कुल्लू: पूर्ण राज्यत्व की स्वर्ण जयंती का जिला स्तरीय समारोह कुल्लू के ऐतिहासिक ढालपुर मैदान में आयोजित किया गया. समारोह की अध्यक्षता उपायुक्त डॉ. ऋचा वर्मा ने की. इस अवसर पर संबोधित करते हुए उपायुक्त ने कहा कि हिमाचल प्रदेश ने पिछले 50 सालों में विकास में नई इबारत लिखी है तो कुल्लू जिला भी पीछे नहीं रहा है.
वर्ष 1966 में पंजाब पुनर्गठन के बाद कुल्लू जिला खूबसूरत पहाड़ी राज्य हिमाचल का हिस्सा बना. 1971 में जब हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला तो कुल्लू के भोले भाले लोगों की उम्मीदों को धरातल पर उतारने के लिए एक आधार मिला. पूर्ण राज्यत्व से पूरे प्रदेश में जो खुशी की लहर थी, उसका सुखद परिणाम आज हम सबके सामने है. दुश्वारियों से लड़ते हुए जिलावासियों ने बीते 50 सालों में प्रगति का मार्ग प्रशस्त किया है.
'पर्यटन से हजारों लोगों को रोजगार मिला है'
डॉ. ऋचा वर्मा ने कहा कि जिला को प्रकृति ने नैसर्गिक सौंदर्य से नवाजा है, इसका भरपूर लाभ यहां के जनपद को मिला है. सालभर सैलानियों का तांता लगा रहता है. जिला में साहसी पर्यटन से हजारों लोगों को रोजगार मिला है. पैरा ग्लाईडिंग, रीवर राफटिंग, स्कींईग, स्नो स्कूटर जैसी साहसिक गतिविधयां सैलानियों को आकर्षित करती हैं.
लारजी झील में वाटर स्पोट्र्स की संभावनाओं का पता लगाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अटल टनल पर्यटन के क्षेत्र में नये आयाम स्थापित कर रही है. माननीय प्रधानमंत्री द्वारा अटल टनल का लोकार्पण करने के बाद हर रोज हजारों की संख्या में सैलानी आ रहे हैं जिससे क्षेत्र के लोगों की आर्थिकी में बदलाव आना स्वाभाविक है. इससे कबाईली क्षेत्रों को बारहमासी क्नेक्टिविटी की सुविधा मिली है. पूर्व में लाहौल-स्पिति, पांगी साल में छः से सात महीनों तक भारी बर्फबारी के कारण शेष विश्व से कटे रहते थे.
'37.67 करोड़ का निःशुल्क उपचार'
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपार प्रगति हुई है. क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू में 100 बिस्तरों का जिला कोविड केयर सेंटर बनाया गया है जो सभी सुविधाओं से लैस है. इस केन्द्र के बनने के बाद कोविड का कोई भी मामला बाहरी अस्पतालों को रेफर नहीं किया गया. जिला में स्वास्थ्य संस्थानों का एक मजबूत तंत्र उपलब्ध है. प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी हिमकेयर योजना के तहत जिला में 10 हजार 14 लाभार्थियों का 37.67 करोड़ का निःशुल्क उपचार किया गया है.
सहारा योजना के तहत जिला में 268 लाभार्थियों को 3000 रुपये प्रति माह की दर से 64.40 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की गई है. जिला के लोग सरकार के दिशा-निर्देशों की पालना करते हैं और यही कारण है कि वर्तमान में कोरोना के केवल 10 एक्टिव मामले हैं और नये मामले न के बराबर आ रहे हैं.
48.30 करोड़ की राशि खर्च की जा रही है
पिछले लगभग तीन सप्ताह के दौरान कोरोना से जिला में कोई भी मौत नहीं हुई है. डॉ. ऋचा वर्मा ने कहा कि जिला में 39,412 पात्र व्यक्तियों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन प्रदान की जा रही है. इसपर सालाना 48.30 करोड़ की राशि खर्च की जा रही है. हिमाचल गृहिणी सुविधा योजना के तहत लगभग 16 हजार परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन तथा 12,625 मुफ्त रिफिल उपलब्ध करवाए गए हैं.
क्नेक्टिविटी की यदि बात करें तो जिला में सड़कों का बड़ा जाल है. फोर लेन बनने से यहां के पर्यटन में आशातीत बढ़ौतरी हुई है. गांव-गांव में सड़कें पहुंच रही हैं जो आर्थिकी में बदलाव का जरिया बनकर उभरी हैं. कुल्लू से मनाली तथा लाहौल तक शानदार सड़क का निर्माण करके लोगों व सैलालियों को सहूलियत प्रदान की है.
'बिजली की आपूर्ति करने में सक्षम'
उन्होंने कहा कि पहले हमारे पास उर्जा जरूरतें पूरी करना एक भारी चुनौती था. इस मामले में कुल्लू जिला आज सबसे आगे खड़ा है और न केवल प्रदेश अपितु बाहरी राज्यों को भी बिजली की आपूर्ति करने में सक्षम हुआ है. हजारों मैगावाट बिजली का हर रोज उत्पादन हो रहा है. प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत 12406 निःशुल्क गैस कनेक्शन और 32 हजार मुफ्त रिफिल सिलेंडर प्रदान किए गए है.
उपायुक्त ने कहा कि इन पांच दशकों में शिक्षा जैसे बड़े सामाजिक बदलाव ने कुल्लू के लोगों का जीवन पूरी तरह बदल दिया है. विशेष तौर पर महिला शिक्षा के मामले में ये 50 साल सुखद रहे हैं. पूर्ण राज्यत्व के समय महिलाओं को पढ़ाना जहां जरूरत नहीं समझा जाता है आज हर बेटी को पढ़ाना हर अभिभावक सुनिश्चित कर रहा है. बेटियों ने आज हर मुकाम हासिल किया है. पिछले 50 सालों में हम कहां पहुंच चुके हैं, इसकी तुलना यदि 6-7 दशक पहले के विकास से की जाए तो आज हम काफी सुखद स्थिति में हैं.
'कई मंजिलों के रास्ते हमें तय करने हैं'
ऋचा वर्मा ने कहा कि कृषि, बागवानी में जिला में अप्रत्याशित बदलाव आ चुके हैं. बागवानी हजारों लोगों की आमदनी का बड़ा जरिया बना है. लोगों का सामाजिक व आर्थिक जीवन काफी बेहतर हुआ है. उन्होंने जिलावासियों से कहा कि हमें यहीं पर नहीं रूकना है, बल्कि शासन व प्रशासन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति की राह पर निरंतर आगे बढ़ते जाना है जहां मंजिल आसमां हो. 50 साल के इस स्वर्णिम सफर के दौरान हमने काफी कुछ पाया है और कई मंजिलों के रास्ते हमें तय करने हैं.
प्रसिद्ध साहित्यकार व लेखक डॉ. सूरत ठाकुर ने अपने संबोधन में कहा कि कुल्लू एक ऐतिहासिक जिला है और इसका वर्णण शास्त्रों में भी मिलता है. पूर्व में कुलूत देश के नाम से जाना जाने वाल यह जिला आज बागवानी के क्षेत्र में नये आयाम स्थापित कर रहा है जिससे लोगों की आर्थिकी में जबरदस्त बदलाव आया है.
यहां के लोग शांतिप्रिय, भोले-भाले और अतिथ्य संस्कारित हैं जिसके कारण जिला में बड़ी संख्या में सैलानियों का हर रोज आमद रहती है. यहां की देव परम्परा विश्व विख्यात है. आज भी अनेक गांवों में फैसले देवी-देवताओं के द्वारा लिए जाते हैं. उन्होंने कुल्लू तब और अब पर विस्तारपूर्वक चर्चा की.
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