कुल्लू: रोहतांग दर्रा को बहाल करने के लिए बीआरओ छह दिनों से बर्फ हटाने का कार्य कर रहा है, लेकिन बीआरओ के लिए मढ़ी और रोहतांग दर्रा में चल रही बर्फीली हवाएं परेशानी बन रही हैं. तीन दिनों से सीमा सड़क संगठन मढ़ी से आगे नहीं बढ़ पा रहा है. अभी भी रोहतांग खोलने के बीआरओ को करीब आठ किलोमीटर से बर्फ हटाने का काम शेष बचा है.
बता दें कि शून्य से नीचे तापमान और दिसंबर महीने की खून जमा देने वाली ठंड में मिशन रोहतांग फतेह को अंजाम देना बीआरओ के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. लाहौल के कोकसर की तरफ से बीआरओ की मशीन बर्फ हटाकर रोहतांग दर्रा तक पहुंच गई है. साफ मौसम रहते रोहतांग दर्रे के आसपास बर्फीले तूफान का चलना भी मार्ग बहाली में बार-बार बाधा बन रहा है. फिर भी इनके हौसले बुलंद हैं.
बीआरओ के अधिकारियों के मुताबिक उनकी टीम मिशन रोहतांग दर्रा फतेह करने के करीब है और शनिवार देर शाम तक खुल सकता है. लाहौल की ओर से मशीन रोहतांग पहुंच चुकी है, जबकि मढ़ी से बीआरओ को बर्फीली हवा के चलते कई किलोमीटर पीछे से बर्फ को हटना पड़ रहा है. लाहौल की तरफ से रोहतांग के पास पिछली बर्फबारी से फंसे बीआरओ के एक टैंकर को भी निकाल दिया है. मढ़ी से आगे निकलते हुए मशीन राहनीनाला की ओर बढ़ गई है.
एलपीएस के चेयरमैन सुदर्शन जस्पा ने बीआरओ के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी लाहौल को मनाली से जोड़ने की हर संभव कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि रोहतांग सुरंग से आवाजाही बंद होने पर लोग जान जोखिम में डालकर दर्रा होकर पैदल चल रहे हैं. लाहौल-स्पीति के पूर्व विधायक रवि ठाकुर ने बीआरओ की सराहना की है. उन्होंने कहा कि रोहतांग दर्रा खुलने से लाहौल में फंसे सेब को निकाला जा सकेगा.
बीआरओ के कमांडर कर्नल उमा शंकर ने कहा कि रोहतांग और मढ़ी के आसपास बर्फीला तूफान चलने से बहाल किए मार्ग को बार-बार बहाल करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि तीन दिनों से उनकी मशीन मढ़ी पहुंचती है और अगले दिन फिर से सड़क पर गिरी बर्फ को हटाना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि शनिवार देर शाम तक दर्रा बहाल होने की उम्मीद है.
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