लाहौल स्पीतिः घाटी में इन दिनो स्नो फेस्टिवल चल रहा है. स्नो फेस्टिवल के मौके पर केलंग में आज रिंगों उत्सव और तोद घाटी में मुस्कुन तीरंदाजी उत्सव आरम्भ हुआ. अप्पर केलांग में तीन दिवसीय रिंगो फेस्टिवल में पारंपरिक तीरंदाजी खेल का आयोजन किया गया. इस आयोजन में गांव समस्त पुरुष इकठ्ठा हो कर पारंपरिक तीरंदाजी खेल खेलते हैं. यह आयोजन हर वर्ष शिव रात्रि के साथ ही शुरू होता हैं.
फेस्टिवल की ये है मान्यता
इस फेस्टिवल को मनाने के पीछे यह मान्यता है कि सर्दियों के मौसम में सभी असुर धरती पर आकर वास करते हैं और जैसे ही गर्मियों का आगमन होता है लोग इस परंपराओं के द्वारा असुर शक्तियों को भगाते हैं और महिलाएं अपने आंगन में इन असुर शक्तियों को गाली देकर भगाती हैं. इसमें आटे से बनाये गए रोटिनुमा लक्ष्य पर पारम्परिक तीर-कमान से निशाना साधा जाता है. वहीं, तोद घाटी में यह उत्सव 'मुस्कुन ' के नाम से मनाया जा रहा है, यहां बर्फ़ के स्तूप में लक्ष्य बनाकर दोनों ओर से भेदकर निशाना लगाया जाता है. मान्यता यह है कि इन दिनों यहां डायनों का वास होता है. अतः इन असुरी शक्तियों को भगाने के लिए रिंगों उत्सव मनाया जाता है.
क्या कहना है उपायुक्त का
उपायुक्त पंकज राय ने बताया कि स्नो फेस्टिवल के अंतर्गत सैलानियों को लाहौल स्पीति के पारंपरिक जायके से परिचित करवाने के लिए, अगले सप्ताह 'फूड फेस्टिवल का आयोजन सिस्सु में किया जाएगा. इसमें पर्यटकों को लाहौल के शाकाहारी व मांसाहारी व्यंजनो का स्वाद चखने को मिलेगा. इसके साथ ही वे पारम्परिक तीरंदाजी में भी अपना हुनर आजमा सकेंगे. छरमा चाय व नमकीन चाय के स्टॉल भी लगाए जाएंगे.
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