कुल्लू: बिजली महादेव रोपवे निर्माण की प्रक्रिया ने अब फिर तेजी पकड़ ली है. रोपवे निर्माण करने वाली कंपनी को एफआरए तैयार करने के निर्देश दे दिए गए हैं. इसका निर्माण उषा ब्रेको कंपनी करेगी. कंपनी ने सर्वेक्षण का काम पूरा कर लिया है. एफआरए (फॉरेस्ट राइट एक्ट) के तहत अनुमति मिलते ही रोपवे का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा.
कोरोना वायरस के कारण प्रदेश में कर्फ्यू लगने से 150 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले बिजली महादेव रोपवे पर तीन महीने से अधिक समय तक ब्रेक लगी रही. कुल्लू का इतिहास भी बिजली महादेव से जुड़ा हुआ है. इसलिए भी यहां पर रोपवे बनना जरूरी है. पहले जगह को लेकर काफी विवाद रहा. इसके बाद तत्कालीन उपायुक्त कुल्लू ने इस विवाद को सुलझाने पर टीम ने सर्वेक्षण किया. सर्वेक्षण करने पर रोपवे बनाए जाने वाली जमीन मंदिर की निकली. इस पर मंदिर कमेटी ने मंदिर से रोपवे को दूर से बनाने की मांग की.
इसके बाद फिर से सर्वेक्षण हुआ, जिसमें मंदिर से 70 मीटर दूरी पर रोपवे बनाया जाएगा. सर्वेंक्षण पूरा होने पर कोरोना के चलते यह प्रोजेक्ट अधर में लटक गया. अब फिर से पर्यटन विभाग ने इस प्रोजेक्ट में अन्य औपचारिक्ताओं के लिए कंपनी से संपर्क करना शुरु कर दिया है. इसके चलते जल्द ही कंपनी इस प्रोजेक्ट को गति प्रदान करेगी.
साथ ही कुल्लू से बिजली महादेव मंदिर तक करीब दो किलोमीटर लंबा रोपवे बनाना प्रस्तावित है. रोपवे से खराहल घाटी के बिजली महादेव को धार्मिक पर्यटन से जोड़ने की योजना है. प्रस्तावित योजना के तहत रोपवे से एक घंटे के भीतर 600 लोगों को मंदिर तक ले जाने की क्षमता होगी.
वन मंत्री गोविंद सिंह ने कहा कि कुल्लू जिला का सबसे अहम प्रोजेक्ट बिजली महादेव को लेकर पर्यटन विभाग ने कंपनी से संपर्क करना शुरु कर दिया है. जल्द ही कंपनी की टीम को बुलाया जाएगा और रोपवे का काम शुरु किया जाएगा. इसके अलावा जिला कुल्लू में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है.
गौर रहे कि बिजली महादेव रोपवे के बनने से जहां श्रद्धालुओं को मंदिर पहुंचने में आसानी होगी. वहीं, तंग सड़क के ट्रैफिक जाम से भी हजारों लोगों को छुटकारा मिलेगा.
ये भी पढ़ें: किल्बा गांव कंटेनमेंट जोन से बाहर, ग्रामीणों को काम करने की मिली छूट