ETV Bharat / state

Magh Purnima 2023: 5 फरवरी को होगा माघ पूर्णिमा का स्नान, चंद्रमा की आराधना से मिलेगा विशेष फल

author img

By

Published : Feb 3, 2023, 1:58 PM IST

माघ पूर्णिमा 5 फरवरी 2023 को मनाई जाएगी. इसे माघी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. माघ पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा से मनुष्य का समस्त संसार पर आधिपत्य होता है. कैसे इस दिन पूजा करें और इस पूर्णिमा का क्या महत्व है जानें...(magh purnima 2023) (magh purnima puja vidhi) (maghi purnima puja benefits)

magh purnima 2023
magh purnima 2023

कुल्लू: सनातन धर्म में हर माह में ही विशेष त्योहार व पर्व का उल्लेख किया गया है. तो वहीं, माघ माह को सभी माह में सर्वश्रेष्ठ माना गया है. क्योंकि माघ मास में दान करने से उसका पुण्य हजारों गुना बढ़ जाता है. ऐसे में माघ माह की पूर्णिमा तिथि बहुत खास मानी जाती है. जिसे माघी पूर्णिमा कहा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस पूर्णिमा को देवतागण पृथ्वी लोक पर भ्रमण करने आते हैं. इसलिए इसका साल भर आने वाली पूर्णिमा से ज्यादा महत्व माना जाता है. माघ पूर्णिमा के दिन स्नान और दान का काफी महत्व होता है. यह माना जाता है कि माघी पूर्णिमा पर पवित्र स्नान करने से सूर्य और चंद्रमा से जुड़ी सभी कठिनाइयां दूर हो जाती हैं

कब है माघ पूर्णिमा: हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ पूर्णिमा 4 फरवरी शनिवार को रात 9 बजकर 29 मिनट पर शुरू होगी और 5 फरवरी रविवार को रात 11 बजकर 58 मिनट पर समापन होगा. लेकिन ज्योतिष के अनुसार हमेशा उदया तिथि मान्य होती है. इसलिए माघ पूर्णिमा 5 फरवरी को ही मनाई जाएगी. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग की शुरुआत सुबह 7 बजकर 7 मिनट से होगी और यह योग दोपहर 12 बजकर 13 मिनट तक रहेगा. इसके साथ ही 5 फरवरी के दिन पुष्य और अश्लेषा नक्षत्र का निर्माण भी हो रहा है, जो कि माघ पूर्णिमा को और भी खास बना रहे हैं.

चंद्रमा की पूजा करने से मिलेगा ये फल: मान्यता है कि माघ पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा से मनुष्य का समस्त संसार पर आधिपत्य होता है. खासकर संतान के उत्तम स्वास्थ के लिए पूर्णिमा का व्रत बहुत महत्वपूर्ण है. कहते हैं जो बच्चे अक्सर सर्दी जुकाम, निमोनिया आदि रोगों से ग्रसित रहते हैं. उनकी माताओं को सालभर पूर्णिमा का व्रत करना चाहिए. मान्यता है इससे संतान की सेहत को लाभ मिलता है. माघ पूर्णिमा के दिन कुछ खास काम करने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है.

चंद्रमा की रोशनी देखने से मिलेगा ये लाभ: धार्मिक मान्यता है कि माघ पूर्णिमा की रात चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद अपनी चांद की रोशनी में मां को प्रणाम करें और फिर माता के हाथ से थोड़े से चावल लेकर अपने धन स्थान पर रख दें. मान्यता है इससे व्यक्ति करियर में बहुत तरक्की करता है. वहीं, माघ पूर्णिमा पर जिन लोगों की बौद्धिक क्षमता कम है उन्हें 5 मिनट तक चंद्रमा की रोशनी को ध्यान से देखना चाहिए. कहते हैं पूर्णिमा पर चांद 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है. ये उपाय करने पर व्यक्ति की स्मरण शक्ति तेज होती है और बुद्धि का विकास होता है.

मां लक्ष्मी की पूजा और सत्यनारायण की करें कथा : माघ पूर्णिमा के दिन भक्त घी का अखंड दीपक लगाएं और फिर भगवान सत्यनारायण की कथा करें. मान्यता है इससे घर में लक्ष्मी का वास होता है और आर्थिक संपन्नता में वृद्धि होती है. कथा के बाद ब्राह्मण को भोजन जरुर करना चाहिए. माघी पूर्णिमा पर श्रीहरि की पूजा के बाद दान करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और वैवाहिक जीवन की परेशानियों का अंत होता है.

इस तरह करें माघ पूर्णिमा के दिन पूजा, इस मंत्र का भी करें जाप-

  • माघ पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान करना चाहिए.
  • यदि गंगा स्नान संभव ना हो तो पानी में गंगा जल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं.
  • स्नान के बाद "ऊं नमो नारायण:" मंत्र का जाप करें.
  • फिर सूर्य देव को अर्घ्य दें और सूर्य भगवान की उपासना करें.
  • इसके बाद पूजा शुरू करें और भोग में चरणामृत, पान, तिल, मौली, रोली, फल, फूल, कुमकुम, पंचगव्य, सुपारी, दूर्वा आदि चीजें अर्पित करें.
  • अंत में आरती करें और इस दिन चंद्रमा के स्त्रोत का पाठ भी करना चाहिए.

ये भी पढ़ें: जानें शालिग्राम शिला से ही क्यों बनाई जा रही है भगवान राम की मूर्ति

कुल्लू: सनातन धर्म में हर माह में ही विशेष त्योहार व पर्व का उल्लेख किया गया है. तो वहीं, माघ माह को सभी माह में सर्वश्रेष्ठ माना गया है. क्योंकि माघ मास में दान करने से उसका पुण्य हजारों गुना बढ़ जाता है. ऐसे में माघ माह की पूर्णिमा तिथि बहुत खास मानी जाती है. जिसे माघी पूर्णिमा कहा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस पूर्णिमा को देवतागण पृथ्वी लोक पर भ्रमण करने आते हैं. इसलिए इसका साल भर आने वाली पूर्णिमा से ज्यादा महत्व माना जाता है. माघ पूर्णिमा के दिन स्नान और दान का काफी महत्व होता है. यह माना जाता है कि माघी पूर्णिमा पर पवित्र स्नान करने से सूर्य और चंद्रमा से जुड़ी सभी कठिनाइयां दूर हो जाती हैं

कब है माघ पूर्णिमा: हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ पूर्णिमा 4 फरवरी शनिवार को रात 9 बजकर 29 मिनट पर शुरू होगी और 5 फरवरी रविवार को रात 11 बजकर 58 मिनट पर समापन होगा. लेकिन ज्योतिष के अनुसार हमेशा उदया तिथि मान्य होती है. इसलिए माघ पूर्णिमा 5 फरवरी को ही मनाई जाएगी. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग की शुरुआत सुबह 7 बजकर 7 मिनट से होगी और यह योग दोपहर 12 बजकर 13 मिनट तक रहेगा. इसके साथ ही 5 फरवरी के दिन पुष्य और अश्लेषा नक्षत्र का निर्माण भी हो रहा है, जो कि माघ पूर्णिमा को और भी खास बना रहे हैं.

चंद्रमा की पूजा करने से मिलेगा ये फल: मान्यता है कि माघ पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा से मनुष्य का समस्त संसार पर आधिपत्य होता है. खासकर संतान के उत्तम स्वास्थ के लिए पूर्णिमा का व्रत बहुत महत्वपूर्ण है. कहते हैं जो बच्चे अक्सर सर्दी जुकाम, निमोनिया आदि रोगों से ग्रसित रहते हैं. उनकी माताओं को सालभर पूर्णिमा का व्रत करना चाहिए. मान्यता है इससे संतान की सेहत को लाभ मिलता है. माघ पूर्णिमा के दिन कुछ खास काम करने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है.

चंद्रमा की रोशनी देखने से मिलेगा ये लाभ: धार्मिक मान्यता है कि माघ पूर्णिमा की रात चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद अपनी चांद की रोशनी में मां को प्रणाम करें और फिर माता के हाथ से थोड़े से चावल लेकर अपने धन स्थान पर रख दें. मान्यता है इससे व्यक्ति करियर में बहुत तरक्की करता है. वहीं, माघ पूर्णिमा पर जिन लोगों की बौद्धिक क्षमता कम है उन्हें 5 मिनट तक चंद्रमा की रोशनी को ध्यान से देखना चाहिए. कहते हैं पूर्णिमा पर चांद 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है. ये उपाय करने पर व्यक्ति की स्मरण शक्ति तेज होती है और बुद्धि का विकास होता है.

मां लक्ष्मी की पूजा और सत्यनारायण की करें कथा : माघ पूर्णिमा के दिन भक्त घी का अखंड दीपक लगाएं और फिर भगवान सत्यनारायण की कथा करें. मान्यता है इससे घर में लक्ष्मी का वास होता है और आर्थिक संपन्नता में वृद्धि होती है. कथा के बाद ब्राह्मण को भोजन जरुर करना चाहिए. माघी पूर्णिमा पर श्रीहरि की पूजा के बाद दान करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और वैवाहिक जीवन की परेशानियों का अंत होता है.

इस तरह करें माघ पूर्णिमा के दिन पूजा, इस मंत्र का भी करें जाप-

  • माघ पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान करना चाहिए.
  • यदि गंगा स्नान संभव ना हो तो पानी में गंगा जल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं.
  • स्नान के बाद "ऊं नमो नारायण:" मंत्र का जाप करें.
  • फिर सूर्य देव को अर्घ्य दें और सूर्य भगवान की उपासना करें.
  • इसके बाद पूजा शुरू करें और भोग में चरणामृत, पान, तिल, मौली, रोली, फल, फूल, कुमकुम, पंचगव्य, सुपारी, दूर्वा आदि चीजें अर्पित करें.
  • अंत में आरती करें और इस दिन चंद्रमा के स्त्रोत का पाठ भी करना चाहिए.

ये भी पढ़ें: जानें शालिग्राम शिला से ही क्यों बनाई जा रही है भगवान राम की मूर्ति

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.