कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में लंपी रोग जहां पशुपालकों के लिए परेशानी का कारण बन रहा है तो वहीं कई मवेशी भी लंपी रोग की भेंट चढ़ चुके हैं. ऐसे में जिला कुल्लू में भी लंपी वायरस से अब तक 11 पशुओं की मौत हो चुकी है. वहीं, पशुपालन विभाग कुल्लू से मिली जानकारी के अनुसार अब तक जिला कुल्लू में 139 पशु लंपी वायरस से संक्रमित हो चुके हैं. इनमें से 65 पशु ठीक हो चुके हैं, लेकिन 63 पशु अभी भी लंपी बीमारी से ग्रस्त हैं. ऐसे में पशुपालकों में परेशानी का माहौल बना हुआ है. (Lampy virus in himachal)
जिला कुल्लू के भुंतर, सैंज, बजौरा, बंजार और आनी के कई इलाकों में भी पशुओं में लंपी संक्रमण फैला हुआ है. पशुपालकों का कहना है कि उन्हें समय पर अपने मवेशियों के लिए वैक्सीन नहीं मिल पा रही है, जिसके चलते भी मवेशियों में रोग फैलने का अंदेशा बना हुआ है. पशुपालकों ने पशुपालन विभाग से मांग की है कि उनके पशुओं का समय रहते टीकाकरण किया जाए. ताकि लंपी रोग ज्यादा न फैल सके.
वहीं, पशुपालन विभाग कुल्लू की सीनियर वेटरनरी अधिकारी आशा ठाकुर का कहना है कि जिले में अब तक 139 पशुओं में यह रोग फैल चुका है. उन्होंने कहा कि इसमें से 65 पशु ठीक हो चुके हैं. वहीं, जिले में बीमार पशुओं का इलाज पशु पालन विभाग के द्वारा किया जा रहा है. आशा ठाकुर का कहना है कि विभाग को जहां से भी रोग के फैलने की सूचना मिलती है तो तुरंत विभाग के कर्मचारी मौके पर पहुंचकर पशुओं का उपचार शुरू कर देते हैं. उन्होंने बताया कि जिला कुल्लू में 20,000 पशुओं का वैक्सीनेशन किया जा चुका है और आने वाले 3 दिनों में 40,000 पशुओं का वैक्सीनेशन और किया जाएगा.
डीसी कुल्लू आशुतोष गर्ग ने बताया कि लंपी रोग को लेकर पशुपालन विभाग पूरी तरह से सतर्क है और पशुओं की वैक्सीनेशन भी की जा रही है. इसके अलावा विभाग के कर्मचारी भी गांव-गांव जाकर प्रभावित पशुओं का उपचार कर रहे हैं और विभाग को भी इस बारे उचित दिशा निर्देश जारी किए गए हैं. (DC Kullu Ashutosh Garg on Lampy virus)
लंपी वायरस से ऐसे बचाएं अपने पशुओं को: राज्य सरकार इस वायरस पर नियंत्रण पाने के प्रयास कर रही है, लेकिन फिलहाल अभी तक इस पर पूरी तरह से काबू में नहीं पाया जा सका है. सरकार ने पशुपालकों से अपील की है कि वे जागरूकता बरतते हुए अपनी गायों को इस वायरस की चपेट में आने से बचाएं. ऐसे में एहतियात बरतना बेहद जरूरी है. (Lumpy Skin Disease Vaccine) (Symptoms of lumpy virus)
बचाव ही इलाज है:
- इस बीमारी के प्रारंभिक लक्षण नजर आने पर पशुओं को दूसरे जानवरों से अलग कर दें. इलाज के लिए नजदीकी पशु चिकित्सा केन्द्र से संपर्क करें.
- बीमार पशु को चारा पानी और दाने की व्यवस्था अलग बर्तनों में करें.
- रोग ग्रस्त क्षेत्रों में पशुओं की आवाजाही रोकें.
- जहां ऐसे पशु हों, वहां नीम के पत्तों को जलाकर धुआं करें, जिससे मक्खी, मच्छर आदि को भगाया जा सके.
- पशुओं के रहने वाली जगह की दीवारों में आ रही दरार या छेद को चूने से भर दें. इसके साथ कपूर की गोलियां भी रखी जा सकती हैं, इससे मक्खी, मच्छर दूर रहते हैं.
- जानवरों को बैक्टीरिया फ्री करने के लिए सोडियम हाइपोक्लोराइट के 2 से 3 फीसदी घोल का छिड़काव करें.
- मरने वाले जानवरों के संपर्क में रही वस्तुओं और जगह को फिनाइल और लाल दवा आदि से साफ कर दें.
- संक्रामक रोग से मृत पशु को गांव के बाहर लगभग डेढ़ मीटर गहरे गड्ढे में चूने या नमक के साथ दफनाएं.
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