कुल्लू: सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण विश्व में सबसे ऊंचे सड़क मार्ग पर बन रही अटल टनल का नाम अब अटल रोहतांग टनल होगा. केंद्र सरकार ने अटल टनल के साथ अब रोहतांग भी जोड़ दिया है. केंद्र ने इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी है.
इससे पहले हिमाचल सरकार के प्रस्ताव पर केंद्र ने पहले इस सुरंग का नाम अटल टनल रखा था, लेकिन जनजातीय लोग इस टनल में अटल के साथ रोहतांग नाम जोड़ने के पक्ष में थे. रोहतांग टनल परियोजना के मुख्य अभियंता ब्रिगेडियर पुरषोतमन ने अटल रोहतांग टनल नाम की पुष्टि की है.
इससे पहले लाहौल-स्पीति के कुछ सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारियों ने जनता की राय लेकर टनल में रोहतांग नाम जोड़ने के संदर्भ में रक्षा मंत्री को पत्र भेजा था. पत्र लिखने वालों में लाहौल-स्पीति से संबंध रखने वाले तीन पूर्व मुख्य सचिव, दो पूर्व डीजीपी समेत कुछ और सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी शामिल रहे.
रोहतांग दर्रा अभिशाप ही नहीं वरदान भी
सदियों से जिस दर्रे को पैदल पार कर दुनिया से जुड़ने वाले जनजातीय लोगों के लिए रोहतांग दर्रा अभिशाप और वरदान दोनों साबित हुआ है. बर्फबारी के बाद लाहौल घाटी का संपर्क छह महीनों तक दुनिया से कटने पर यही रोहतांग दर्रा कई लोगों की मौत का कारण भी बना है.
दरअसल, मजबूरी में बर्फ के बीच लोगों को 13,050 फीट ऊंचा यह दर्रा पैदल पार करना पड़ता है. इस दौरान अब तक सैकड़ों लोग रोहतांग दर्रे पर काल का ग्रास बन चुके हैं. बर्फ के बीच इस दर्रे को पार करना हमेशा चुनौती रहा है, जबकि इसी दर्रे के कारण घाटी की सांस्कृतिक विरासत संरक्षित रह पाई. इसी दर्रे के कारण लाहौल-स्पीति को अनुसूचित जनजातीय क्षेत्र का दर्जा मिला है.