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इस बार श्रीखंड महादेव यात्रा के लिए देनी होगी 'कड़ी परीक्षा', यहां करवाना होगा पंजीकरण - jairam govt

श्रीखण्ड यात्रा को लेकर प्रशासन द्वारा तैयारियां पूरी की जा चुकी है. प्रशासनिक तौर पर ये यात्रा 15 से 25 जुलाई तक चलेगी, जिसके लिए यात्रियों को सिंहगाड में स्थापित बेसकैम्प में अपना पंजीकरण करवाना होगा. इस बार यात्रा में बीएसएनएल और जिओ के नेटवर्क की भी उपलब्धता रहेगी. किसी भी तरह की आपदा से निपटने के लिए पुलिस बल, होमगार्ड और रेस्क्यू टीमें तैनात की गई हैं.

श्रीखण्ड यात्रा
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Published : Jul 14, 2019, 8:44 PM IST

कुल्लू: हिमालय की गोद में विराजमान श्रीखंड महादेव के दर्शन करना आसान नहीं है. दुनिया की सबसे दुर्गम धार्मिक यात्राओं में शामिल होने के बावजूद श्रीखंड यात्रा के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यात्रा में पहुंचते हैं. श्रीखंड महादेव जिला कुल्लू के आनी में है, लेकिन निरमंड से होकर ही यहां पहुंचा जा सकता है.

निरमंड से श्रीखंड यात्रा के लिए 32 किलोमीटर की सीधी चढ़ाई श्रद्धालुओं के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होती है. यहां पहुंचने के लिए पैदल ही चलना पड़ता है.

चढ़नी पड़ती है 18570 फीट की ऊंचाई
आमतौर पर कैलाश मानसरोवर की यात्रा सबसे कठिन व दुर्गम धार्मिक यात्रा मानी जाती है. उसके बाद अमरनाथ यात्रा, लेकिन हिमाचल प्रदेश के श्रीखंड महादेव की यात्रा अमरनाथ यात्रा से भी ज्यादा कठिन है. अमरनाथ यात्रा में जहां लोगों को करीब 14000 फीट की चढ़ाई करनी पड़ती है. वहीं, श्रीखंड महादेव के दर्शन के लिए यात्रियों को 18570 फीट की ऊंचाई पर चढ़ना होता है. यहां पहुंचने का रास्ता भी बेहद खतरनाक है.

preparations completed for shreekhand yatra
श्रीखण्ड यात्रा

ये भी पढ़ें-स्वच्छ भारत मिशन में सर्वेक्षण करवाने के नाम पर ठगी, मामला दर्ज

सुंदर घाटियों के बीच से गुजरता है ट्रैक
18 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित श्रीखंड यात्रा के दौरान सांस लेने के लिए ऑक्सीजन की भी कमी पड़ती है. श्रीखंड जाते समय करीब एक दर्जन धार्मिक स्थल व देव शिलाएं हैं. श्रीखंड में भगवान शिव का शिवलिंग है. श्रीखंड से करीब 50 मीटर पहले पार्वती, गणेश व कार्तिक स्वामी की प्रतिमाएं भी हैं.

श्रीखंड महादेव हिमाचल के ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क से सटा है. स्थानीय लोगों के अनुसार, इस चोटी पर भगवान शिव का वास है. इसके शिवलिंग की ऊंचाई 72 फीट है. यहां तक पहुंचने के लिए सुंदर घाटियों के बीच से एक ट्रैक है.

श्रीखंड महादेव के कठिन रास्तों में खच्चर नहीं चल सकता
अमरनाथ यात्रा के दौरान लोग जहां खच्चरों का सहारा लेते हैं. वहीं, श्रीखण्ड महादेव की 35 किलोमीटर की इतनी कठिन चढ़ाई है, जिसपर कोई खच्चर घोड़ा चल ही नहीं सकता. श्रीखण्ड का रास्ता रामपुर बुशहर से जाता है. यहां से निरमण्ड, उसके बाद बागीपुल और आखिर में जांव के बाद पैदल यात्रा शुरू होती है.

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श्रीखण्ड यात्रा

ये भी पढ़ें-श्रीखंड महादेव की यात्रा पर निकले लेफ्टिनेंट कर्नल को किया गया रेस्क्यू, रास्ते में हो गए थे बीमार

क्या है पौराणिक महत्व
श्रीखंड महादेव की पौराणिक मान्यता है कि भस्मासुर राक्षस ने अपनी तपस्या से शिव से वरदान मांगा था कि वे जिस पर भी अपना हाथ रखेगा तो वे भस्म होगा. राक्षसी भाव होने के कारण उसने माता पार्वती से शादी करने की ठान ली इसलिए भस्मापुर ने शिव के ऊपर हाथ रखकर उसे भस्म करने की योजना बनाई, लेकिन भगवान विष्णु ने उसकी मंशा को नष्ट किया.

विष्णु ने माता पार्वती का रूप धारण किया और भस्मासुर को अपने साथ नृत्य करने के लिए राजी किया. नृत्य के दौरान भस्मासुर ने अपने सिर पर ही हाथ रख लिया और भस्म हो गया. आज भी वहां की मिट्टी व पानी दूर से लाल दिखाई देते हैं.

मेडिकल चेकअप के बाद यात्रा की अनुमति
सभी यात्रियों का पंजीकरण किया जाता है और उनसे पंजीकरण शुल्क लिया जाता है. मेडिकल चेकअप के बाद ही श्रद्धालुओं को यात्रा आरंभ करने की अनुमति दी जाती है. यात्रा के दौरान बचाव दल और मेडिकल टीमें हर समय तैनात रहती हैं. पंजीकरण के बगैर किसी भी श्रद्धालु को यात्रा की अनुमति नहीं दी जाती.

preparations completed for shreekhand yatra
श्रीखण्ड यात्रा

श्रीखण्ड यात्रा ट्रस्ट के उपाध्यक्ष एवं एसडीएम आनी ने बताया कि दुनिया की सबसे दुर्गम व रोमांचकारी श्रीखण्ड यात्रा को लेकर प्रशासन द्वारा तैयारियां पूरी की जा चुकी है. उन्होंने बताया कि कल यानी कि सोमवार को सिंहगाड से आनी विधानसभा के विधायक किशोरी लाल सागर यात्रा के पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे. इस दौरान एचपीएमसी के अध्यक्ष अमर ठाकुर भी उनके साथ मौजूद रहेंगे.

एसडीएम आनी चेत सिंह ने बताया कि प्रशासनिक तौर पर ये यात्रा 15 से 25 जुलाई तक चलेगी. जिसके लिए यात्रियों को सिंहगाड में स्थापित बेसकैम्प में अपना पंजीकरण करवाना होगा. प्रति यात्री 150 रुपये पंजीकरण शुल्क निर्धारित किया गया है. उन्होंने बताया कि यात्रियों के स्वास्थ्य की भी जांच की जाएगी. श्रीखण्ड यात्रा में जाने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए कुनशा और भीमडवार नामक स्थान पर भी कैम्प बनाए गए हैं, जहां यात्रियों को पुख्ता सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएगी.

ये भी पढ़ें-बड़ी खबर: सोलन में ढाबे की बिल्डिंग गिरने से 3 की मौत, 6 की हालत गंभीर, मलबे में अभी भी दबे हैं लोग

एसडीएम चेत सिंह ने कहा कि यात्रियों की सुविधा को देखते हुए जगह-जगह अस्थायी शौचालयों व पीने के पानी की भी समुचित व्यवस्था की गई है. यात्रियों को किसी तरह की कोई परेशानी का सामना न करना पड़े इसके लिए अतिरिक्त बसों की भी व्यवस्था की गई है.

एसडीएम ने बताया कि हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी लंगर का आयोजन किया जाएगा. वहीं, निजी टेंट लगवाने वाले यात्रियों को भी तय मूल्य पर ही खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाई जाएगी. वहीं, इस बार यात्रा में बीएसएनएल और जिओ के नेटवर्क की भी उपलब्धता रहेगी. किसी भी तरह की आपदा से निपटने के लिए पुलिस बल, होमगार्ड और रेस्क्यू टीमें तैनात की गई हैं.

एसडीएम ने सभी यात्रियों से यात्रा के दौरान यहां की सुंदरता को बरकरार बनाए रखने को अपील करते हुए स्वच्छता का विशेष ध्यान देने की बात कही. उन्होंने सभी यात्रियों को यात्रा के संदर्भ में अपनी शुभकामनाएं दी हैं और यात्रा के दौरान सावधनी बरतने की बात कही है.

ये भी पढ़ें-ब्यास पुल से कूदे बुजुर्ग का तीसरे दिन भी नहीं मिल पाया कोई सुराग, सर्च ऑपरेशन जारी

कुल्लू: हिमालय की गोद में विराजमान श्रीखंड महादेव के दर्शन करना आसान नहीं है. दुनिया की सबसे दुर्गम धार्मिक यात्राओं में शामिल होने के बावजूद श्रीखंड यात्रा के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यात्रा में पहुंचते हैं. श्रीखंड महादेव जिला कुल्लू के आनी में है, लेकिन निरमंड से होकर ही यहां पहुंचा जा सकता है.

निरमंड से श्रीखंड यात्रा के लिए 32 किलोमीटर की सीधी चढ़ाई श्रद्धालुओं के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होती है. यहां पहुंचने के लिए पैदल ही चलना पड़ता है.

चढ़नी पड़ती है 18570 फीट की ऊंचाई
आमतौर पर कैलाश मानसरोवर की यात्रा सबसे कठिन व दुर्गम धार्मिक यात्रा मानी जाती है. उसके बाद अमरनाथ यात्रा, लेकिन हिमाचल प्रदेश के श्रीखंड महादेव की यात्रा अमरनाथ यात्रा से भी ज्यादा कठिन है. अमरनाथ यात्रा में जहां लोगों को करीब 14000 फीट की चढ़ाई करनी पड़ती है. वहीं, श्रीखंड महादेव के दर्शन के लिए यात्रियों को 18570 फीट की ऊंचाई पर चढ़ना होता है. यहां पहुंचने का रास्ता भी बेहद खतरनाक है.

preparations completed for shreekhand yatra
श्रीखण्ड यात्रा

ये भी पढ़ें-स्वच्छ भारत मिशन में सर्वेक्षण करवाने के नाम पर ठगी, मामला दर्ज

सुंदर घाटियों के बीच से गुजरता है ट्रैक
18 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित श्रीखंड यात्रा के दौरान सांस लेने के लिए ऑक्सीजन की भी कमी पड़ती है. श्रीखंड जाते समय करीब एक दर्जन धार्मिक स्थल व देव शिलाएं हैं. श्रीखंड में भगवान शिव का शिवलिंग है. श्रीखंड से करीब 50 मीटर पहले पार्वती, गणेश व कार्तिक स्वामी की प्रतिमाएं भी हैं.

श्रीखंड महादेव हिमाचल के ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क से सटा है. स्थानीय लोगों के अनुसार, इस चोटी पर भगवान शिव का वास है. इसके शिवलिंग की ऊंचाई 72 फीट है. यहां तक पहुंचने के लिए सुंदर घाटियों के बीच से एक ट्रैक है.

श्रीखंड महादेव के कठिन रास्तों में खच्चर नहीं चल सकता
अमरनाथ यात्रा के दौरान लोग जहां खच्चरों का सहारा लेते हैं. वहीं, श्रीखण्ड महादेव की 35 किलोमीटर की इतनी कठिन चढ़ाई है, जिसपर कोई खच्चर घोड़ा चल ही नहीं सकता. श्रीखण्ड का रास्ता रामपुर बुशहर से जाता है. यहां से निरमण्ड, उसके बाद बागीपुल और आखिर में जांव के बाद पैदल यात्रा शुरू होती है.

preparations completed for shreekhand yatra
श्रीखण्ड यात्रा

ये भी पढ़ें-श्रीखंड महादेव की यात्रा पर निकले लेफ्टिनेंट कर्नल को किया गया रेस्क्यू, रास्ते में हो गए थे बीमार

क्या है पौराणिक महत्व
श्रीखंड महादेव की पौराणिक मान्यता है कि भस्मासुर राक्षस ने अपनी तपस्या से शिव से वरदान मांगा था कि वे जिस पर भी अपना हाथ रखेगा तो वे भस्म होगा. राक्षसी भाव होने के कारण उसने माता पार्वती से शादी करने की ठान ली इसलिए भस्मापुर ने शिव के ऊपर हाथ रखकर उसे भस्म करने की योजना बनाई, लेकिन भगवान विष्णु ने उसकी मंशा को नष्ट किया.

विष्णु ने माता पार्वती का रूप धारण किया और भस्मासुर को अपने साथ नृत्य करने के लिए राजी किया. नृत्य के दौरान भस्मासुर ने अपने सिर पर ही हाथ रख लिया और भस्म हो गया. आज भी वहां की मिट्टी व पानी दूर से लाल दिखाई देते हैं.

मेडिकल चेकअप के बाद यात्रा की अनुमति
सभी यात्रियों का पंजीकरण किया जाता है और उनसे पंजीकरण शुल्क लिया जाता है. मेडिकल चेकअप के बाद ही श्रद्धालुओं को यात्रा आरंभ करने की अनुमति दी जाती है. यात्रा के दौरान बचाव दल और मेडिकल टीमें हर समय तैनात रहती हैं. पंजीकरण के बगैर किसी भी श्रद्धालु को यात्रा की अनुमति नहीं दी जाती.

preparations completed for shreekhand yatra
श्रीखण्ड यात्रा

श्रीखण्ड यात्रा ट्रस्ट के उपाध्यक्ष एवं एसडीएम आनी ने बताया कि दुनिया की सबसे दुर्गम व रोमांचकारी श्रीखण्ड यात्रा को लेकर प्रशासन द्वारा तैयारियां पूरी की जा चुकी है. उन्होंने बताया कि कल यानी कि सोमवार को सिंहगाड से आनी विधानसभा के विधायक किशोरी लाल सागर यात्रा के पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे. इस दौरान एचपीएमसी के अध्यक्ष अमर ठाकुर भी उनके साथ मौजूद रहेंगे.

एसडीएम आनी चेत सिंह ने बताया कि प्रशासनिक तौर पर ये यात्रा 15 से 25 जुलाई तक चलेगी. जिसके लिए यात्रियों को सिंहगाड में स्थापित बेसकैम्प में अपना पंजीकरण करवाना होगा. प्रति यात्री 150 रुपये पंजीकरण शुल्क निर्धारित किया गया है. उन्होंने बताया कि यात्रियों के स्वास्थ्य की भी जांच की जाएगी. श्रीखण्ड यात्रा में जाने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए कुनशा और भीमडवार नामक स्थान पर भी कैम्प बनाए गए हैं, जहां यात्रियों को पुख्ता सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएगी.

ये भी पढ़ें-बड़ी खबर: सोलन में ढाबे की बिल्डिंग गिरने से 3 की मौत, 6 की हालत गंभीर, मलबे में अभी भी दबे हैं लोग

एसडीएम चेत सिंह ने कहा कि यात्रियों की सुविधा को देखते हुए जगह-जगह अस्थायी शौचालयों व पीने के पानी की भी समुचित व्यवस्था की गई है. यात्रियों को किसी तरह की कोई परेशानी का सामना न करना पड़े इसके लिए अतिरिक्त बसों की भी व्यवस्था की गई है.

एसडीएम ने बताया कि हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी लंगर का आयोजन किया जाएगा. वहीं, निजी टेंट लगवाने वाले यात्रियों को भी तय मूल्य पर ही खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाई जाएगी. वहीं, इस बार यात्रा में बीएसएनएल और जिओ के नेटवर्क की भी उपलब्धता रहेगी. किसी भी तरह की आपदा से निपटने के लिए पुलिस बल, होमगार्ड और रेस्क्यू टीमें तैनात की गई हैं.

एसडीएम ने सभी यात्रियों से यात्रा के दौरान यहां की सुंदरता को बरकरार बनाए रखने को अपील करते हुए स्वच्छता का विशेष ध्यान देने की बात कही. उन्होंने सभी यात्रियों को यात्रा के संदर्भ में अपनी शुभकामनाएं दी हैं और यात्रा के दौरान सावधनी बरतने की बात कही है.

ये भी पढ़ें-ब्यास पुल से कूदे बुजुर्ग का तीसरे दिन भी नहीं मिल पाया कोई सुराग, सर्च ऑपरेशन जारी

Intro:कुल्लू
दुनिया की सबसे दुर्गम धार्मिक यात्रा कल से: चेत सिंह,एसडीएम आनीBody:
हिमालय की गोद में बसा श्रीखंड महादेव

हिमालय की गोद में विराजमान श्रीखंड महादेव के दर्शन करना आसान नहीं है। यह जिला कुल्लू के आनी में है लेकिन निरमंड से होकर ही यहां पहुंचा जा सकता है। यहां पहुंचने के लिये पैदल ही चलना पड़ता है। दुनिया की सबसे दुर्गम धार्मिक यात्राओं में शामिल होने के बावजूद श्रीखंड यात्रा के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यात्रा में पहुंचते हैं। कुल्लू जिला के आनी में यह इलाका है। निरमंड से श्रीखंड यात्रा के लिए 32 किलोमीटर की सीधी चढ़ाई श्रद्धालुओं के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होती है।

चढ़नी पड़ती है 18570 फीट की ऊंचाई :
आम तौर पर कैलाश मानसरोवर की यात्रा सबसे कठिन व दुर्गम धार्मिक यात्रा मानी जाती है। उसके बाद किसी का नंबर आता है तो वो है अमरनाथ यात्रा, लेकिन हिमाचल प्रदेश के श्रीखंड महादेव की यात्रा अमरनाथ यात्रा से भी ज्यादा कठिन है। अमरनाथ यात्रा में जहां लोगों को करीब 14000 फीट की चढ़ाई करनी पड़ती है तो श्रीखंड महादेव के दर्शन के लिए 18570 फीट की ऊचाई पर चढ़ना होता है और यहां पहुंचने का रास्ता भी बेहद खतरनाक है। अमरनाथ से भी कठिन श्री खंड महादेव की इस यात्रा में रूह कांप जाती है।

सुंदर घाटियों के बीच से गुजरता है ट्रैक:
18 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित श्रीखंड यात्रा के दौरान सांस लेने के लिए ऑक्सीजन की भी कमी पडती है। श्रीखंड जाते समय करीब एक दर्जन धार्मिक स्थल व देव शिलाएं हैं। श्रीखंड में भगवान शिव का शिवलिंग हैं। श्रीखंड से करीब 50 मीटर पहले पार्वती, गणेश व कार्तिक स्वामी की प्रतिमाएं भी हैं। श्रीखंड महादेव हिमाचल के ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क से सटा है। स्थानीय लोगों के अनुसार, इस चोटी पर भगवान शिव का वास है। इसके शिवलिंग की ऊंचाई 72 फीट है। यहां तक पहुंचने के लिए सुंदर घाटियों के बीच से एक ट्रैक है।

श्रीखंड महादेव के कठिन रास्तों में खच्चर नहीं चल सकता:
अमरनाथ यात्रा के दौरान लोग जहां खच्चरों का सहारा लेते हैं। वहीं, श्रीखण्ड महादेव की 35 किलोमीटर की इतनी कठिन चढ़ाई है, जिसपर कोई खच्चर घोड़ा चल ही नहीं सकता। श्रीखण्ड का रास्ता रामपुर बुशैहर से जाता है। यहां से निरमण्ड, उसके बाद बागीपुल और आखिर में जांव के बाद पैदल यात्रा शुरू होती है।

क्या है पौराणिक महत्व:
श्री खंड महादेव की पौराणिक मान्यता है कि भस्मासुर राक्षस ने अपनी तपस्या से शिव से वरदान मांगा था कि वह जिस पर भी अपना हाथ रखेगा तो वह भस्म होगा। राक्षसी भाव होने के कारण उसने माता पार्वती से शादी करने की ठान ली इसलिए भस्मापुर ने शिव के ऊपर हाथ रखकर उसे भस्म करने की योजना बनाई लेकिन भगवान विष्णु ने उसकी मंशा को नष्ट किया। विष्णु ने माता पार्वती का रूप धारण किया और भस्मासुर को अपने साथ नृत्य करने के लिए राजी किया। नृत्य के दौरान भस्मासुर ने अपने सिर पर ही हाथ रख लिया और भस्म हो गया। आज भी वहां की मिट्टी व पानी दूर से लाल दिखाई देते हैं।

मेडिकल चेकअप के बाद यात्रा की अनुमति:
सभी यात्रियों का पंजीकरण किया जाएगा और उनसे पंजीकरण शुल्क लिया जाएगा। मेडिकल चेकअप के बाद ही श्रद्धालुओं को यात्रा आरंभ करने की अनुमति दी जाती है। यात्रा के दौरान बचाव दल और मेडिकल टीमें हर समय तैनात रहती है। पंजीकरण के बगैर किसी भी श्रद्धालु को यात्रा की अनुमति नहीं दी जाती।

यात्रा को लेकर तमाम तैयारियां पूर्ण:चेत सिंह,उपाध्यक्ष श्रीखण्ड यात्रा ट्रस्ट व एसडीएम

श्रीखण्ड यात्रा ट्रस्ट के उपाध्यक्ष एवं एसडीएम आनी ने बताया कि दुनिया की सबसे दुर्गम व रोमांचकारी श्रीखण्ड यात्रा को लेकर प्रशासन द्वारा तैयारियां पूरी जी जा चुकी है । उन्होंने बताया कि कल यानि कि सोमवार को सिंहगाड से आनी विधानसभा के विधायक किशोरी लाल सागर यात्रा के पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे । इस दौरान एचपीएमसी के अध्यक्ष अमर ठाकुर भी उनके साथ मौजूद रहेंगे । एसडीएम आनी चेत सिंह ने बताया कि प्रशासनिक तौर पर यह यात्रा 15 से 25 जुलाई तक चलेगी । जिसके लिए यात्रियों को सिंहगाड में स्थापित बेसकैम्प में अपना पंजीकरण करवाना होगा । प्रति यात्री 150/-पंजीकरण शुल्क निर्धारित किया गया है । उन्होंने बताया कि यात्रियों के स्वास्थ्य की भी जांच की जाएगी । श्रीखण्ड यात्रा में जाने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए कुनशा और भीमडवार नामक स्थान पर भी कैम्प बनाए गए हैं जहां यात्रियों को पुख़्ता सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएगी ।
एसडीएम चेत सिंह ने कहा कि यात्रियों की सुविधा को देखते हुए जगह जगह अस्थायी शौचालयों व पीने के पानी की भी समुचित व्यवस्था की गई है । यात्रियों को किसी तरह की कोई परेशानी का सामना न करना पड़े इसके लिए अतिरिक्त बसों की भी व्यवस्था की गई है ।
उन्होंने बताया कि हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी लंगर का आयोजन किया जाएगा । वहीं निजी टेंट लगवाने वाले यात्रियों को भी तय मूल्य पर ही खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाई जाएगी । वहीं इस मर्तबा यात्रा में बीएसएनएल और जिओ के नेटवर्क की भी उपलब्धता रहेगी । किसी भी तरह की आपदा से निपटने के लिए पुलिसबल,होमगार्ड और रेस्क्यू टीमें तैनात की गई है ।
Conclusion:उन्होंने सभी यात्रियों से यात्रा के दौरान यहां की सुंदरता को बरकरार बनाए रखने को अपील करते हुए स्वच्छता का विशेष ध्यान देने की बात कही । उन्होंने सभी यात्रियों को यात्रा के संदर्भ में अपनी शुभकामनाएँ दी है और यात्रा के दौरान सावधनी बरतने की बात कही ।
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