ETV Bharat / state

बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम के क्रियान्वयन में कुल्लू की शानदार उपलब्धि, समीक्षा एवं समन्वय बैठक में हुई चर्चा - राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य डाॅ. आरजी आनंद ने आज जिला परिषद सभागार कुल्लू में बाल संरक्षण मुद्दों पर जिला अधिकारियों के साथ समीक्षा एवं समन्वय बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही. राज्य बाल अधिकार सरंक्षण आयोग के सदस्य शैलेन्द्र बैहल भी इस अवसर पर उपस्थित थे.

Review and coordination meeting
फोटो.
author img

By

Published : Mar 17, 2021, 3:57 PM IST

कुल्लूः बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम का कुल्लू जिला में प्रभावी क्रियान्वयन किया जा रहा है जिसके चलते जिला की स्थिति देश के अन्य जिलों के मुकावले बहुत बेहतर है और यह एक उदाहरण भी है. यह बात राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य डाॅ. आरजी आनंद ने आज जिला परिषद सभागार कुल्लू में बाल संरक्षण मुद्दों पर जिला अधिकारियों के साथ समीक्षा एवं समन्वय बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही. राज्य बाल अधिकार सरंक्षण आयोग के सदस्य शैलेन्द्र बैहल भी इस अवसर पर उपस्थित थे.

डाॅ. आनंद ने दी जानकारी

डाॅ. आनंद ने कहा कि बाल सरंक्षण अधिनियम का देशभर में सही कार्यान्वयन सुनिश्चित बनाने के उद्देश्य से आयोग ने दो प्रमुख पहल की हैं. जिनमें ‘संवेदना’ व सहारा योजनाएं शुरू की गई हैं. संवेदना के अंतर्गत टाॅल फ्री नम्बर 8001212830 जारी किया गया है. जिसके माध्यम से बच्चों से जुड़े मामलों की जानकारी दी जा सकती है. काउंसलिंग संवेदना के माध्यम से बाल अधिकार संरक्षण से जुड़े विभाग व अन्य हितधारक आवश्यक दिशा-निर्देश भी प्राप्त कर सकते हैं. इसी प्रकार सहारा योजना सीमा सुरक्षा बल के शहीद जवानों के बच्चों के पुनर्वास अथवा काउंसलिग से जुडे़ मामलों के समाधान के लिए चलाया गया है.

वीडियो.

आयोग के सदस्य ने कहा कि जिला में संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहित करने की दिशा में काफी अच्छा कार्य किया गया है. संस्थागत प्रसव के कारण शिशुओं की मृत्यु दर में काफी कमी रिकॉर्ड की गई है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में संस्थागत प्रसव के लिए महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाए गए हैं.

बाल मजदूरी के मामलों पर गंभीरतापूर्वक चर्चा

डाॅ. आनंद ने बाल मजदूरी के मामलों पर गंभीरतापूर्वक चर्चा की और संबंधित विभागों के अधिकारियों को बाल मजदूरी के मामलों से निपटने की समूची प्रक्रिया बताई. हालांकि उन्होंने संतोष व्यक्त किया कि जिला में इस प्रकार के मामले न के बराबर हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों पर तुरंत कार्रवाई करके इसकी सूचना बाल कल्याण समिति व जिला प्रशासन को दी जानी चाहिए. उन्होंने निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत दाखिला गरीब परिवारों के बच्चों का सुनिश्चित बनाने के निर्देश दिए.

जिला में चार बाल देखभाल संस्थान

बैठक में जानकारी दी गई कि जिला में छः माह से छः साल के 28160 बच्चों को पूरक पोषाहार के अंतर्गत कोविड काल में घर पर राशन प्रदान किया गया. जिला दंडाधिकारी की अध्यक्षता में जिला बाल सरंक्षण इकाई की स्थापना की गई है. जिला में चार बाल देखभाल संस्थान कार्य कर रहे हैं. जिनमें आश्रम कलैहली, मनाली के शुरू में दार-उल-फजल बाल गृह, सरवरी में कांता सरन मेमोरियल विवेकानंद छात्रावास और सरवरी में दृष्टिबाधितों के लिए चन्द्र आभा मेमोरियल विद्यालय शामिल है. इनमें कुल 107 छात्र व छात्राएं हैं जो सभी स्वस्थ हैं. उपायुक्त समय-समय पर इन संस्थानों का निरीक्षण करती हैं.

जिला में कुल 14 बच्चे भूमिहीन

जिला में नाबालिग अनाथ बच्चों की संपति के संरक्षण के मामलों को गंभीरतापूर्वक लिया जा रहा है. कुल 97 मामलों में नाबालिग अनाथ बच्चों के हक में इंतकाल को अंतिम रूप दिया गया है. जिला में कुल 14 बच्चे भूमिहीन हैं. नौ बच्चों के पते की पुष्टि नहीं हो पाई है. केयरिंग पोर्टल पर सात परिवारों ने बच्चा अपनाने के लिए आवेदन किया. जिला में पोक्सो के कुल 15 मामले पुलिस से प्राप्त हुए जिनमें से बोर्ड के समक्ष आठ मामले प्रस्तुत किए गए.

उपायुक्त डाॅ. ऋचा वर्मा ने बाल संरक्षण अधिनियम पर प्रकाश डाला

उपायुक्त डाॅ. ऋचा वर्मा ने स्वागत किया और जिला में बाल संरक्षण अधिनियम के कार्यान्वयन पर प्रकाश डाला. बैठक में विभिन्न विभागों के अधिकारियों के अलावा राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिनियम आयोग के अधिकारी व बाल देखभाल संस्थानों के पदाधिकारी भी उपस्थित रहे.

पढ़ेंः दिल्ली में मंडी के सांसद रामस्‍वरूप शर्मा की संदिग्ध मौत

कुल्लूः बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम का कुल्लू जिला में प्रभावी क्रियान्वयन किया जा रहा है जिसके चलते जिला की स्थिति देश के अन्य जिलों के मुकावले बहुत बेहतर है और यह एक उदाहरण भी है. यह बात राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य डाॅ. आरजी आनंद ने आज जिला परिषद सभागार कुल्लू में बाल संरक्षण मुद्दों पर जिला अधिकारियों के साथ समीक्षा एवं समन्वय बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही. राज्य बाल अधिकार सरंक्षण आयोग के सदस्य शैलेन्द्र बैहल भी इस अवसर पर उपस्थित थे.

डाॅ. आनंद ने दी जानकारी

डाॅ. आनंद ने कहा कि बाल सरंक्षण अधिनियम का देशभर में सही कार्यान्वयन सुनिश्चित बनाने के उद्देश्य से आयोग ने दो प्रमुख पहल की हैं. जिनमें ‘संवेदना’ व सहारा योजनाएं शुरू की गई हैं. संवेदना के अंतर्गत टाॅल फ्री नम्बर 8001212830 जारी किया गया है. जिसके माध्यम से बच्चों से जुड़े मामलों की जानकारी दी जा सकती है. काउंसलिंग संवेदना के माध्यम से बाल अधिकार संरक्षण से जुड़े विभाग व अन्य हितधारक आवश्यक दिशा-निर्देश भी प्राप्त कर सकते हैं. इसी प्रकार सहारा योजना सीमा सुरक्षा बल के शहीद जवानों के बच्चों के पुनर्वास अथवा काउंसलिग से जुडे़ मामलों के समाधान के लिए चलाया गया है.

वीडियो.

आयोग के सदस्य ने कहा कि जिला में संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहित करने की दिशा में काफी अच्छा कार्य किया गया है. संस्थागत प्रसव के कारण शिशुओं की मृत्यु दर में काफी कमी रिकॉर्ड की गई है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में संस्थागत प्रसव के लिए महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाए गए हैं.

बाल मजदूरी के मामलों पर गंभीरतापूर्वक चर्चा

डाॅ. आनंद ने बाल मजदूरी के मामलों पर गंभीरतापूर्वक चर्चा की और संबंधित विभागों के अधिकारियों को बाल मजदूरी के मामलों से निपटने की समूची प्रक्रिया बताई. हालांकि उन्होंने संतोष व्यक्त किया कि जिला में इस प्रकार के मामले न के बराबर हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों पर तुरंत कार्रवाई करके इसकी सूचना बाल कल्याण समिति व जिला प्रशासन को दी जानी चाहिए. उन्होंने निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत दाखिला गरीब परिवारों के बच्चों का सुनिश्चित बनाने के निर्देश दिए.

जिला में चार बाल देखभाल संस्थान

बैठक में जानकारी दी गई कि जिला में छः माह से छः साल के 28160 बच्चों को पूरक पोषाहार के अंतर्गत कोविड काल में घर पर राशन प्रदान किया गया. जिला दंडाधिकारी की अध्यक्षता में जिला बाल सरंक्षण इकाई की स्थापना की गई है. जिला में चार बाल देखभाल संस्थान कार्य कर रहे हैं. जिनमें आश्रम कलैहली, मनाली के शुरू में दार-उल-फजल बाल गृह, सरवरी में कांता सरन मेमोरियल विवेकानंद छात्रावास और सरवरी में दृष्टिबाधितों के लिए चन्द्र आभा मेमोरियल विद्यालय शामिल है. इनमें कुल 107 छात्र व छात्राएं हैं जो सभी स्वस्थ हैं. उपायुक्त समय-समय पर इन संस्थानों का निरीक्षण करती हैं.

जिला में कुल 14 बच्चे भूमिहीन

जिला में नाबालिग अनाथ बच्चों की संपति के संरक्षण के मामलों को गंभीरतापूर्वक लिया जा रहा है. कुल 97 मामलों में नाबालिग अनाथ बच्चों के हक में इंतकाल को अंतिम रूप दिया गया है. जिला में कुल 14 बच्चे भूमिहीन हैं. नौ बच्चों के पते की पुष्टि नहीं हो पाई है. केयरिंग पोर्टल पर सात परिवारों ने बच्चा अपनाने के लिए आवेदन किया. जिला में पोक्सो के कुल 15 मामले पुलिस से प्राप्त हुए जिनमें से बोर्ड के समक्ष आठ मामले प्रस्तुत किए गए.

उपायुक्त डाॅ. ऋचा वर्मा ने बाल संरक्षण अधिनियम पर प्रकाश डाला

उपायुक्त डाॅ. ऋचा वर्मा ने स्वागत किया और जिला में बाल संरक्षण अधिनियम के कार्यान्वयन पर प्रकाश डाला. बैठक में विभिन्न विभागों के अधिकारियों के अलावा राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिनियम आयोग के अधिकारी व बाल देखभाल संस्थानों के पदाधिकारी भी उपस्थित रहे.

पढ़ेंः दिल्ली में मंडी के सांसद रामस्‍वरूप शर्मा की संदिग्ध मौत

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.