कुल्लूः दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र के नाम से मशहूर मलाणा गांव कोरोना वायरस को बाहर रखने में कामयाब रहा है. मलाणा पार्वती घाटी के प्राकृतिक रूप से एकांत में एक छोर पर स्थित है, यह हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में लगभग 2,350 की आबादी के साथ सबसे बड़ा गांव है.
मलाणा ने हमेशा से ही उत्साहपूर्वक अपने एकांत की रक्षा की है और कई वर्षों पहले ही बाहरी लोगों के लिए इसे खोल दिया है, लेकिन महामारी के इस समय में ग्रामीण एक बार फिर पुरानी आदत के पैटर्न में वापस आ गए हैं और पिछले मार्च से बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी है. यही कारण है कि मलाणा गांव में अभी तक कोरोना का एक भी मामला सामने नहीं आया है.
मलाणा गांव को छू भी नहीं पाई कोरोना महामारी
आधुनिकता के दौर में दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र वाले मलाणा गांव का आज भी अपना ही कानून है. समूचे हिमाचल प्रदेश समेत देश-विदेश में जहां कोरोना महामारी से हाहाकार मचा हुआ है, वहीं, कुल्लू जिले के इस गांव को आज तक कोरोना महामारी छू भी नहीं पाई है. कोरोना काल के अब तक के करीब 15 महीनों में इस गांव में एक भी कोरोना का मामला सामने नहीं आया है.
कड़े नियमों की वजह से अब तक कोरोना का कोई मामला नहीं आया
कोरोना काल में मलाणा के लोगों ने बाहरी लोगों और पर्यटकों पर इस गांव में आने पर रोक लगा रखी है. 2,350 आबादी वाले इस गांव में देवता जमलू (जमदग्नि ऋषि) का कानून चलता है. गुर के माध्यम से जो देवता जमलू आदेश देते हैं, उसी को माना जाता है. यहां के बाशिंदे खुद को सिकंदर का वंशज मानते हैं. आसपास के गांवों के लोगों से भी यहां के लोग गांव के मुख्य गेट के बाहर ही मिलते हैं. पिछले अप्रैल से गांव में बाहरी लोगों को प्रवेश नहीं है. जाहिर है मलाणा वासी एक बड़े परिवार की तरह एक साथ रहते हैं. ऐसे में यहां संक्रमण फैलने का खतरा भी है लेकिन इसके बावजूद गांव वालों ने कुछ कड़े फैसले लिए जिससे गांव में अभी तक एक भी पॉजिटिव केस नहीं आया.
मुख्य गेट पर प्रतिदिन 4 लोग देते हैं पहरा
मलाणा गांव के प्रधान राजू राम ने बताया कि मलाणा पर जमलू ऋषि की असीम कृपा है. गांव में पर्यटकों के साथ साथ किसी भी बाहरी व्यक्ति के प्रवेश पर पाबंदी लगाई गई है. गांव को आने वाले मुख्य गेट पर प्रतिदिन 4 लोग पहरा देते हैं. उन्होंने बताया कि गांव के लोगों को खास कार्यों से ही गांव से बाहर जाने की अनुमति है. यही कारण है की मलाणा गांव में कोरोना का एक भी मामला सामने नहीं आया है.
मलाणा में बाहरी लोगों के प्रवेश निषेध
स्थानीय निवासी ने कहा कि हजारों साल पहले समूचे गांव में बीमारी फैल गई थी. इसी के बाद मलाणा में बाहरी लोगों के प्रवेश बिल्कुल निषेध कर दिया गया था. आज भी उसी परंपरा को निभाते हुए बाहरी व्यक्ति को छूते नहीं है. यहां तक कि बाहरी व्यक्ति को यहां की दुकान से सामान लेना होता है तो वह रुपये को जमीन पर रखेगा, जिसके बाद बिना छुए दुकानदार उसे सामान देगा. लोगों का कहना है कि देवता जमलू ऋषि की कृपा से अभी तक यहां सभी लोग सुरक्षित हैं.
गेस्ट हाउस में किसी को ठहराने की अनुमति नहीं
मलाणा गांव के पूर्व प्रधान भागी राम ने बताया कि गांव की आबादी 2350 है. यहां घर बिल्कुल साथ-साथ हैं. ऐसे में अगर कोरोना संक्रमण यहां पहुंचता है तो संक्रमण समूचे गांव को तेजी से अपनी चपेट में ले लेगा. हालांकि देवता जमलू ऋषि ने भी पर्यटकों सहित सभी बाहरी लोगों को गांव से बाहर रखे के लिए आदेश दिए हैं. साथ ही यहां कैम्पिंग या गेस्ट हाउस चलाने वालों को किसी को ना ठहराने के निर्देश दिए गए हैं.
कड़े नियमों की वजह से अब तक कोरोना का कोई मामला नहीं
आसपास के गांवों के लोगों से भी यहां के लोग गांव के मुख्य गेट के बाहर ही मिलते हैं. पिछले साल अप्रैल महीने से गांव में बाहरी लोगों को प्रवेश नहीं है. मलाणा पंचायत के पूर्व प्रधान भागी राम और उपप्रधान राम जी ने कहा कि गांव में अभी तक कोरोना का कोई केस नहीं आया है. लोग अपने स्तर पर कोरोना से निपट रहे हैं और उन पर देवता जमलू का पूरा आशीर्वाद है. पंचायत प्रधान राजू राम ने कहा कि कोरोना काल में गांव के लोग भी किसी आपात स्थिति में ही गांव से बाहर निलते हैं जबकि बाहरी लोगों का गांव के प्रवेश प्रतिबंधित है.
क्या है मलाणा गांव का इतिहास
कहा जाता है कि महान शासक सिकंदर अपनी फौज के साथ मलाणा क्षेत्र में आया था. भारत के कई क्षेत्रों पर जीत हासिल करने और राजा पोरस से युद्ध के बाद सिकंदर के कई वफादार सैनिक जख्मी हो गए थे. सिकंदर खुद भी थक गया था और वह घर वापस जाना चाहता था लेकिन ब्यास तट पार कर जब सिकंदर यहां पहुंचा तो उसे इस क्षेत्र का शांत वातावरण बेहद पसंद आया. वह कई दिन यहां ठहरा. जब वह वापस गया तो उसके कुछ सैनिक यहीं ठहर गए और बाद में उन्होंने यहीं अपने परिवार बनाकर यहां गांव बसा दिया.
इस गांव में यदि कोई अपराध करता है तो उसे सजा कानून नहीं बल्कि देवता जमलू देते हैं. देवता गूर के माध्यम से अपना आदेश सुनाते हैं. भारत का कोई भी कानून या पुलिस राज यहां नहीं चलता. अपनी इसी खास परंपरा, रीति-रिवाज और कानून के चलते इस गांव को दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र कहा जाता है.
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