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Devta Shamshari Mahadev: आखिर क्यों शगागी पहुंचने पर शमशरी महादेव पर फेंकी जाती है बिच्छू बूटी, जानें क्या है मान्यता?

कुल्लू जिले के उपमंडल आनी के आराध्य एवं गडपती शमशरी महादेव जतराला मेले के चलते 7 साल के अंतराल के बाद अपने अधिकार क्षेत्र के 45 गांवों के दौरे पर हैं. देवता शमशरी महादेव का दौरा 13 अगस्त से शुरू हुआ है जो कि 23 सितंबर को समाप्त होगा. इस दौरान शगागी क्षेत्र में देवता के पहुंचने पर लोगों ने देवता शमशरी महादेव पर बिच्छू बूटी, आटा और घास फेंका. (Devta Shamshari Mahadev) (Devta Shamshari Mahadev on Anni Visit)

Devta Shamshari Mahadev
देवता शमशरी महादेव
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 11, 2023, 7:10 AM IST

Updated : Sep 11, 2023, 7:45 AM IST

शगागी पहुंचने पर शमशरी महादेव पर फेंकी जाती है बिच्छू बूटी

रामपुर: कुल्लू जिले के उपमंडल आनी के आराध्य एवं गडपती शमशरी महादेव जतराला मेले के चलते क्षेत्र के दौरे पर हैं. इस दौरे के दौरान देवता से जुड़ी कई ऐतिहासिक मान्यताएं और परंपराएं भी सामने आ रही हैं. शनिवार को देवता शमशरी महादेव कोहिला से खुन्न के लिए रवाना हुए और रविवार को खुन्न के साथ लगते क्षेत्र शगागी पहुंचे. यहां पहुंचने पर देवता की मान्यता से जुड़ी एक ऐतिहासिक परंपरा देखने को मिली.

बिच्छू बूटी फेंककर शमशरी महादेव का स्वागत: शगागी क्षेत्र पहुंचने पर देवता शमशरी महादेव व उनके भक्तों के ऊपर शगागी वासियों द्वारा बिच्छू बूटी, मिट्टी के ठेलों (जिन्हें स्थानीय भाषा में जेबड़ा कहा जाता है), आटे की आरी, कुंगशी से हमला करते हैं. वहां मौजूद लोगों द्वारा इस ऐतिहासिक पल को कैमरों में कैद किया गया. देवता शमशरी महादेव से जुड़ी ये एक बेहद रोचक मान्यता है, जिसके तहत लोग देवता के क्षेत्र में पहुंचने पर उन पर हमला करते हैं.

हमले के पीछे की वजह: मिली जानकारी और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शगागी क्षेत्र कभी मलाणा गांव के प्रसिद्ध देवता जमलू का हुआ करता था. ग्रामीणों के अनुसार यहां के लोग भी देवता जमलू को ही मानते थे. उनके सानिध्य में जतराला या अन्य मेलों का आयोजन होता था. फिर एक दिन शमशरी महादेव यहां पहुंचे और इस क्षेत्र पर कब्जा करके इसे अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया.

देवता के अधिकार को रोकने की कोशिश: जिस समय देवता शमशरी महादेव ने शगागी क्षेत्र पर अधिकार जमाया, उस वक्त सुबह सवेरे गांव की औरतें खाना बनाने के लिए आटा गूंथ रही थी. जब उन्हें पता चलता है की शमशरी महादेव क्षेत्र पर कब्जा करना चाह रहे हैं तो उन्हें रोकने के लिए आटे की आरियां और जो उस समय वहां के लोगों के हाथों में आया उससे शमशरी महादेव पर हमला बोल दिया, क्योंकि यहां के लोग भी देवता जमलू को बहुत ज्यादा मानते थे.

हर साल होता है मेले का आयोजन: शमशरी महादेव पर यहां के लोगों ने आटा, कुंगशी, घास, कांटे, बिच्छू बूटी अन्य चीजों से हमला किया, ताकि वे इस सीमा को पार न कर सके, लेकिन शमशरी महादेव की इस युद्ध में जीत हुई थी. जिसके बाद जमलू देवता वापिस अपने गांव चले गए और शमशरी महादेव ने इस क्षेत्र पर अपना आधिपत्य स्थापित किया. तभी से ही ये परंपरा चलती आ रही है. इसके बाद यहां के लोग भी शमशरी महादेव को मानते हैं और उनके सम्मान में हर साल मेले का आयोजन किया जाता है.

7 साल बाद दौरे पर निकले देवता: बता दें की आनी के आराध्य देव देवता शमशरी महादेव 7 साल के लंबे अंतरात के बाद 13 अगस्त से अपने अधिकार क्षेत्र के 45 गांवों के दौरे पर निकले हैं. यह दौरा 23 सितंबर को समाप्त होगा.

ये भी पढे़ं: Devta Shamshari Mahadev: आनी के कोहिला में अनूठी देव परंपरा, यहां मेले में उल्टा चलता है देवता का रथ, जानिए क्या है

शगागी पहुंचने पर शमशरी महादेव पर फेंकी जाती है बिच्छू बूटी

रामपुर: कुल्लू जिले के उपमंडल आनी के आराध्य एवं गडपती शमशरी महादेव जतराला मेले के चलते क्षेत्र के दौरे पर हैं. इस दौरे के दौरान देवता से जुड़ी कई ऐतिहासिक मान्यताएं और परंपराएं भी सामने आ रही हैं. शनिवार को देवता शमशरी महादेव कोहिला से खुन्न के लिए रवाना हुए और रविवार को खुन्न के साथ लगते क्षेत्र शगागी पहुंचे. यहां पहुंचने पर देवता की मान्यता से जुड़ी एक ऐतिहासिक परंपरा देखने को मिली.

बिच्छू बूटी फेंककर शमशरी महादेव का स्वागत: शगागी क्षेत्र पहुंचने पर देवता शमशरी महादेव व उनके भक्तों के ऊपर शगागी वासियों द्वारा बिच्छू बूटी, मिट्टी के ठेलों (जिन्हें स्थानीय भाषा में जेबड़ा कहा जाता है), आटे की आरी, कुंगशी से हमला करते हैं. वहां मौजूद लोगों द्वारा इस ऐतिहासिक पल को कैमरों में कैद किया गया. देवता शमशरी महादेव से जुड़ी ये एक बेहद रोचक मान्यता है, जिसके तहत लोग देवता के क्षेत्र में पहुंचने पर उन पर हमला करते हैं.

हमले के पीछे की वजह: मिली जानकारी और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शगागी क्षेत्र कभी मलाणा गांव के प्रसिद्ध देवता जमलू का हुआ करता था. ग्रामीणों के अनुसार यहां के लोग भी देवता जमलू को ही मानते थे. उनके सानिध्य में जतराला या अन्य मेलों का आयोजन होता था. फिर एक दिन शमशरी महादेव यहां पहुंचे और इस क्षेत्र पर कब्जा करके इसे अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया.

देवता के अधिकार को रोकने की कोशिश: जिस समय देवता शमशरी महादेव ने शगागी क्षेत्र पर अधिकार जमाया, उस वक्त सुबह सवेरे गांव की औरतें खाना बनाने के लिए आटा गूंथ रही थी. जब उन्हें पता चलता है की शमशरी महादेव क्षेत्र पर कब्जा करना चाह रहे हैं तो उन्हें रोकने के लिए आटे की आरियां और जो उस समय वहां के लोगों के हाथों में आया उससे शमशरी महादेव पर हमला बोल दिया, क्योंकि यहां के लोग भी देवता जमलू को बहुत ज्यादा मानते थे.

हर साल होता है मेले का आयोजन: शमशरी महादेव पर यहां के लोगों ने आटा, कुंगशी, घास, कांटे, बिच्छू बूटी अन्य चीजों से हमला किया, ताकि वे इस सीमा को पार न कर सके, लेकिन शमशरी महादेव की इस युद्ध में जीत हुई थी. जिसके बाद जमलू देवता वापिस अपने गांव चले गए और शमशरी महादेव ने इस क्षेत्र पर अपना आधिपत्य स्थापित किया. तभी से ही ये परंपरा चलती आ रही है. इसके बाद यहां के लोग भी शमशरी महादेव को मानते हैं और उनके सम्मान में हर साल मेले का आयोजन किया जाता है.

7 साल बाद दौरे पर निकले देवता: बता दें की आनी के आराध्य देव देवता शमशरी महादेव 7 साल के लंबे अंतरात के बाद 13 अगस्त से अपने अधिकार क्षेत्र के 45 गांवों के दौरे पर निकले हैं. यह दौरा 23 सितंबर को समाप्त होगा.

ये भी पढे़ं: Devta Shamshari Mahadev: आनी के कोहिला में अनूठी देव परंपरा, यहां मेले में उल्टा चलता है देवता का रथ, जानिए क्या है

Last Updated : Sep 11, 2023, 7:45 AM IST
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