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शीरा बनाकर आर्थिकी मजबूत कर रहीं महिलाएं, बाजारों में मिल रहे अच्छे दाम

कुल्लू में भी लॉकडाउन में बेकाम हुई महिलाओं ने अपनी आर्थिकी के लिए कई नए प्रयोग किए और इनमें उन्हें सफलता भी मिली है. नग्गर गांव के जय जगती समूह की महिलाओं ने भी लॉकडाउन से लेकर अब तक कई तरह के उत्पाद बनाकर बाजारों में बेचे, जिससे वे भी अपने परिवार को चलाने में सक्षम हो सकें. इन दिनों समूह की महिलाएं मिलकर गेहूं का शीरा बना रही हैं तो वहीं माह की दाल की बड़ी भी बनाकर बाजारों में सप्लाई कर रही हैं.

शीरा बना रही महिलाएं
शीरा बना रही महिलाएं
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Published : Dec 7, 2020, 2:36 PM IST

कुल्लू: देश में लगे लॉकडाउन के चलते कई लोग बेरोजगार हुए हैं. कई लोगों ने अपने रोजगार के लिए नए तरीके ढूंढ लिए हैं. कुल्लू में भी लॉकडाउन में बेकाम हुई महिलाओं ने अपनी आर्थिकी के लिए कई नए प्रयोग किए और वह सब सफल भी हुए. उझी घाटी के नग्गर गांव में एक स्वयं सहायता समूह ने पहाड़ी व्यंजन शीरा बनाकर अपनी आर्थिकी को मजबूत किया है.

आर्थिकी मजबूत कर रही महिलाएं

नग्गर गांव के जय जगती समूह की महिलाओं ने भी लॉकडाउन से लेकर अब तक कई तरह के उत्पाद बनाकर बाजारों में भेजें, जिससे वे भी अपने परिवार को चलाने में सक्षम हो सके. इन दिनों स्वयं सहायता समूह की महिलाएं गेहूं से शीरा बनाने में जुटी हुई हैं और उसे बाजारों में बेचा जा रहा है. कुल्लू और अन्य जिलों में भी सर्दियों के दौरान गेहूं से बनने वाले उत्पाद की खासी मांग रहती है और महिलाएं भी इसे बेचकर अपनी आर्थिकी को मजबूत कर रही हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

लॉकडाउन में नहीं था रोजगार

कोरोना काल में जब महिलाओं के पास कोई रोजगार नहीं था तो उस समय से समूह की महिलाओं ने विभिन्न उत्पाद तैयार करने शुरू किए. इस समूह से जुड़ी महिलाएं आत्मनिर्भर बनी हुई है. समूह से जुड़ी महिला पूनम कायस्था का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान जब महिलाएं बेरोजगार हो गई तो उन्हें इस तरह के उत्पाद बनाने का विचार आया. इन दिनों समूह की महिलाएं मिलकर गेहूं का शीरा बना रही हैं तो वहीं मां की दाल की बड़ी भी बनाकर बाजारों में उतारी जा रही है.

बाजारों में मिल रहे अच्छे दाम

महिला पूनम कायस्था का कहना है कि इस तरह के उत्पाद बनाकर और बाजारों में बेच रहे हैं, जहां लोकल उत्पादों को ग्राहकों की ओर से भी अच्छे दाम दिए जा रहे हैं, जिससे समूह से जुड़ी 10 महिलाओं की आर्थिकी मजबूत हुई है. गौर रहे कि कोरोना काल में महिलाओं और युवाओं ने लोकल फॉर वोकल अभियान के तहत भी कई उत्पादों को प्रमोट किया और आज वे सक्षम होकर अपना भरण-पोषण करने में भी मजबूत हुए हैं.

पढ़ें: जानें, क्या लोकल के लिए वोकल अभियान के लिए तैयार है भारत

कुल्लू: देश में लगे लॉकडाउन के चलते कई लोग बेरोजगार हुए हैं. कई लोगों ने अपने रोजगार के लिए नए तरीके ढूंढ लिए हैं. कुल्लू में भी लॉकडाउन में बेकाम हुई महिलाओं ने अपनी आर्थिकी के लिए कई नए प्रयोग किए और वह सब सफल भी हुए. उझी घाटी के नग्गर गांव में एक स्वयं सहायता समूह ने पहाड़ी व्यंजन शीरा बनाकर अपनी आर्थिकी को मजबूत किया है.

आर्थिकी मजबूत कर रही महिलाएं

नग्गर गांव के जय जगती समूह की महिलाओं ने भी लॉकडाउन से लेकर अब तक कई तरह के उत्पाद बनाकर बाजारों में भेजें, जिससे वे भी अपने परिवार को चलाने में सक्षम हो सके. इन दिनों स्वयं सहायता समूह की महिलाएं गेहूं से शीरा बनाने में जुटी हुई हैं और उसे बाजारों में बेचा जा रहा है. कुल्लू और अन्य जिलों में भी सर्दियों के दौरान गेहूं से बनने वाले उत्पाद की खासी मांग रहती है और महिलाएं भी इसे बेचकर अपनी आर्थिकी को मजबूत कर रही हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

लॉकडाउन में नहीं था रोजगार

कोरोना काल में जब महिलाओं के पास कोई रोजगार नहीं था तो उस समय से समूह की महिलाओं ने विभिन्न उत्पाद तैयार करने शुरू किए. इस समूह से जुड़ी महिलाएं आत्मनिर्भर बनी हुई है. समूह से जुड़ी महिला पूनम कायस्था का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान जब महिलाएं बेरोजगार हो गई तो उन्हें इस तरह के उत्पाद बनाने का विचार आया. इन दिनों समूह की महिलाएं मिलकर गेहूं का शीरा बना रही हैं तो वहीं मां की दाल की बड़ी भी बनाकर बाजारों में उतारी जा रही है.

बाजारों में मिल रहे अच्छे दाम

महिला पूनम कायस्था का कहना है कि इस तरह के उत्पाद बनाकर और बाजारों में बेच रहे हैं, जहां लोकल उत्पादों को ग्राहकों की ओर से भी अच्छे दाम दिए जा रहे हैं, जिससे समूह से जुड़ी 10 महिलाओं की आर्थिकी मजबूत हुई है. गौर रहे कि कोरोना काल में महिलाओं और युवाओं ने लोकल फॉर वोकल अभियान के तहत भी कई उत्पादों को प्रमोट किया और आज वे सक्षम होकर अपना भरण-पोषण करने में भी मजबूत हुए हैं.

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