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Karsogn News: किसानों के लिए वरदान साबित हुआ अमृत सरोवर, 100 बीघा खेत में सिंचाई की सुविधा - Himachal Karsogn News

मंडी जिले के करसोग में किसान इन दिनों अमृत सरोवर का लाभ उठा रहे हैं. भंडारणु में बिमला खड्ड पर बनाए गए अमृत सरोवर से किसानों को सिंचाई का लाभ मिल रहा है. इस अमृत सरोवर से क्षेत्र के 100 बीघा जमीन पर सिंचाई की जा रही है.

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किसानों के लिए वरदान साबित हुआ अमृत सरोवर
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Published : Jun 18, 2023, 4:04 PM IST

करसोग: मंडी जिले के करसोग में अमृत सरोवर योजना किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है. यहां भू-संरक्षण विभाग की ओर से भंडारणु में बिमला खड्ड पर बनाए गए अमृत सरोवर से 100 बीघा जमीन पर सिंचाई की सुविधा मिली है. इससे किसानों की आर्थिक सेहत सुधरने के साथ लुप्त हो रहे प्राकृतिक जल स्रोत भी रिचार्ज हो रहे हैं. 4.30 लाख की लागत से ये अमृत सरोवर 0.15 एकड़ भूमि पर तैयार किया गया हैं. जल से कृषि को बल वित्त पोषित योजना के तहत निर्मित ये सरोवर 16.20 मीटर लंबा और 2.10 मीटर ऊंचा है.

प्रदेश में बनेंगे 1800 अमृत सरोवर: प्रदेश में कुल 1800 अमृत सरोवर बनाए जाने प्रस्तावित हैं. इनमें अभी तक 760 अमृत सरोवरों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है. शेष बचे अमृत सरोवरों को 15 अगस्त, 2023 तक बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसी कड़ी में भू-संरक्षण विभाग ने करसोग के भंडारनू में बिमला खड्ड पर अमृत सरोवर का निर्माण किया गया है. सूखे की स्थिति में किसानों को अमृत सरोवर से क्षेत्र में करीब 100 बीघा जमीन पर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो रही है. बिमला खड्ड पर बनाए गए इस सरोवर से बहाव के आधार पर खेतों को सिंचित करने वाली सिंचाई कूहल से जोड़ा गया है. ऐसे में किसानों को अब नकदी फसलों से अच्छी खासी आय प्राप्त हो रही है.

वाटर लिफ्टिग इरिगेशन का भी प्रावधान: सरोवर में सोलर वाटर लिफ्टिंग इरिगेशन का भी प्रावधान है. जिससे किसान निजी तौर पर सोलर वाटर लिफ्टिंग सिस्टम लगा कर खेतों की सिंचाई कर सकते हैं. इस सरोवर पर करीब 5 सोलर वाटर लिफ्टिंग सिस्टम स्थापित किए जा सकते है. अमृत सरोवर का मुख्य उद्देश्य जल से कृषि को बल योजना के अन्तर्गत किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करवाकर अनाज के उत्पादन को बढ़ाना, जमीन में घटते भू-जल स्तर को बनाए रखना और सूखते प्राकृतिक जल स्रोत को रिचार्ज करना है.

अमृत सरोवर से बहुत सारे फायदे: अत्यधिक बारिश होने से पानी बहकर नदीं-नालों में चला जाता है. जिससे भूमि कटाव होता है और उपजाऊ भूमि की उर्वरता भी इससे कम होती है. ऐसे में अमृत सरोवरों के निर्माण से वर्षा जल को संग्रहित किया जा रहा है. भू-संरक्षक विभाग के सहायक अभियंता युवराज का कहना है कि बिमला खड्ड पर अमृत सरोवर का निर्माण कृषि विकास संघ के सहयोग से किया गया है. इससे किसानों और बागवानों को सिंचाई की सुविधा मिल रही है.
ये भी पढ़ें: बिलासपुर में बनेंगे 15 अमृत सरोवर, जल संकट से मिलेगी राहत

करसोग: मंडी जिले के करसोग में अमृत सरोवर योजना किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है. यहां भू-संरक्षण विभाग की ओर से भंडारणु में बिमला खड्ड पर बनाए गए अमृत सरोवर से 100 बीघा जमीन पर सिंचाई की सुविधा मिली है. इससे किसानों की आर्थिक सेहत सुधरने के साथ लुप्त हो रहे प्राकृतिक जल स्रोत भी रिचार्ज हो रहे हैं. 4.30 लाख की लागत से ये अमृत सरोवर 0.15 एकड़ भूमि पर तैयार किया गया हैं. जल से कृषि को बल वित्त पोषित योजना के तहत निर्मित ये सरोवर 16.20 मीटर लंबा और 2.10 मीटर ऊंचा है.

प्रदेश में बनेंगे 1800 अमृत सरोवर: प्रदेश में कुल 1800 अमृत सरोवर बनाए जाने प्रस्तावित हैं. इनमें अभी तक 760 अमृत सरोवरों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है. शेष बचे अमृत सरोवरों को 15 अगस्त, 2023 तक बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसी कड़ी में भू-संरक्षण विभाग ने करसोग के भंडारनू में बिमला खड्ड पर अमृत सरोवर का निर्माण किया गया है. सूखे की स्थिति में किसानों को अमृत सरोवर से क्षेत्र में करीब 100 बीघा जमीन पर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो रही है. बिमला खड्ड पर बनाए गए इस सरोवर से बहाव के आधार पर खेतों को सिंचित करने वाली सिंचाई कूहल से जोड़ा गया है. ऐसे में किसानों को अब नकदी फसलों से अच्छी खासी आय प्राप्त हो रही है.

वाटर लिफ्टिग इरिगेशन का भी प्रावधान: सरोवर में सोलर वाटर लिफ्टिंग इरिगेशन का भी प्रावधान है. जिससे किसान निजी तौर पर सोलर वाटर लिफ्टिंग सिस्टम लगा कर खेतों की सिंचाई कर सकते हैं. इस सरोवर पर करीब 5 सोलर वाटर लिफ्टिंग सिस्टम स्थापित किए जा सकते है. अमृत सरोवर का मुख्य उद्देश्य जल से कृषि को बल योजना के अन्तर्गत किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करवाकर अनाज के उत्पादन को बढ़ाना, जमीन में घटते भू-जल स्तर को बनाए रखना और सूखते प्राकृतिक जल स्रोत को रिचार्ज करना है.

अमृत सरोवर से बहुत सारे फायदे: अत्यधिक बारिश होने से पानी बहकर नदीं-नालों में चला जाता है. जिससे भूमि कटाव होता है और उपजाऊ भूमि की उर्वरता भी इससे कम होती है. ऐसे में अमृत सरोवरों के निर्माण से वर्षा जल को संग्रहित किया जा रहा है. भू-संरक्षक विभाग के सहायक अभियंता युवराज का कहना है कि बिमला खड्ड पर अमृत सरोवर का निर्माण कृषि विकास संघ के सहयोग से किया गया है. इससे किसानों और बागवानों को सिंचाई की सुविधा मिल रही है.
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