जिसमें वह सामाजिक रुप से असुरक्षित भी महसूस करती हैं.

आशा वर्करों का कहना है कि उन्हें पहले 2000 रुपए मानदेय दिया जाता था, जिस में भी सरकार ने कटौती कर दी है. उनका कहना है कि जेएसवाई और डिलीवरी केस में उन्हें पहले 600 रुपए दिए जाते थे, लेकिन इन दिनों वह भी नहीं दिए जा रहे हैं, जिससे उन्हें परिवार चलाने में और मुसीबतें पेश आ रही हैं.

हर वार्ड की मेडिकल रिपोर्ट आशा वर्कर के माध्यम से ही स्वास्थ्य विभाग को दी जाती है, लेकिन सरकार उनके किए गए काम को नजरअंदाज कर देती है और जो मानदेय उन्हें मिलना चाहिए उससे उन्हें वंचित रहना पड़ रहा है. आशा वर्कर्स का कहना है कि पहले सरकार के द्वारा हर बुधवार को मोटिवेशन प्रोग्राम रखे जाते थे जिस पर उन्हें 400 रुपए प्रोत्साहन राशि दी जाती थी, लेकिन अब इन मोटिवेशन प्रोग्राम को भी बंद कर दिया गया है. कहीं बाहर दौरे पर जाने पर भी उन्हें कोई मानदेय नहीं दिया जाता है. कुछ आशा वर्कर का कहना है कि कई भागों में तो जेवाईएस केस भी नहीं है जिससे उन्हें जय वाईएस केस पर मिलने वाली राशि से वंचित रहना पड़ता है.

ये भी पढ़ें: 'भगवान के घर' पर भी पड़ी लॉकडाउन की मार, मुश्किल से निकला खर्च

मुख्य चिकित्सा अधिकारी जोनल अस्पताल मंडी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर देवेंद्र शर्मा का कहना है कि कोरोना महामारी में मंडी जिला में 1250 आशा वर्कर इस समय फ्रंट योद्धा के तौर पर फील्ड में जुटी हुई है. एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान में भी आशा वर्कर्स ने बेहतर काम किया है. होम आइसोलेशन के मामलों में भी आशा वर्कर ने बेहतर कार्य करके दिखाया है और पूरे प्रदेश में 65% लोग इस समय आइसोलेशन में है.

आपको बता दें कि प्रदेश भर में लगभग 7842 आशा वर्कर अपनी सेवाएं दे रही हैं जिनमें ग्रामीण क्षेत्रों में 7809 और शहरी क्षेत्रों में 33 आशा कार्यकर्ता शामिल है. आशा कार्यकर्ताओं ने कोरोना वायरस के दौरान जमीनी स्तर पर सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जिससे कोरोना महामारी के समय में बाहरी राज्यों से आए लोगों को होम क्वारंटाइन के नियमों का सख्ती से पालन करने के लिए प्रेरित करना सुनिश्चित किया है.

आशा कार्यकर्ताओं के प्रदेश सरकार द्वारा चलाए गए एक्टिव केस फाइंडिंग कैंपेन में अहम भूमिका निभाई है, जिसकी सराहना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भी की गई है. प्रदेश की जयराम सरकार ने पिछले दिनों आशा कार्यकर्ताओं द्वारा समाज के प्रति महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए उन्हें 500 रुपए अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि देने की भी स्वीकृति प्रदान की है, लेकिन आशा वर्कर का कहना है कि उन्हें प्रोत्साहन राशि तो दूर जो मानदेय दिया जा रहा है उसमें भी कटौती की जा रही है.

आशा वर्कर का कहना है कि मानदेय की जगह उन्हें न्यूनतम वेतन दिया जाए और उन्हें भी सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए. वहीं आशा वर्कर्स की सामाजिक सुरक्षा भी एक बड़ा सवाल है क्योंकि आशा वर्कर को रात के समय में भी कार्य करना पड़ता है, जिससे उनके परिजनों को भी कई मुसीबतें झेलनी पड़ती है.

ये भी पढ़ें: त्योहारी सीजन में सराफा कारोबारियों की चांदी, बढ़ी हुई कीमतों के बाद भी लोग कर रहे खरीददारी

मंडी: प्रदेश में लगभग आठ हजार आशा वर्कर कोरोना महामारी के दौर में भी आशा वर्करों ने फ्रंटलाइन योद्धा के तौर पर अपनी सेवाएं दे रही हैं. मंडी जिला की बात की जाए तो यहां पर 1250 आशा वर्कर अपने घर के कामों को करने के साथ-साथ हफ्ते के सातों दिन बिना रुके लगातार फील्ड में भी काम कर रही हैं, बावजूद इसके उनके मानदेय में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है. वहीं, अब आशा वर्कर सरकार से न्यूनतम आय और उन्हें भी सरकारी कर्मचारी घोषित करने की मांग कर रही हैं.

कोरोना काल में आशा वर्करों का काम बढ़ा है. इस पर सरकार द्वारा दी जा रही प्रोत्साहन राशि बहुत ही कम है, जिससे उन्हें परिवार का पालन पोषण करने में भी दिक्कतें आती हैं. इसके अलावा फील्ड में भी काम के दौरान कुछ लोग आशा वर्करों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते और उन्हें डाटा भी समय पर नहीं दिया जाता है, जिससे उन्हें डाटा इकट्ठा करने के लिए लोगों के घरों में बार बार चक्कर लगाने पड़ते हैं.

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कोरोना काल में उनके द्वारा किए अतिरिक्त कार्यों के लिए सरकार ने उन्हें अभी तक कोई भी मानदेय नहीं दिया है. वहीं, अब आशा वर्कर मांग कर रहीं हैं कि सरकार उन्हें प्रोत्साहन राशि के बदले हर महीने वेतन दे, ताकि वह अपने परिवार का पालन पोषण सही से कर सकें. उनका कहना है कि उन्हें सरकार द्वारा हर महीने 2000 रुपए मानदेय दिया जाता है, लेकिन कुछ आशा वर्कर्स को पिछले कुछ महीनों से वह भी नहीं मिल रहा है. पहले प्रोत्साहन राशि 1500 रुपए मिल जाती थी, लेकिन इन दिनों वह भी नहीं मिल रही है और उन्हें कोरोना काल में दोहरी मार झेलनी पड़ रही है.

सभी आशा वर्कर्स कोरोना काल में फ्रंट योद्धा के तौर पर काम कर रहे हैं. मंडी शहर के हर वार्ड में कोरोना संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं और वे दिन-रात कोरोना संक्रमित मरीजों के देखरेख में अपनी अहम भूमिका निभा रही है. इस दौरान उन्हें भी हर समय कोरोना संक्रमण का खतरा बना रहता है, जिससे कारण उनके परिवार को भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसके अलावा उन्हें किसी भी समय फोन आने पर फील्ड में जाना पड़ता है. इससे उन्हें बच्चों की देखभाल करने के लिए भी समय नहीं मिल पाता है. उन्हें कई बार रात के समय भी काम पर जाना पड़ता है, जिसमें वह सामाजिक रुप से असुरक्षित भी महसूस करती हैं.

आशा वर्करों का कहना है कि उन्हें पहले 2000 रुपए मानदेय दिया जाता था, जिस में भी सरकार ने कटौती कर दी है. उनका कहना है कि जेएसवाई और डिलीवरी केस में उन्हें पहले 600 रुपए दिए जाते थे, लेकिन इन दिनों वह भी नहीं दिए जा रहे हैं, जिससे उन्हें परिवार चलाने में और मुसीबतें पेश आ रही हैं.

हर वार्ड की मेडिकल रिपोर्ट आशा वर्कर के माध्यम से ही स्वास्थ्य विभाग को दी जाती है, लेकिन सरकार उनके किए गए काम को नजरअंदाज कर देती है और जो मानदेय उन्हें मिलना चाहिए उससे उन्हें वंचित रहना पड़ रहा है. आशा वर्कर्स का कहना है कि पहले सरकार के द्वारा हर बुधवार को मोटिवेशन प्रोग्राम रखे जाते थे जिस पर उन्हें 400 रुपए प्रोत्साहन राशि दी जाती थी, लेकिन अब इन मोटिवेशन प्रोग्राम को भी बंद कर दिया गया है. कहीं बाहर दौरे पर जाने पर भी उन्हें कोई मानदेय नहीं दिया जाता है. कुछ आशा वर्कर का कहना है कि कई भागों में तो जेवाईएस केस भी नहीं है जिससे उन्हें जय वाईएस केस पर मिलने वाली राशि से वंचित रहना पड़ता है.

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मुख्य चिकित्सा अधिकारी जोनल अस्पताल मंडी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर देवेंद्र शर्मा का कहना है कि कोरोना महामारी में मंडी जिला में 1250 आशा वर्कर इस समय फ्रंट योद्धा के तौर पर फील्ड में जुटी हुई है. एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान में भी आशा वर्कर्स ने बेहतर काम किया है. होम आइसोलेशन के मामलों में भी आशा वर्कर ने बेहतर कार्य करके दिखाया है और पूरे प्रदेश में 65% लोग इस समय आइसोलेशन में है.

आपको बता दें कि प्रदेश भर में लगभग 7842 आशा वर्कर अपनी सेवाएं दे रही हैं जिनमें ग्रामीण क्षेत्रों में 7809 और शहरी क्षेत्रों में 33 आशा कार्यकर्ता शामिल है. आशा कार्यकर्ताओं ने कोरोना वायरस के दौरान जमीनी स्तर पर सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जिससे कोरोना महामारी के समय में बाहरी राज्यों से आए लोगों को होम क्वारंटाइन के नियमों का सख्ती से पालन करने के लिए प्रेरित करना सुनिश्चित किया है.

आशा कार्यकर्ताओं के प्रदेश सरकार द्वारा चलाए गए एक्टिव केस फाइंडिंग कैंपेन में अहम भूमिका निभाई है, जिसकी सराहना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भी की गई है. प्रदेश की जयराम सरकार ने पिछले दिनों आशा कार्यकर्ताओं द्वारा समाज के प्रति महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए उन्हें 500 रुपए अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि देने की भी स्वीकृति प्रदान की है, लेकिन आशा वर्कर का कहना है कि उन्हें प्रोत्साहन राशि तो दूर जो मानदेय दिया जा रहा है उसमें भी कटौती की जा रही है.

आशा वर्कर का कहना है कि मानदेय की जगह उन्हें न्यूनतम वेतन दिया जाए और उन्हें भी सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए. वहीं आशा वर्कर्स की सामाजिक सुरक्षा भी एक बड़ा सवाल है क्योंकि आशा वर्कर को रात के समय में भी कार्य करना पड़ता है, जिससे उनके परिजनों को भी कई मुसीबतें झेलनी पड़ती है.

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