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आढ़तियों के ना आने से किसान परेशान, नहीं मिल रहे टामाटर के खरीददार

बल्ह घाटी में तैयार टमाटर की फसल को खरीदने के लिए आढ़ती नहीं आ रहे हैं. इस कारण किसानों की फसल खराब होने लगी है. इस वजह से किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है. इस संबंध में बल्ह बचाओ किसान संघर्ष समिति के बैनर तले किसानों का प्रतिनिधिमंडल एसडीएम बल्ह से मिला और मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा.

Tomato crop
टमाटर फसल
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Published : Jun 16, 2020, 1:29 PM IST

Updated : Jun 16, 2020, 7:15 PM IST

मंडी: कोरोना संकट में बल्ह घाटी में टमाटर की फसल खराब होने और आढ़तियों के न आने से किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसके साथ ही टमाटर में ब्लाहट व झुलसा रोग लगने से फसल खराब होना भी शुरू हो गई है.

इन सभी समस्याओं को लेकर बल्ह बचाओ किसान संघर्ष समिति ने टमाटर फसल को हुए नुकसान का आंकलन कर राहत पैकेज देने की मांग की है. इसके अलावा समिति ने टमाटर का समर्थन मूल्य घोषित करने की मांग उठाई है. इस संबंध में समिति के बैनर तले किसानों का प्रतिनिधिमंडल एसडीएम बल्ह से मिला और मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा.

समिति के अध्यक्ष जोगिंद्र वालिया ने बताया कि बल्ह घाटी में करीब 600 हेक्टेयर भूमि में किसान टमाटर पैदा करता है. इस वर्ष टमाटर तैयार हो चुका है, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते यहां व्यापारी नहीं आ रहे हैं. इसके अलावा ब्लाईट, झुलसा और अन्य कुछ बीमारियों के कारण टमाटर फसल को नुकसान पहुंच रहा है.

जोगिंद्र वालिया ने मांग की है कि बैंक के कृषि ऋणों को माफ किया जाए और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार समर्थन मूल्य घोषित किया जाए. वहीं, स्थाई अस्थाई मंडियों का विभिन्न गांव के बीच में गठन किया जाए और बाहर से व्यापारियों को उन मंडियों में बुलाया जाए ताकि किसान अपना टमाटर सीधा व्यापारी को मंडियों में दे सके.

बल्ह बचाओ किसान संघर्ष समिति ने कहा कि बाहर से व्यापारियों को उन मंडियों में बुलाया जाए. ऐसा करके किसान अपना टमाटर सीधा व्यापारी को मंडियों में बेच सकता है. अगर एक सप्ताह में इस पर अमल नहीं किया गया तो अगला कदम उठाने पर विचार होगा.

क्या है समर्थन मूल्य:

किसानों को उसकी फसल का लागत से ज्यादा मूल्य मिले, इसके लिए भारत सरकार देशभर में एक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करती है. खरीददार नहीं मिलने पर सरकार एमएसपी पर किसान से फसल खरीद लेती है. कृषि उत्पादों के मूल्यों में गिरावट को रोकने के लिए सरकार मुख्य फसलों का एक न्यूनतम बिक्री मूल्य निर्धारित करती है.

अगर देश में फसल का उत्पादन बढ़ता है तो बिक्री मूल्य कम हो जाता है. कृषि उत्पादों के मूल्यों में गिरावट को रोकने के लिए सरकार मुख्य फसलों का एक न्यूनतम बिक्री मूल्य निर्धारित करती है. जो एक सत्र के लिए मान्य होता है. एमएसपी निर्धारित करते वक्त उत्पादक की लागत, मूल्यों में परिवर्तन, मांग-आपूर्ति जैसी कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है.

ये भी पढ़ें: सोशल डिस्टेंसिग का पालन ना करने पर दो दुकानें सील, पांच पर मामला दर्ज

मंडी: कोरोना संकट में बल्ह घाटी में टमाटर की फसल खराब होने और आढ़तियों के न आने से किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसके साथ ही टमाटर में ब्लाहट व झुलसा रोग लगने से फसल खराब होना भी शुरू हो गई है.

इन सभी समस्याओं को लेकर बल्ह बचाओ किसान संघर्ष समिति ने टमाटर फसल को हुए नुकसान का आंकलन कर राहत पैकेज देने की मांग की है. इसके अलावा समिति ने टमाटर का समर्थन मूल्य घोषित करने की मांग उठाई है. इस संबंध में समिति के बैनर तले किसानों का प्रतिनिधिमंडल एसडीएम बल्ह से मिला और मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा.

समिति के अध्यक्ष जोगिंद्र वालिया ने बताया कि बल्ह घाटी में करीब 600 हेक्टेयर भूमि में किसान टमाटर पैदा करता है. इस वर्ष टमाटर तैयार हो चुका है, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते यहां व्यापारी नहीं आ रहे हैं. इसके अलावा ब्लाईट, झुलसा और अन्य कुछ बीमारियों के कारण टमाटर फसल को नुकसान पहुंच रहा है.

जोगिंद्र वालिया ने मांग की है कि बैंक के कृषि ऋणों को माफ किया जाए और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार समर्थन मूल्य घोषित किया जाए. वहीं, स्थाई अस्थाई मंडियों का विभिन्न गांव के बीच में गठन किया जाए और बाहर से व्यापारियों को उन मंडियों में बुलाया जाए ताकि किसान अपना टमाटर सीधा व्यापारी को मंडियों में दे सके.

बल्ह बचाओ किसान संघर्ष समिति ने कहा कि बाहर से व्यापारियों को उन मंडियों में बुलाया जाए. ऐसा करके किसान अपना टमाटर सीधा व्यापारी को मंडियों में बेच सकता है. अगर एक सप्ताह में इस पर अमल नहीं किया गया तो अगला कदम उठाने पर विचार होगा.

क्या है समर्थन मूल्य:

किसानों को उसकी फसल का लागत से ज्यादा मूल्य मिले, इसके लिए भारत सरकार देशभर में एक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करती है. खरीददार नहीं मिलने पर सरकार एमएसपी पर किसान से फसल खरीद लेती है. कृषि उत्पादों के मूल्यों में गिरावट को रोकने के लिए सरकार मुख्य फसलों का एक न्यूनतम बिक्री मूल्य निर्धारित करती है.

अगर देश में फसल का उत्पादन बढ़ता है तो बिक्री मूल्य कम हो जाता है. कृषि उत्पादों के मूल्यों में गिरावट को रोकने के लिए सरकार मुख्य फसलों का एक न्यूनतम बिक्री मूल्य निर्धारित करती है. जो एक सत्र के लिए मान्य होता है. एमएसपी निर्धारित करते वक्त उत्पादक की लागत, मूल्यों में परिवर्तन, मांग-आपूर्ति जैसी कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है.

ये भी पढ़ें: सोशल डिस्टेंसिग का पालन ना करने पर दो दुकानें सील, पांच पर मामला दर्ज

Last Updated : Jun 16, 2020, 7:15 PM IST
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