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सोती गांव में डर के साये में जीने को मजबूर लोग, लैंडस्लाइड से गांव के अस्तित्व को खतरा

सैंज घाटी के सोती गांव में भूस्खलन का खतरा बना हुआ है. दस वर्षों से ग्रामीण गांव को बचाने की गुहार लगा रहे हैं लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. ग्रामीण पार्वती जल विद्युत परियोजना के निर्माण के लिए दो बार विस्थापन का दंश झेल चुके हैं.

landslide in Soti village
सोती गांव में भूस्खलन
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Published : Aug 24, 2020, 8:00 AM IST

कुल्लू: उपमंडल बंजार की सैंज घाटी के सोती गांव में भूस्खलन का खतरा बना हुआ है. अनुसूचित जाति के इस गांव को बचाने के लिए न तो सरकार और न ही प्रशासन कोई ठोस कदम उठा रहा है.

इस गांव में बारिश शुरू होते ही लोगों की धड़कनें तेज और नीदें उड़ जाती हैं. दस वर्षों से ग्रामीण गांव को बचाने की गुहार लगा रहे हैं लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. ग्रामीण पार्वती जल विद्युत परियोजना के निर्माण के लिए दो बार विस्थापन का दंश झेल चुके हैं. नया बसेरा बसाते ही प्रकृति ने उनके सर पर नई आफत खड़ी कर दी. दरअसल जिस जगह पर गांव बसाया गया, वह जगह धीरे-धीरे धंस रही है.

गांव पार्वती परियोजना के शलाह डैम से 100 मीटर की दूरी पर है. बीते दिनों हुई बरिश से गांव के साथ बहने वाले नाले में जलस्तर बढ़ गया. गांव की सड़कें टूट गई हैं. परियोजना के डैम के निर्माण के लिए खुदाई भी गांव के पास ही की गई है. भगत राम, दासी देवी, प्रेमा देवी, बेली राम, मीरचंद, टेढ़ी सिंह और डाबे राम ने कहा कि उनके मकान धंसने की कगार पर हैं. घरों के बरामदे तक दरारें पहुंच चुकी हैं और दीवारें चटकने लगी हैं.

गांव के आसपास की कई बीघा भूमि चार-चार फीट तक धंस चुकी है. ऐसे में कभी भी जानलेवा हादसा हो सकता है. उन्होंने कहा कि परियोजना प्रबंधन ने 2011 में हुए समझौते में गांव को पहुंचने वाले नुकसान की भरपाई करने पर हामी भरी थी लेकिन उसे नजरअंदाज किया जा रहा है. डेहर सिंह, वार्ड सदस्य कृष्णा देवी और वीर सिंह ने कहा कि वर्षों से गांववासी खौफ के साये में जी रहे हैं.

गांव को बचाने के लिए सरकार, प्रशासन और परियोजना प्रबंधन की ओर से कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है. उधर, जिला परिषद अध्यक्ष रोहिणी चौधरी ने कहा कि मामला कई बार प्रशासन और सरकार के समक्ष प्रमुखता से रखा गया. गांव को बचाने के लिए प्रशासन, राजस्व विभाग और एनएचपीसी की एक सांझा टीम से गांव का जायजा भी करवाया गया है. परियोजना प्रबंधन ने गांव की भूमि को अधिग्रहित करने और घरों को संरक्षित करने का आश्वासन दिया है.

पार्वती परियोजना के महाप्रबंधक विक्रम सिंह ने कहा कि परियोजना प्रबंधन आम जनता को सुविधाएं प्रदान करने का काम कर रहा है. सोती गांव में उत्पन्न हुई समस्या के मूल कारणों का पता लगाया जाएगा. विधायक सुरेंद्र शौरी ने कहा कि सोती गांव में भूस्खलन रोकने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे. प्रशासन को भूस्खलन के मूल कारण तलाशने के लिए विशेषज्ञ भेजने को कहा गया है.

ये भी पढ़ें: 27 अगस्त तक हिमाचल में भारी बारिश की आशंका, मौसम विभाग ने जारी किया येलो अलर्ट

कुल्लू: उपमंडल बंजार की सैंज घाटी के सोती गांव में भूस्खलन का खतरा बना हुआ है. अनुसूचित जाति के इस गांव को बचाने के लिए न तो सरकार और न ही प्रशासन कोई ठोस कदम उठा रहा है.

इस गांव में बारिश शुरू होते ही लोगों की धड़कनें तेज और नीदें उड़ जाती हैं. दस वर्षों से ग्रामीण गांव को बचाने की गुहार लगा रहे हैं लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. ग्रामीण पार्वती जल विद्युत परियोजना के निर्माण के लिए दो बार विस्थापन का दंश झेल चुके हैं. नया बसेरा बसाते ही प्रकृति ने उनके सर पर नई आफत खड़ी कर दी. दरअसल जिस जगह पर गांव बसाया गया, वह जगह धीरे-धीरे धंस रही है.

गांव पार्वती परियोजना के शलाह डैम से 100 मीटर की दूरी पर है. बीते दिनों हुई बरिश से गांव के साथ बहने वाले नाले में जलस्तर बढ़ गया. गांव की सड़कें टूट गई हैं. परियोजना के डैम के निर्माण के लिए खुदाई भी गांव के पास ही की गई है. भगत राम, दासी देवी, प्रेमा देवी, बेली राम, मीरचंद, टेढ़ी सिंह और डाबे राम ने कहा कि उनके मकान धंसने की कगार पर हैं. घरों के बरामदे तक दरारें पहुंच चुकी हैं और दीवारें चटकने लगी हैं.

गांव के आसपास की कई बीघा भूमि चार-चार फीट तक धंस चुकी है. ऐसे में कभी भी जानलेवा हादसा हो सकता है. उन्होंने कहा कि परियोजना प्रबंधन ने 2011 में हुए समझौते में गांव को पहुंचने वाले नुकसान की भरपाई करने पर हामी भरी थी लेकिन उसे नजरअंदाज किया जा रहा है. डेहर सिंह, वार्ड सदस्य कृष्णा देवी और वीर सिंह ने कहा कि वर्षों से गांववासी खौफ के साये में जी रहे हैं.

गांव को बचाने के लिए सरकार, प्रशासन और परियोजना प्रबंधन की ओर से कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है. उधर, जिला परिषद अध्यक्ष रोहिणी चौधरी ने कहा कि मामला कई बार प्रशासन और सरकार के समक्ष प्रमुखता से रखा गया. गांव को बचाने के लिए प्रशासन, राजस्व विभाग और एनएचपीसी की एक सांझा टीम से गांव का जायजा भी करवाया गया है. परियोजना प्रबंधन ने गांव की भूमि को अधिग्रहित करने और घरों को संरक्षित करने का आश्वासन दिया है.

पार्वती परियोजना के महाप्रबंधक विक्रम सिंह ने कहा कि परियोजना प्रबंधन आम जनता को सुविधाएं प्रदान करने का काम कर रहा है. सोती गांव में उत्पन्न हुई समस्या के मूल कारणों का पता लगाया जाएगा. विधायक सुरेंद्र शौरी ने कहा कि सोती गांव में भूस्खलन रोकने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे. प्रशासन को भूस्खलन के मूल कारण तलाशने के लिए विशेषज्ञ भेजने को कहा गया है.

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