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लाहौल घाटी में पहली बार नजर आया येलोहम्मर पक्षी, ई-बर्ड इंडिया पोर्टल की गणना में हुआ खुलासा - लाहौल घाटी में येलोहम्मर पक्षी

लाहौल घाटी में पहली बार येलोहम्मर पक्षी दिखाई दिया. ई-बर्ड इंडिया पोर्टल के अनुसार घाटी में पहली बार इस पक्षी की गणना हुई है. इससे पहले भी येलोहम्मर पक्षी कांगड़ा जिले में भी देखा गया था.

Yellow hammer bird seen for the first time in Lahaul Valley
लाहौल घाटी में पहली बार नजर आया येलोहम्मर पक्षी
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Published : Feb 19, 2020, 3:02 PM IST

कुल्लू: ग्रेट बैकयार्ड बर्ड काउंट में हिमाचल के जनजातीय क्षेत्र लाहौल घाटी में पहली बार येलोहम्मर पक्षी देखा गया है. इसकी उपस्थित अब ई-बर्ड इंडिया पोर्टल पर भी दर्ज हो गई है. ई बर्ड इंडिया पोर्टल के अनुसार यह पक्षी लाहौल-स्पीति में पहली बार गणना में रिकॉर्ड हुआ है.

भारत में यह पक्षी बहुत कम संख्या में है. पिछले कुछ सालों से इसकी संख्या में भी कमी देखने को मिली है. इसका खुलासा 14 से 17 फरवरी को हुए पूरे विश्व में ग्रेट बैकयार्ड बर्ड काउंट से हुआ है. लाहौल में ई-बर्ड इंडिया पोर्टल पर वन विभाग के वरिष्ठ वनरक्षक शिव कुमार, वनरक्षक महेश, लोनिवि के कर्मचारी अमीर जस्पा और गुरु राणा ने इस बार येलोहम्मर, ओरेंज बुलफिंच, पाइन बंटिंग, एवेर्मेस रेडस्टार्ट, हिमालयन बज्जर्ड के साथ 39 पक्षियों की प्रजातियों को आगे रिपोर्ट किया है.

गौर रहे कि वह साल 2016 से ई-बर्ड इंडिया पोर्टल पर लाहौल में मौजूद पक्षियों पर रिपोर्टिगिं कर रहे हैं. येलोहम्मर पक्षी मुख्य रूप से मध्य एशिया की प्रजाति है, जो सर्दियों में दक्षिण एशिया की ओर रुख करते हैं. यह पक्षी बंटिंग परिवार से संबंधित है. इसके नाम से ही प्रतीत होता है कि यह पीले रंग का होता है. नर येलोहम्मर का सिर चमकीले पीले रंग, पीठ भूरे रंग की होती है, जबकि मादा येलोहम्मर फीके रंग की होती है.

यह पक्षी अपने करीबी रिश्तेदार पाइन बंटिंग के साथ मिलकर हाईब्रीड करती है. इसके बाल भी पाइन बंटिंग से मिलते-जुलते हैं. यह अधिकतर झाडियों और खुले वृक्षों वाले स्थान पर मिलते हैं. इसका प्रजनन समय अप्रैल-मई में शुरू होता है.

बर्ड काउंट 2020 के समन्वयक एवं वन विभाग लाहौल के वरिष्ठ वन रक्षक शिव कुमार ने कहा कि ई-बर्ड इंडिया पोर्टल के अनुसार येलोहम्मर पक्षी कांगड़ा जिले में भी देखा गया था, लेकिन जनजातीय लाहौल-स्पीति में पहली बार रिकॉर्ड हुआ है. शिव कुमार ने कहा कि भारत में येलोहम्मर पक्षी बहुत कम हैं.

ये भी पढ़ें: SPECIAL: सक्षम गुड़िया बोर्ड की उपाध्यक्ष रूपा शर्मा से खास बातचीत, सरकार पर जड़े कई गंभीर आरोप

कुल्लू: ग्रेट बैकयार्ड बर्ड काउंट में हिमाचल के जनजातीय क्षेत्र लाहौल घाटी में पहली बार येलोहम्मर पक्षी देखा गया है. इसकी उपस्थित अब ई-बर्ड इंडिया पोर्टल पर भी दर्ज हो गई है. ई बर्ड इंडिया पोर्टल के अनुसार यह पक्षी लाहौल-स्पीति में पहली बार गणना में रिकॉर्ड हुआ है.

भारत में यह पक्षी बहुत कम संख्या में है. पिछले कुछ सालों से इसकी संख्या में भी कमी देखने को मिली है. इसका खुलासा 14 से 17 फरवरी को हुए पूरे विश्व में ग्रेट बैकयार्ड बर्ड काउंट से हुआ है. लाहौल में ई-बर्ड इंडिया पोर्टल पर वन विभाग के वरिष्ठ वनरक्षक शिव कुमार, वनरक्षक महेश, लोनिवि के कर्मचारी अमीर जस्पा और गुरु राणा ने इस बार येलोहम्मर, ओरेंज बुलफिंच, पाइन बंटिंग, एवेर्मेस रेडस्टार्ट, हिमालयन बज्जर्ड के साथ 39 पक्षियों की प्रजातियों को आगे रिपोर्ट किया है.

गौर रहे कि वह साल 2016 से ई-बर्ड इंडिया पोर्टल पर लाहौल में मौजूद पक्षियों पर रिपोर्टिगिं कर रहे हैं. येलोहम्मर पक्षी मुख्य रूप से मध्य एशिया की प्रजाति है, जो सर्दियों में दक्षिण एशिया की ओर रुख करते हैं. यह पक्षी बंटिंग परिवार से संबंधित है. इसके नाम से ही प्रतीत होता है कि यह पीले रंग का होता है. नर येलोहम्मर का सिर चमकीले पीले रंग, पीठ भूरे रंग की होती है, जबकि मादा येलोहम्मर फीके रंग की होती है.

यह पक्षी अपने करीबी रिश्तेदार पाइन बंटिंग के साथ मिलकर हाईब्रीड करती है. इसके बाल भी पाइन बंटिंग से मिलते-जुलते हैं. यह अधिकतर झाडियों और खुले वृक्षों वाले स्थान पर मिलते हैं. इसका प्रजनन समय अप्रैल-मई में शुरू होता है.

बर्ड काउंट 2020 के समन्वयक एवं वन विभाग लाहौल के वरिष्ठ वन रक्षक शिव कुमार ने कहा कि ई-बर्ड इंडिया पोर्टल के अनुसार येलोहम्मर पक्षी कांगड़ा जिले में भी देखा गया था, लेकिन जनजातीय लाहौल-स्पीति में पहली बार रिकॉर्ड हुआ है. शिव कुमार ने कहा कि भारत में येलोहम्मर पक्षी बहुत कम हैं.

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