कुल्लू: कुल्लू वन वृत ने पौधारोपण अभियान के दौरान साढ़े तीन लाख पौधे लगाने के लक्ष्य को हासिल कर लिया है. 20 से 24 जुलाई तक चले इस पौधारोपण अभियान के लिए कुल 62 स्थान चिह्नित किए थे और लगभग 400 हैक्टेयर भूमि पर पौधे लगाने का लक्ष्य तय किया था, जिसे पूरा कर लिया गया है. यह पौधारोपण अभियान 20 से 24 जुलाई तक चला. इस बात की जानकारी वन अरण्यपाल अनिल शर्मा ने पत्रकार वार्ता के दौरान दी.
अनिल शर्मा ने बताया कि अभियान को कामयाब बनाने के लिए स्थानीय लोगों, महिला व युवक मंडलों, पंचायतीराज संस्थाओं और शिक्षण संस्थानों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया. सभी जगहों पर लोगों ने अपनी इच्छा से पौधारोपण के कार्य में अपनी हिस्सेदारी निभाई. इस दौरान स्थानीय परिस्थितियों और लोगों की मांग के अनुसार विभिन्न प्रजातियों के पौधे वन विभाग ने उपलब्ध करवाए.
अरण्यपाल ने बताया कि यह अभियान पूरी तरह सुनियोजित ढंग से चलाया गया और एक ऐप के माध्यम से इसकी रियल टाइम मॉनिटरिंग की गई. विभाग ने सभी चिह्नित स्थानों पर गड्ढे पहले ही तैयार करवा दिए थे, जिसपर लोगों को पौधे उपलब्ध करवाए गए और उन्होंने पौधारोपण किया.
बता दें कि वन, परिवहन, युवा सेवाएं व खेल मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने 20 जुलाई को खरसू का पौधा लगाकर गुलाबा से जिला स्तरीय पौधारोपण अभियान की शुरुआत की थी. इस दिन गुलाबा में 2 हेक्टेयर भूमि पर लगभग 2200 पौधे लगाए गए.
ये भी पढ़ें: कुल्लू आयकर विभाग ने मनाई 159वीं वर्षगांठ, वाक फॉर टैक्स मेराथन का किया गया आयोजन
वहीं, गुलाबा में 45 लाख रुपये की लागत नेचर पार्क बनने जा रहा है. यह पार्क सैलानियों और स्थानीय लोगों को कई सुविधाएं उपलब्ध करवाएगा. 12 हेक्टेयर में बनने वाले इस पार्क में सैलानियों को वॉकिंग व साइकलिंग ट्रेल के अलावा जिपलाइन और स्काई साइकलिंग जैसी रोमांचक गतिविधियों के साथ ही बड़ी पार्किंग की सुविधा भी मिलेगी.
अनिल शर्मा ने कहा कि वनीकरण, पौधारोपण व नर्सरियों के लिए बजट की कोई कमी नहीं है. इस संबंध में जितनी भी मांग व प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजे जाते हैं, वे तुरंत स्वीकृत हो जाते हैं. यही कारण है कि प्रदेश में वन आवरण में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. उन्होंने इस बात पर खुशी जाहिर की कि लोगों में जागरूकता आने से अब जंगलों में आगजनी की घटनाएं काफी कम हुई हैं और लोग जंगलों का अनावश्यक कटान भी नहीं कर रहे हैं. लोग अपनी निजी भूमि पर भी पौधारोपण कर रहे हैं जोकि पर्यावरण के लिए एक शुभ संकेत है.